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Wednesday, October 23, 2013

ननदि-भौजाइ

ननदि-भौजाइ

लौकही बजारसँ उत्तर-पूबक कोणमे एकटा गाम छै पातो। ने बड़ पैघ आ ने बड़ छोट। पातो सप्‍तरी जिलाक नेपाल अधिराज्यमे पड़ैए। भारत आ नेपालक सीमासँ लगधग तीन कि‍लो मिटर उत्तर। पातो गामक पच्छि‍म एकटा सड़क अछि‍ जे फत्तेपुर चौकसँ नेपालक मुख्‍य सड़क राजमार्गमे कठौना लग मिलैत अछि‍।
  पातो गाममे एकटा बड़ पैघ समाजवादी लोक भेल छला। हुनकर नाओं हीरा लाल छेलनि। हुनका सभ गोटे नेताजी कहि आदर करै छेलनि। ओना ओ राजनीति‍ सेहो करै छला। हुनका दूटा बेटा आ दूटा बेटी रहनि। जेठका बेटाक नाओं अमि‍त आ छोटकाक नाओं सुमीत। जेठकी बेटीक नाओं लालति आ छोटकीक नाओं आरती रहनि। सभसँ जेठ बेटीए छेली जे ससुरवास छेली। ओइसँ छोट दुनू बेटा आ सभसँ छोट आरती। अमि‍तक बि‍आह भऽ गेल रहनि। हुनको कनि‍याँ बसै छेली। एकटा बेटी आ दूटा बेटा छेलनि। जेठ बेटीए रहनि‍ करीब दस बर्खक। आरती भति‍जा-भतिजीकेँ बड़ मानै छेली। पढ़ैले जाइत तँ चौकपर सँ बि‍स्‍कुट-चकलेट नेने अबैत आ भति‍जा-भति‍जीकेँ दैत। अमि‍त इण्‍टर पास कऽ गामेक स्‍कूलमे शिक्षक छला जखैन कि‍‍ सुमीत भोपालमे इंजीनियरिंगक पढ़ाइ पढ़ि रहल छला।
  हीरा लाल समाजवादी वि‍चार धाराक बेकती छला से तँ पहिनहिओ कहने छी। हुनकर कहब छेलनि जे ‘बेटा आ बेटी बरबरि।’ से नै तँ दुनूकेँ बरबरि‍ अधि‍कार भेटक चाही। मुदा बेटा सबहक वि‍चार ओइसँ भि‍न्न, खास कऽ अमि‍तक। हुनकर कहब जे बेटीक बि‍आह भेला पछाति नैहरमे कि‍छु नै। ओ मेहमान जकाँ नैहर आबए आ दस-बीस दि‍न रहि‍ आपस सासुर  चलि जाथि‍। नैहराक कोनो बात-बेवहारमे कोनो तरहेँ हस्‍तक्षेप नै करथि। छोट भाए सुमीत सेहो भैयाक बातकेँ समर्थन करैत। मुदा अखनि ओ पढ़ाइ कऽ रहल अछि‍। तँए घर-परि‍वारसँ बेसी सरोकार नै रखैत। हुनका समैपर रूपैआ भेट जान्हि‍ मात्र एतबेसँ मतलब। अमि‍तक पत्नी अमीतोसँ एक डेग आगू हुनका ननदि‍ सभ कनेको नै सोहाइ छेलनि। जखनि जेठकी ननदि‍ लालति‍ नैहरा अबै छेली तँ अमि‍तक पत्नी सि‍रहावाली कनकन करए लगै छेली। सार-सरहोजि‍क बेवहारसँ लालति‍क दुल्हा सासुर एनाइ-गेनाइ छोड़ि देने छेला। हीरा लालक छोटकी बेटी नमामे पढ़ै छेली। आरती अपन पढ़ाइ करैत भौजाइक भानस-भातमे सेहो मदति‍ करै छेली। भतीजा-भतिजीकेँ स्‍नान करौनाइ कपड़ा पहि‍रौनाइ, तेल-कुर देनाइ ई सभ काज आरतीए करै छेली। मुदा भौजाइ लेल धनि‍ सन।
  आरती आ सि‍रहावालीक बीच जखनि‍-तखनि‍ रक्का-टोकी भऽ जाइ छल। आरतीक माए बेटीक पक्ष लइ छेली। जखैन कि‍ अमि‍त पत्नीक पक्ष लइ छल। आरतीक माए पति‍ हीरा लालसँ शि‍काइत केली-
सि‍रहावाली आरतीकेँ देखए नै चाहैए। जखनि-तखनि ओकरासँ कहा-सुनी कऽ लैत अछि‍।
हीरा लाल बेटाकेँ बजा कहलखि‍न-
कनि‍याँकेँ समझा दि‍यौ जे आरतीकेँ तंग नै करए। ओकरा कि‍छु कहए नै।
तैपर अमि‍त बाजल-
सभ दोख आरतीक अछि‍। ओ ऐ सम्‍पतिकेँ अपन बुझैए। भौजाइकेँ कोनो मोजरे ने दैत अछि‍। अहाँ आरतीकेँ बुझा दि‍यौ जे ओ ऐठाम कि‍छु दि‍नक मेहमान मात्र छी। भौजाइसँ मुँह नै लगबए।
अमि‍तक बातसँ हीरालालकेँ बड़ कष्‍ट भेलनि‍ मुदा ओ बजला कि‍छु नै। हि‍नकामे एकटा गुण छन्हि जे ओ अपन बातसँ कि‍नको संतुष्‍ट कऽ दइ छथिन। मुदा कमजोरी ई जे हुनकर दुनू बेटा हुनकासँ सन्‍टुष्‍ट नै होइत रहनि।
  सोम दि‍नक घटना छी। अमि‍त स्‍कूलक कातमे चाहक दोकानपर बैस चाह पीब रहल छल। तखने ओकर बेटी गुड़िया आएल आ कहलक-
पापा, मम्मी कनैए।
अमि‍त पुछलक-
किए?”
गुड़ि‍या बाजल-
आरती दीदी मारलकै हेन।
ई बात सुनि‍ अमि‍तकेँ तामसे टीक ठाढ़ भऽ गेल। चाह पीनाइ छोड़ि‍ गाम दि‍स वि‍दा भेल। गामपर आबि‍ गोहालीमे खोंसल हरबाही पेना लऽ अँगना गेल। आरती घर बहारै छेली। तखने ओही पेनासँ अनधुन मारए लगल। ओंघरा-ओंघरा कऽ मारलक। पीठ आ जाँघ दू दालि‍ कऽ फूटि‍ गेलै। आरतीक माए बदाम ओगरैले बाध गेल छेली। कि‍यो कहलकनि‍ तँ दौगल अँगना एली। बेटीक हालति‍ देखि‍ कानए लगली। आरतीक कपड़ामे लहू लगल रहए। माएकेँ देखिते आरती आरो जोर-जोरसँ कानए लगली। आरतीक दशा देखि‍ माए भरि‍ पाँजमे पकड़ि‍ बेटाकेँ अन्‍ट–सन्‍ट कहए लगली। आरतीक कक्का देवनजी डाक्‍टर बजा इलाज करौलखि‍न। राति‍मे आरती आ ओकर माए कि‍छु नै खेलक। कि‍यो पुछैओले नै एलनि‍। भि‍नसरे आरतीक माए फूट्टे खेनाइ बनौलक। केते कहला पछाति‍ आरती दू-चारि‍ कौर खेलक आरतीक माए अपन बेटी संग भीने भानस करए लगली। जे देखि‍ अमि‍त बजए-
ई छौड़ी, हमरा परि‍वारमे भि‍नौज करा देलक। कहि‍या ई छौड़ी ऐ घरसँ जाएत से नै जानि‍।
आरतीक माए कि‍छु नै बजए। दुनू माए-बेटीकेँ सि‍रहावालीसँ बजा-भुक्की बन्न भऽ गेल। हीरा लाल गाममे नै छला। पाटीक मीटिंगमे भाग लइले काठमाण्‍डू गेल छला।
  ऐ घटनाक पाँचम दि‍न भि‍नसरे हीरा लाल गाम एला। जखनि ओ अपना कोठरीमे झोरा रखि कपड़ा बदलैत रहथि तखने आरतीक माए कानए लगली। माएकेँ कनैत देखि आरतीओ कानए लगली। पत्नी आ बेटीक कानब सुनि‍ हीरा लाल अकचका गेला। हुनका कि‍छु फुड़ेबे ने करनि‍। भेलनि‍ जे जेठकी बेटी नै तँ छोटका बेटाकेँ नै तँ कि‍छु भऽ गेल। साइत तँए दुनू माय-धी एना कनैए। अमि‍तकेँ हाक देलखि‍न। अमि‍त अपना काठरीमे कि‍छु लि‍खैत रहए। पि‍ताक हाक सुनि‍ अमि‍त ओतैसँ बाजल-
की कहै छि‍ऐ।
हीरा लाल कहलकनि‍-
एम्‍हर आउ तँ।
अमि‍त पि‍ता लग आबि‍ ठाढ़ भेल। देखि‍ते पि‍ता पुछलखि‍न-
दुनू गोटे एना किए कनैए। की भेलै?”
अमि‍त रूखाएल बाजल-
एकरे सभसँ पुछि‍यौ ने, कि‍ भेलैए।
तैपर माए लग आबि‍ बजली-
हमरा बेटीकेँ मारि‍ कऽ सुताए देने रहए। ओंघरा-आेंघरा मारलक। जाँघ आ पीठ दू दालि‍ कऽ फोरि‍ देलक आ अखनि‍ बजैए एकरे सभकेँ पुछि‍यौ।
ई कहि‍ माए आरतीक पीठ उघारि‍ देखौलकनि‍। आ पुछलकनि‍-
जाँघो देखाबी?”
हीरा लाल मुँहसँ नि‍कललनि‍-
नै, हम सभ बूझि‍ गेलि‍ऐ।
लगले सुरे अमि‍तसँ पुछलखि‍न-
किए मारलि‍ऐ आरतीकेँ? की केने रहए?”
बि‍च्‍चेमे आरतीक माए बजली-
हमरा बेटीकेँ अघमौगति‍ कऽ मारलक। हम बदाम ओगरैत रही। सुगि‍या हमरा कहए गेल। तँ हम दौगल एलौं। अँगनामे बेटीकेँ ओंघराएल देखलौं। ओकर सलवार आ समीज लहूसँ भि‍जल रहए। देवन बौआ लाल डाक्‍टरकेँ बजा हमरा बेटीकेँ दबाइ-बि‍रो करौलक।
तैपर अमि‍त बाजल-
एकर बेटी हमरा बहुकेँ मारलक से बड़ नीक। छोट ननदि‍ भऽ जेठ भौजाइपर हाथ उठौत। जेना हम हि‍जरा रहि‍ऐ।
बाजि‍ अमि‍त ओतएसँ चलि गेल।
हीरा लालकेँ बेटाक बेवहारसँ बड़ पीड़ा भेलनि‍। मुदा बलजा कि‍छु नै। आरतीसँ पुछलखि‍न-
की केने रही। किए अमि‍त मारलकौ?”
आरती-
बाबू यौ, हमरा स्‍कूलमे ओइ दि‍न सबेरे छुट्टी भऽ गेल रहए। गामपर एलौं तँ माए अँगनामे नै छल। हमरा बड़ भुख लगल रहए। भनसा घर गेलि‍ऐ तँ छुच्‍छे भात रहए। तीमन-तरकारी कि‍छु ने रहए। भौजी आ गुड़िया ओसारपर बैस खाइत रहए। हम भौजीसँ पुछलि‍ऐ जे तीनम-तरकारी नै छै हम कथी सेने खेबे। तैपर भौजी कहलक, नून-तेल सेने खा लिअ। हम कहलि‍ऐ नून-तेल सेने नै खाएब। तैपर भौजी कहलक, तहन घी-मलीदा केतएसँ एतै। हम कहलि‍ऐ कनी दूध लऽ लइ छी आ ओही सेने खा लेब। तैपर भौजी बाजलि‍ कनीयेँ दूध छै चाहले रहए दि‍यौ। फेर सोचलौं जे कनीयेँ लऽ लेब। ओरिका लऽ कऽ अदहे ओरिका लिअ लगलौं आकि‍ भौजी अँइठे हाथे आबि‍ ओरिका छीनए लगल। तैपर हम भौजीक हाथ झमारि‍ देलि‍ऐ। ओरिका महक सभटा दूध हरा गेल। भौजी हाथ धोइ कऽ ओछाइनपर जा कानए लगल। हम खेबो ने केलौं। बरतन-बासन माजि-धोइ कऽ रखि‍ जखनि भनसा घर बहारै छेलौं आकि भैया आबि ठेंगा लऽ हमरा मारए लगल।
आरतीक बात सभटा सुनि हीरा लाल कि‍छु नै बजला। ओना नहिए जलखै आ नहिए कलौ खेलनि। चुप-चाप अपन दिनचर्यामे लगल रहला।
  रातिमे हीरा लाल अमितकेँ बजा कहलखि‍न-
हमरा सभ बात मालूम भेल। ऐ समस्‍याक नि‍दान केना हएत?”
अमित-
आरतीक बिआह भऽ जेतै ओ सासुर चलि जाएत तखनि समस्‍याक नि‍दान अपने भऽ जाएत। जाबे धरि‍ ई छौड़ी एतए रहत, झंझट रहबे करत।
हीरा लाल-
अखनि आरती एस.एल.सी.ओ ने केलक हेन। उमेरो अखनि सोल्हे बरख भेलै हेन। बिआहो केना करब। जखनि इण्‍टर पास कऽ जाएत आ उमेरो अठारह बरख पूगि जेतै तखनि बिआह कऽ देबै।
अमि‍त बाजल-
जानी अहाँ। हमरा कोन मतलब।
हीरा लालकेँ तामस उठि गेलनि‍ बजला-
जेठ भाय छि‍ऐ अहाँ। एहेन बात बजैत कनिको लाज नै होइए?”
बापक डाँट सुनि अमि‍त तैसमे आबि‍ बाजल-
अँइ, ई छौड़ी हमरा बहुसँ सौतिनियाँ डाह रक्‍खत। जेठ भौजाइकेँ कनिको मोजर नै देत। एकरा चलते परिवारमे दू ठाम भानस हुअ लगल। अहाँ उल्टे हमरा कहै छी। आरतीकेँ समझा दि‍यौ राजवाली राज लेती दाइ जेती छुच्‍छे।
हीरा लाल कहलखि‍न-
ठीक छै। जाबे धरि‍ आरती पातोमे रहत हम सभ भिन्ने भनसा बनाएब।
अमि‍त कहलकनि-
ठीक छै। जे मन फुड़ए से करू।
  हीरा लालक परिवारमे दू जगह भानस बनए लगल। सुमीत गरमी छुट्टीमे गाम आएल। कहि‍यो माएक बनौल खेनाइ खा लइ छल तँ कहियो भौजीक बनौल। सुमीत कहब रहै जे अखनि परि‍वारक वि‍वादसँ हम दूरे रहब। हमरा ऐ सभसँ कोनो लेनी-देनी नै।
  अमि‍तक सार ललनजी काठमाण्‍डूमे इंजीनियर छथि‍न। ओ अपन परि‍वारक संग काठमाण्‍डूएमे रहै छथि‍। दसमीमे गाम एलखि‍न तँ अमि‍तोकेँ सपरि‍वार सि‍रहा अबैले मोबाइलपर कहलकनि‍। कि‍एक तँ बलि‍-भोग छल।
  पंचमीकेँ अमि‍त अपन पत्नी आ धि‍या-पुताक संग सासुर पहूँचल। ओतए देखलक जे इंजीनि‍यर साहैब अपन माए-बाबू, दुनू छोट भाए आ छोट बहि‍न लेल काठमाण्‍डूसँ कपड़ा नेने आएल रहथि‍न। अमि‍त, अमि‍तक पत्नी आ धि‍या-पुताकेँ सि‍रहा बजार लऽ जा कऽ मन-पसन कपड़ा कीनि‍ देलखि‍न। सार-सरहोजि अमि‍तकेँ बहुत मानै छेलनि‍। इंजीनि‍यर साहैब अपन छोट भाए-बहि‍नक बड़ खियाल रखै छेलखि‍न। अमि‍त सोचए, इंजीनि‍यर साहैब भाए-बहि‍नकेँ केते मानै छथि‍न। हम तँ अपना भाएकेँ आइ धरि‍ एक्को पाइ नै देने हएब आ बहि‍नकेँ तँ...।
फेर सोचए, हमरे बेवहारसँ जेठका पाहुन पातो एनाइ-गेनाइ छोड़ि‍ देलनि‍।
इंजीनि‍यर साहैब अमि‍तकेँ कहलखि‍न-
यौ पाहुन, दुनि‍याँमे कि‍छु ने छै। सभ गोटे आपसमे मि‍लि‍-जूलि‍ कऽ प्रेमसँ रहू यएह पैघ बात भेल। की लऽ कऽ दुनि‍याँमे एलौं आ की लऽ कऽ जाएब। जेतेक दि‍न जीबी हँसी-खुशीसँ जीबी।
अमि‍तपर सारक बातक असरि‍ भेल। अमि‍तक पत्नी भौजाइक सुन्नर बात-बेवहार देखि‍ छगुन्‍तामे पड़ि‍ गेली। कि‍एक ने पड़ि‍ती। भौजाइ हुनका भोरे चाह बना पीबैत रहथि‍न। जाबे धरि‍ ओ नै खाइ छल ताबे भौजाइओ ने खाइ छेलनि‍। सि‍रहावाली सोचए, ईहो तँ हमर भौजाइए छी। केतेक मान-दान करैए। मुदा हम तँ ननदि‍ सभकेँ...।
  एक दि‍नक गप छी। चुल्हि‍पर लोहि‍यामे दूध रहए। दूधमे तरहत्थी सन छालही पड़ल रहए। सि‍रहावाली छालही देखि‍ भौजाइसँ पुछलक-
भौजी, कनी छालही ली?”
तैपर भौजी मारड़ि‍वाली बजली-
अँइ यै दैया, की ई हि‍नकर घर नै छि‍यनि‍ जे हमरासँ पुछै छथि‍न। ई सभ तँ घरक मेहमान छथि‍न। हि‍नका सभकेँ केतए देखबनि‍। ई सभ जेतबे खेतहीन-पीतहीन ओतबे ने, कोनो घर नेने पातो जेतहीन। सभ धन-बीत तँ हमरे सभले छोड़ने जेतहीन। जे मन होइ छन्‍हि‍ से खाथु।
ई कहि‍ मारड़ि‍वाली एकटा कटोरीमे सभटा छालही नि‍कालि‍ ननदि‍क हाथमे दऽ पुछलखि‍न-
चि‍न्नीओ लेब।
सि‍रहावाली-
कनी दऽ दिअ।
सि‍रहावालीकेँ सासुरक सभटा बात मन पड़ि‍ गेल। जे कनी दूध ननदि‍ लिअ लगल। तँ ओरि‍का छि‍नए लगलौं। तइले ननदि‍ हमर हाथ झमारि‍ देलनि‍। हम कानए लगलौं हमरा कानैत देखि‍ गुड़ि‍याक पापा आरतीकेँ अधमौगति‍ कऽ मारलक। जेकर कारण आइ परि‍वारमे दू जगह भानस होइए। छि‍ छि‍ केहेन छी हम। आरतीओ तँ कि‍छुए दि‍नक मेहमान छी। इण्‍टरक परीक्षा मार्चमे हएत आ अप्रीलमे बि‍आह भऽ जाएत। सासुर चलि‍ जाएत। फेर ओकरा केतए देखब। ओ तँ जेतबे खाएत-पीअत ओढ़त-पहि‍रत ओतबे ने। सभ धन-सम्‍पति‍ तँ हमरे सभले रहि‍ जाएत। केते उच्‍छन्नरि‍ दइ छि‍ऐ ननदि‍ सभकेँ। जेठकी ननदि‍-ननदोसि‍ तँ सासुरे एनाइ छोड़ि‍ देलक। हम पापी छी...।
सि‍रहावालीक आँखि‍सँ टप-टप नोर खसए लगल। मारड़िवाली चि‍न्नी लऽ कऽ एली तँ ननदि‍क आँखिमे नोर देखलनि‍ तँ पुछलखि‍न-
की भेल दैया, किए कनै छी। हमरासँ कोनो घटी भऽ गेल की?”
सि‍रहावाली कहलकनि‍-
नै यै भौजी, अहाँसँ गलती नै भेल। हमरेसँ गलती भऽ गेल अछि‍। वएह सभ मन पड़ल तँ आँखि‍मे नोर आबि‍ गेल। आइ हमर आँखि‍ खूजि‍ गेल।
मारड़ि‍वाली बजली-
देखि‍यौ दैया, जेहने अपन माए-बाबू तेहने सासु-ससुर। जेहने अपन भाए-बहि‍न तेहने दि‍अर-ननदि‍। अपन बेवहारसँ सभकेँ खुश राखी ऐसँ नीक बात और कि‍छु नै। अहाँ अनकासँ नीक बेवहार करब तँ लोक अहूँसँ नीक बेवहार करत।
  अमि‍तपर सार-सरहोजि‍क बेवहारक असरि पड़ल। तेनाहि‍ए सि‍रहोवालीपर भाए-भौजाइक बात-बेवहारसँ बड़ प्रभावि‍त भेली। दुनू परानी वि‍चार कऽ नि‍श्चए केलनि‍।
  दसमीक वि‍हान भने अमि‍त अपन परि‍वारक संग साँझमे पातो पहूँचल। अमि‍त माएकेँ पएर छूबि‍ गोर लगलक। सि‍रहोवाली सासुकेँ गोर लगलक। सि‍रहावाली अपन सभ समान घरमे रखि‍ कपड़ा बदलि‍ भनसा घर गेली। आरती आ ओकर माए भनसाक ओरि‍यानमे लगल छेली। माए तरकारी कटै छेली आ आरती मसल्ला पीसै छेली। सि‍रहावाली आरतीक हाथ पकड़ि‍ उठबैत कहलखि‍न-
अहाँ मसल्‍ला पीसब छोड़ि‍ पढ़ू गऽ, परीक्षा लगि‍चाएल अछि‍। आइसँ सबहक भानस हमहीं करब। आब दू जगह खेनाइ नै बनत। गतली हमरे छल। अहाँ तँ कि‍छु दि‍नक मेहमान छी। बि‍आह पछाति‍ अहाँकेँ केतए देखब।
सि‍रहावालीक आँखि‍सँ टप-टप नोर गि‍रए लगल। भौजाइकेँ कनैत देखि‍ आरतीओ कानए लगली। आरतीक माए दुनू गोटेक आँखि‍क नोर पोछैत कहलखि‍न-
पहुलका बातकेँ दुनू गोटे बि‍सरि‍ जाउ।
तैपर अमि‍त माएकेँ कहलकनि‍-
माए, हमरासँ बड़का गलती भऽ गेल छल। हमरा माफ कऽ दे।
अमि‍तो कानए लगल। दुनू आँखि‍सँ दहो-बहो नोर जाए लगलै। आरती भैयाकेँ कनैत देखि‍ पएर पकड़ि‍ कानए लगल-
नै भैया, हमरासँ गलती भेल छल। हमरा माफ कऽ दिअ।
बेटा-बेटी आ पुतोहुकेँ कनैत देखि‍ माएओ कानए लगली।
  कनीकाल पछाति‍ हीरा लाल एलखि‍न। दुरेपरसँ आरतीकेँ हाक देलखि‍न। सि‍रहावाली पुछलखि‍न-
की कहै छि‍ऐ बाबूजी। आरती बुच्‍ची पढ़ै छथि‍न।
हीरा लाल आरतीक माए लग जा बजल-  
ई मासु ि‍लअ नीकसँ तीमन करू।
आरतीक माए कहलखि‍न-
गुड़ि‍या माएकेँ दि‍यौ। वएह सबहक भानस करथि‍न।
तैपर सि‍रहावाली कहलखि‍न-
हँ बाबूजी, आइसँ हमहीं सबहक भानस-भात करब। परि‍वारमे दूठाम भानस नै हएत।
गप-सप्‍प सुनि‍ अमि‍तो आबि‍ बजल-
हँ बाबूजी, आब सभ गोटे अपसमे मि‍लि‍-जूलि‍ प्रेमसँ रहब। आरतीक परीक्षा लगि‍चाएल अछि‍। ओ अपन परीक्षाक तैयारी करत।
 “अच्‍छा, ठीक छै। बजैत हीरा लालकेँ मनमे भेलनि‍ आइसँ भरि‍ पेट खाएब।

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