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Wednesday, October 23, 2013

जजाति‍

जजाति‍

हे भगवान जे हमर खेसारी चरेलक तेकर पूतक मौगति‍ देखबि‍हऽ।
ई कहि मैलामवाली बोम फाड़ि कानए लगली। भोरे-भोर ओ कनबो करथि‍ आ गरि‍येबो करथि‍।
भोरे जखनि मैलामवाली छौर लऽ कऽ खेसारीमे छीटैले खेत गेली तँ समुच्‍चा खेतक खेसारी चरल देखली। देखि‍ते झमा गेली। खेतेसँ कनैत आ गरि‍यबैत गामपर एली। गामोपर अनधुन खाली बेटे लगा-लगा गरि‍याबए लगली। मैलामवालीकेँ कनैत आ गरि‍यबैत देखि‍ सौंसे खतबेटोलीक जनि‍जाति‍ सभ जमा भऽ गेल। ओइमे सँ गामवाली पुछलकनि‍-
ऐ दाइ, की भेलनि‍ जे एना बताह भेल छथि?”
मैलामवाली कनैत बजली-
की कहबह कनि‍याँ, पाँच कट्ठामे खेसारी छेलए, फूल-बति‍यासँ लदल रहए, भि‍नसरबामे नै जानि‍ केकर पूत मरल जे महिंससँ समुच्‍चा खेतक खेसारी चरा लेलक। जखनि‍ भोरमे छौर छीटैले गेलौं तँ देखलौं।
गामवाली बाजलि‍-
जूनि‍ कानथु। भगवान ओही चरलाहा खेतमे पुरा कऽ देतनि‍।
मैलामवाली बाजली-
है कनि‍याँ, देखबहक ने तँ धैरजता नै रहतह। कुट्टी-कुट्टी कऽ समुच्‍चा खेतक खेसारी चरा लेलक।
ई कहि‍ मैलामवाली छाती पीटैत फेर गरि‍याबए लगली।
हे बरहमबाबा, जौं खेसारी चरौनि‍हारक पूत मरत तँ हम तोरा जोड़ा छागर ढोल बजा कऽ चढ़ेबह।
  फूलचन राउतक पत्नी तिलाठवालीकेँ गोबर पाथेले कहए आएल छेली। ओहो मैलामवालीकेँ ढेरि‍यापर जनि‍जाति‍ सबहक भीड़ देखि‍ ससरि‍ कऽ लग जा सभ गप बुझलनि। ओहो मैलामवालीकेँ ढाढ़स बन्‍हैत कहलकनि‍-
आब गरि‍एला आ कनलासँ कोन लाभ हेतनि‍। दि‍नकरबाबापर आशा करथु। वएह सभटा पूर करथि‍न।
  फूलचन राउतकेँ गामक सभ गोटे खलीफा कहै छन्‍हि‍। हुनकर देहो खलीफे जकाँ लगै छन्‍हि‍। पहलमानीओ करै छथि‍। गामक अखराहापर नवतुरि‍या सभकेँ कुश्‍तीओ सि‍खबै छथि‍न। मुदा छथि‍ बड़ मोचण्‍ड। हुनकर उमेर लगधग तीस बरख हएत। पाँच बीघा खेत छन्‍हि‍। जोड़ा बरद आ दूटा महिंस पोसने छथि‍। महिंस अपनेसँ चरबै छथि‍। दुहबो-गारबो अपने करै छथि‍। भोरमे महिंस दूहि‍ एक लोटा काँचे दूध नीत पीबै छथि‍। भि‍नसरबामे दुनू महिंस खोलि‍ पोसर चरबै छथि‍। केकरो मसुरी, केकरो खेसारी तँ केकरो गहुम भि‍नसरबेमे चरा अबै छथि‍। जौं कि‍यो देखबो करै छन्‍हि‍ तँ की मजाल जे हुनका उपराग देथि‍न। गामक लोक प्राय: हुनकासँ डरैत रहैए। मुदा हुनकर पि‍ताजी बनबारी मड़र बड़ नीक लोक। गामक लोक हुनका मड़र कहि‍ आदर करै छन्‍हि‍। बनबारी मड़र अपन बेटाक करतूतसँ बड़ दुखी रहै छथि‍। हरि‍दम फूलचनकेँ समझबैत रहै छथि‍न-
बौआ, बड़ मेहनति‍सँ लोक खेती करैए। केकरो जजाति‍ चरेबहक तँ ओ जे कलपत तँ पड़तह। तँए केकरो जजाति‍ नै चराबी। आ ने केकरो कोनो अपराध करहक। गहुमक भुसी आ बाँसक पत्ताक कुट्टी, बरदकेँ खुआबह। महिंसकेँ भुसी आ खेसारीक चुन्नी दहक। अहीमे बर्रकत्ति‍ हेतह।
मुदा फूलचन खलीफाकेँ पि‍ताक बातक कोनो असरि‍ नै। आइओ भि‍नसरबामे मैलामवालीक खेसारी चरा अनलक।
  मैलामवालीक घरबला पंचू दि‍ल्‍लीमे नोकरी करैत। अगहन आ अखार मासमे गाममे रहि‍ खेती-वाड़ी करैए आ आन मासमे दि‍ल्‍लीएमे काज करैए। कि‍एक तँ पंचूकेँ मात्र एक्के बीघा खेत आ पाँच गोरेक आश्रम। एक बीघा खेतसँ परि‍वार चलब मोसकि‍ल तँए दि‍ल्‍लीमे नोकरी सेहो करैत।
  फूलचन खलीफा जखनि‍ जलखै करैले अँगना एला तँ पत्नी-ति‍लाठवाली कहलकनि‍-
हे सुनै छै?”
फूलचन बजला-
की कहै छै?”
मैलामवाली बड़ गरि‍यबै छलि। कहै छेलै सभटा खेसारी चरा लेलक गऽ। खाली बेटे लगा-लगा गरि‍यबै छलि‍। ई ने तँ ओकर खेसारी भि‍नसरबामे चरा अनलक गऽ?”
बेटा लगा-लगा गरि‍याबैत छेलै? ठीक छै। गारि‍सँ हमरा बेटाकेँ कि‍छु ने हएत। गारि‍ देने कि‍छु ने होइ छै। लोक अपना मनकेँ बुझबैए।
हे, हमरा गाइरि‍‍क बड़ डर होइए। हम देखलि‍ऐ मैलामवालीकेँ छाती पीटैत आ कानि‍-कानि‍ खूम गरि‍यबैत। से हमरा नै नीक लगल। भगवान गौनाक दस बरख पछाति‍ एगो बेटा देलनि‍। जौं ओकरा कि‍छु भऽ जाएत तँ एतेक धन कि‍ हएत। एकरा बेर-बेर कहै छि‍ऐ जे केकरो जजाति‍ नै चराबौ।
ई गप होइते छल ताबेतमे फूलचन खलीफाक पि‍ता-बनबारी मड़र जलखै करैले अँगना एला। सभ बात बूझि‍ बजला-
बौआ, बहुरि‍या नि‍के ने कहै छह। हम तोरा बेर-बेर बुझबै छि‍अ। मुदा तूँ हमर गपक कोनो मानि‍ए ने दइ छहक।
फूलचन बजला-
मैलामवाली बड़ गरि‍यबै छेलै तँ ओकर फल ओ अपने भोगि‍ लेत। ओकरा हम हक्कनी नोर नै कनाए देलि‍ऐ तँ हमर नाम फूलचन नै काँटचन। अहाँ सभ जूनि‍ चि‍न्‍ता करू। हमरा बेटाकेँ कुशप-कलेप नै लगतै।
  फूलचन खलीफा आ ति‍लाठवालीक दुरागमनक दस बर्खक पछाति‍ एकटा बेटा भेल। जेकर उमेर छह मास अछि‍। ऐ दस बर्खक बीच दुनू परानी कोन-कोन गहबर आ कोन-कोन डाक्‍टर लग ने गेल। राति‍मे फूलचन मैलामवालीक खेतसँ दू कट्ठाक मसुरी उखाड़ि‍ अनलक आ राति‍एमे बरद आ महिंसकेँ खुआ लेलक। जखनि‍ राति‍मे मसुरी बाेझ लऽ कऽ आएल तँ हुनकर बाबूजी जगले रहथि‍न। कहलखि‍न-
बौआ, एहेन काज किए करै छह। ई नीक गप नै।
फूलचन बापकेँ डँटैत बजला-
तों चूप रहऽ। मैलामवालीक खेतमे कोनो जजाति‍ नै रहए देबै। नै देखलक जे भोरे-भोरे बेटा लगा-लगा गरि‍यौने रहए।
भोरमे मैलामवाली जखनि‍ दुनू कट्ठाक मसुरी उखारड़ल देखलक तँ ओ फेर गरि‍यौनाइ शुरू केलक। मसुरी उखरनि‍हारक बेटाकेँ सरापए लगल।
बनबारी मड़र सोचलक जे आब कोनो उपए करक चाही। नै तँ फूलचनमाक आदति‍मे सुधार नै हएत।
फूलचन खलीफा बेरू पहर ताड़ी पीबैले नरहि‍या गेला तही बीच मड़र ति‍लाठवालीसँ वि‍चार केलक।
बनबारी मड़र ति‍लाठवालीकेँ कहलक-
राति‍मे, अपन कनचनमाबला खेतसँ एक बोझ बदाम उखाड़ि‍ आनब आ बरद-महिंसकेँ खुआ देब। जखनि‍ फूलचनमा भोरमे खेत देखत तखनि‍ ओकरा जजाति‍क नोकसानक मरम बुझेतै। कहबै नै से धि‍यान रखब।
ति‍लाठवाली कहलक-
हमहूँ साँझखि‍न ओछाइन पकड़ि‍ लेब। जखनि‍ खलीफा ताड़ी पीब कऽ नरहि‍यासँ औत तखनि‍ बौआक बेरामक बहन्ना करब। कहबै जे बौआ दुखि‍त भऽ गेल अछि‍। अही बहन्नासँ खलीफाकेँ बुझाएब।
मड़र बजला-
ठीक वि‍चार केलह हेन।
राति‍मे जखनि‍ फूलचन ताड़ी पीब नि‍साँमे बुत्त भऽ माँछ नेने अँगना आएल तँ ति‍लाठवालीकेँ हाक देलक। मुदा ति‍लाठवाली घरसँ नै नि‍कलल आ ने कि‍छु बजबै कएल। तीन-चारि‍ हाक सुनला पछाति‍ ति‍लाठवाली घरेसँ बाजलि‍-
की कहै छै। बौआक बड़ मन खराप छै। माइर चि‍चि‍आइ छेलै। कखनो मुँह सापुटे ने लइ छै। चारि‍ बेर उन्‍टीओ भेलै गऽ। दूधो ने धड़ै छेलै। केतेक गोसाँइ-पीतरकेँ कबुला केलि‍ऐ गऽ तखनि‍ जा कऽ अखनि‍ सूलत गऽ। लोकक हहंकाल पड़ि‍ रहल गऽ। एकरा बेर-बेर कहै छि‍ऐ जे केकरो जजाति‍ नै वि‍द्दत करौ, केकरो कोनो अपराध नै करौ मुदा हमर के सुनै छै।
पत्नीक बात सुनि‍ फूलचनक नि‍साँ फाटि‍ गेल। माँछक झोरा टाटमे टांगि‍ घर गेल आ बेटाकेँ देखलक।
ति‍लाठवाली फेर बाजलि‍-
बड़ी काल तक कनै छलए। अखने सूतल गऽ ई बाहर जाउ। बि‍नु हाथ-पएर धोने बच्‍चा लग आबि‍ गेलै।
फूलचन बजला-
एक कि‍लो भाकूर माँछ अनने छी। माँछकेँ की करब। जौं राति‍मे नै तरब तँ मोहकि‍ जाएत।
ति‍लाठवाली बाजलि‍-
ताबे ई फाँसूल लऽ कऽ माँछ बनौत। बौआ जखनि‍ नीक जकाँति‍ सूति‍ रहत तखनि‍ हम आबि‍ कऽ भानस करब।
  फूलचन अपनेसँ माँछ बनबए लगल। राति‍मे खेनाइ अबेरसँ बनल। खाति‍-पीबैत अधरति‍या भऽ गेल। आइ फूलचन भि‍नसरबामे महिंस पोसर चरबैले नै गेल। कि‍एक तँ अबेर सुतने नीने ने टुटलनि‍।
  भोरमे जखनि‍ ओ पोखरि‍ दि‍स जाइत रहथि‍ तँ अपना खेतमे लगधग दस धूर बदाम उखाड़ल देखलनि‍। देखि‍ते सौंसे देहमे जेना आगि‍ नेस देलकनि‍। बताह भेल गामपर आबि‍ अन्‍ट-सन्‍ट बजए लगला-
केकरा होसपीटल जाइक मन भेलैए जे हमर बदाम उखाड़ि‍ अनलक। जौं कनि‍को पता चलि‍ जाएत तँ ओकरा अधमौगति‍ कऽ होसपीटल पठा देब। गाममे आब केकरो बदाम नै रहब देब। सबहक बदाम उखाड़ि‍-उखाड़ि‍ बरद-महिंसकेँ खुआ देब।
दलानपर घरबलाकेँ बताह भेल देखि‍ ति‍लाठवाली अँगनासँ डेढ़ि‍यापर आबि‍ घरबलासँ पुछलक-
मर, की भेलै गऽ जे एना बताह भेल छै?”
फूलचन बजला-
अपना खेतसँ दू कट्ठा बदाम उखाड़ि‍ कि‍यो लऽ अनलक। हम आब केकरो रवि‍-राइ नै रहए देब। सभटा उखाड़ि‍ आनि‍ माल-जालकेँ खुआ देब।
ति‍लाठवाली बाजलि‍-
एहेन काज फेर जूनि‍ करह। राति‍मे केतेक देवता-पि‍तरकेँ कबुला केलौं तब जा कऽ बौआ नीक भेल। हम धरमराज बाबाकेँ कहलि‍ऐ- जौं हमरा बौआक मन नीक भऽ जाएत तँ फेर खलीफा केकरो कोनो अपराध नै करत।
बेटा नामपर फूलचन कि‍छु शान्‍त भेल। शान्‍त भेल देखि‍ ति‍लाठवाली बाजलि‍-
बदाम उखाड़ि‍ लेलकै तँ की हेतै। भगवान हमरा ओहीमे पूरा कऽ देथि‍न। अहाँ महिंस दूहू चाह बना दइ छी।
ताबेतमे बुरहा बनबारी मड़र पहुँच पुछलखि‍न-
बौआ, किए हल्‍ला करै छेलहक? हम तोहर हल्‍ला सुनि‍ ि‍बनु कुर्रा केने पोखरि‍क घाटपर सँ दौगल एलौं हेन।
फूलचन बजला-
बाउ हौ, राति‍मे कि‍यो अपना कंचनमाबला खेतसँ दू कट्ठा बदाम उखाड़ि‍ लेलक। तँए जोर-जोरसँ हल्‍ला करै छेलि‍ऐ।
अच्‍छा, पहि‍ने महिंस दूहऽ अबेर भऽ गेल। चाहो पीअब।
ससुरक गप सुनि‍ ति‍लाठवाली बि‍च्‍चेमे बाजलि‍-
बाबू, यएह एकरा समझाबथुन। लोकक हहंकाल पड़ै छै। राति‍मे बौआक मन खराप भऽ गेल छेलै। केतेक काल देव-धरमकेँ सुमरलौं तब बौआ नीक भेल। गौनाक दस बर्खक पछाति‍ धरमराजबाबा एकटा बेटा देलथि‍। गामक लोक बझि‍बा-बझि‍नि‍याँ कहै छेलए। आब जे केकरो ई केकरो कोनो अपराध करत तँ हम बौआ लऽ नैहरा चलि‍ जाएब। अपन बरद आ महिंसकेँ आनक जजाति‍ उखाड़ि‍-उखाड़ि‍ खुआबैत रहत।
बनबारी मड़र फूलचनकेँ कहलखि‍न-
बौआ, बहुरि‍या नीके कहै छह। केकरो जजाति‍ नै वि‍द्दत करहक। जजाति‍ लगबैमे बड़ मेहनति‍ लगै छै। देखहक तँ तोहर बदाम उखाड़ि‍ लेने तोरा केहेन समुच्‍चा देहमे आगि‍ नेसने छह। तहि‍ना तँ आनो गोटेकेँ होइत हएत ने। तोँ केतेक गोटेकेँ खेसारी पोसर खोलि‍ चरबै छह। केतेक गोटेकेँ मसुरी आ बदाम उखाड़ि‍ बरद-महिंसकेँ खुआ दइ छहक। जेहने अपन जजाति‍ तेहने ने अनको। जहि‍ना तोरा आइ कठ होइ छह तहि‍ना ने आनोकेँ होइत हएत।
फूलचनक भक्क खूजि‍ गेल। पि‍ताक पएर छूबि‍ सप्‍पत खेलक। जे आइ दि‍नसँ हम ने केकरो जजाति‍ वि‍द्दत करब आ ने कोनो अपराध।


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