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Wednesday, October 23, 2013

चौड़चनक दही

चौड़चनक दही

आइसँ चौड़चन पावनि‍ चारि‍ दि‍न अछि‍। चारि‍म दि‍न तँ पावनि‍ हेबे करत। तँए ओइ दि‍न दही नै पाैड़ल जाएत। सोमनी जन्‍मअष्‍टमीसँ पहि‍नहि‍ गुरकी हटिया बनगामासँ तीनटा छाँछी आ दूटा मटकुरी कि‍न कऽ अनने छलि‍। सोचलक जे पहि‍ने कीनलासँ बासन सस्‍ता हएत मुदा से नै भेल। पाँचटा माटि‍क बासन पच्‍चीस टाकामे भेल। अपना तँ ने महिं‍से छल आ ने गाइए। सोमनी सोचलक अपना गाए-महिंस नै अछि‍ तँ की हेतै सौंसे गाममे तँ गाइए-महिंस अछि‍। की हमरा दस गिलास दूध नै हएत। जौं दूओ-दू गि‍लास कऽ कए पाँच गोटे दूध दऽ देलक तैयो पाँचटा बासनमे दही भऽ जाएत। मरड़ लेल खीर रान्‍हैले भजैत आेइ‍ठामसँ एक्‍को गि‍लास दूध लऽ आनव केनाहि‍ओ कऽ पावनि‍ कऽ लेब।
सोमनी आ मंगल दू परानी। मंगल दि‍ल्‍लीमे दालि‍ मि‍लमे नौकरी करैत। सोमनी गाममे खेती-वाड़ीक काज करति‍। सोमनी-मंगलक परि‍वारमे पाँच गोटे छल। सोमनी, मंगल, बेटा राधे आ बेटी फूलि‍या, गुलबि‍या। पाँचो परानीक नाओंपर सोमनी पाँचटा बासनमे दही पाैड़ चौठी चाँद महराजकेँ हाथ उठबैत छलि‍। सोमनीकेँ एक बीघा खेत छल। एकटा बरद रखने छल। गामेमे बितबासँ हरक भाँज लगौने रहए। नूनू बाबूक दस कट्ठा खेतो बटाइ करैत छलि‍। अपन खेतीक बाद हर बेचि‍ओ लैत छलि‍। जइसँ कि‍छु रूपैआ सेहो भऽ जाइत छेलै। मंगल तँ दि‍ल्‍लीएमे कमाइत छल तँए बितबा सोमनीओक खेतमे हर जोति‍ दैत छल। बितबाकेँ अपन डेढ़ बीघा खेत छल आ एक बीघा बटाइ करैत छल। तँइ बितबा सेामनीओक खेत जोति‍ दैत छल। बितबाकेँ हर जोतैक बदलामे सोमनी बितबाकेँ खेत रौपि दैत छलि। दुनू गोटेमे मि‍लानी खुब रहए।
काल्‍हि‍ चौड़चन छी मुदा आइ साँझ धरि‍ सोमनीकेँ कि‍यो एक्‍को गि‍लास दूध नै देलक। जे ओ कोनो बासनमे दैत। ओकर मन घोर-घोर भऽ गेल। ओ बड़ खौझा गेलि‍। अपना आंगनमे खौंझाइत बजलि‍-
हमर बेगरता लोककेँ नै हेतै। जँ गाममे रहब तँ आइ ने काल्‍हि‍ हमरो बेगरता लोककेँ पड़बे करतै। तहि‍या मन पाड़ि‍ दैबनि‍।‍ माएकेँ खौंझाइत देखि‍ बेटा राधे बाजल-
माए गै, चुनचुन बाबा जे मरल रहथिन तँ हुनकर भोजमे देखलि‍ऐ पोडरक दही पाैड़ने। चौकोपर दैखै छीऐ जइ चाहबलाकेँ दूध सधि‍ जाइए तँ पाउडरेकेँ घोड़ि‍ कऽ चाह बनबैत अछि‍। कह ने तँ चौकपर सँ आधा कि‍लो पोडर आनि‍ दइ छि‍ओ। ओकरा खूब कऽ औंट लि‍हेँ आ बासन सभमे दही पाैड़ लि‍हेँ।‍
  बेटाक बात सुनि‍ सोमनी बाजलि‍-
पोडरबला दूधक दहीसँ पावनि‍ केना हएत।‍
राधे बाजल-
जँ गाए, महिंसक दूध नै भेटलौ तँ की करबीही। पोडर तँ गाइए महिंसि‍क दूधकेँ बनैत अछि‍।‍
सोमनी गुन-धुन करैत बजली-
ठीक छै। जँ चौठी चाँद महराज अपना गाए-महिंस नै देने छथिन तँ पोडरेक दूधसँ पावनि‍ करब। जो भुटकुनक दोकानसँ आसेर नीमनका पाेडर नेने आ।‍ आ हे दू टाकाक जोरनले दहीओ लए लिहेँ।
राधे चौकपर वि‍दा भेल। ओतएसँ पोडरबला दूध नेने आएल। ओइ दूधकेँ औट दही पौड़लक।
आइ चौड़चन छी। भोरे सोमनी राधेकेँ लोटा दऽ कऽ बितबा आेइ‍ठाम दूध आनेले पठौलक। बितबा आइ बैसले अछि‍ कि‍एक तँ पावनि‍ छीऐ। राधेकेँ देखि‍ते बाजल-
लोटा रखि दही दूध खीर रन्‍हैले हम तोरा माएकेँ गछने छेलि‍ओ मुदा अखनि नै हेतौ। साँझमे लऽ ज‍इहेँ।‍
 साँझखन जखनि राधे दूध अनैले गेल। बितबा चाहबला गि‍लाससँ एक गि‍लास दूध देलक। दूध देखि‍ सोमनी दुखी भऽ गेलि‍। सोचलक जे एतबे दूधसँ खीर केना रान्‍हल जाएत। मुदा कोनो उपाए नै‍। तँए ओही दूधमे पानि‍ मि‍ला खीर रान्‍हलक।
सोमनी चौठी चाँद महराजकेँ हाथ उठबैत कहलक-
हे चौठी चाँद महराज जँ हमरा दरबज्‍जापर एकटा नीक लगहरि‍ गाए भऽ जाएत तँ अगि‍ला साल एक छाँछी दही आओर देब।‍
राति‍ नअ बजे दि‍ल्‍लीसँ मंगलक फोन आएल। घरेक बगलमे एक गोटे मोबाइल रखने अछि‍। ओकरे मोबाइलपर सोमनीकेँ फोन अाएल। सोमनी फोनपर मंगलसँ गप केलक। कुशल-समाचारक बाद मंगल कहलक-
आइ चौड़चन पावनि‍ छी, अहाँसब भरि‍ मोन खीर, पुरी, दही खेने हएब।‍
सोमनी उदास होइत बजली-
की भरि‍ मन खएब, दही पौड़ैले कि‍यो एक्को फुच्‍ची दूध नै देलक। पोडरक दही लए कऽ पावनि‍ केलौं गऽ मरड़क खीर रान्‍हैले भजैत एक्के फुच्‍ची दूध देलक। एक फुच्‍ची दूधसँ केहेन खीर हएत।‍
मंगल कहलक-
‍अहाँ मोन जुनि‍ छोट करू, हम फगुआमे गाम अबै छी तँ एकटा नीक लगहरि‍ गाए कीनि‍ कऽ आनि‍ देव। दूध खेबो करब आ बेचबो करब। दूटा पाइ हएत तँ नूनो-तेल चलत। बेटी सभ घास काटि‍-काटि‍ आनि‍ देत।
सोमनीक मन खुश भऽ गेल।
फगुआमे मंगल गाम आएल तँ सोमनीकेँ गाए कीनि‍ देलक। गाए अध कि‍लौआ बार्ली डि‍ब्‍बासँ छह डि‍ब्‍बा भोर आ चारि‍ डि‍ब्‍बा दुपहर लगैत छल। जाबे धरिमंगल गाममे रहल ताबे ओ अपने गाए दुहैत। जखनि मंगल दि‍ल्‍ली चलि‍ गेल तँ सोमनीए गाए दुहए लगली। भोरका दूध बेचि‍ लइ छेली आ दुपहरका दूध परि‍वारेमे खाइत। बेटी फुलि‍या आ गुलबिया घास आनि‍-आनि‍ कऽ खुअबै। एक दि‍न फुलि‍या लगमावालीक खेतक आरि‍पर कनी घास काटि‍ लेलक। तइले लगमावाली फुलि‍या आ ओकर माए सोमनीकेँ बि‍खनि‍-बि‍खनि‍ कऽ गरि‍यौलक। सोमनी फुलि‍याकेँ मारबो केलक आ लगमावालीसँ गलतीओ मानलक।
समए बि‍तैत देरी नै लगैत छै। आइ कुसी अमवसि‍या छी। पाँचम दि‍न चौड़चन पावनि‍ हएत। काल्‍हि‍सँ दही पाैड़ल जाएत। सोमनीक दरबज्‍जापर एमकी लगहरि‍ गाए चौठीचान महराज देने छथि‍न। सोमनी सोचलक जे एम्‍की सभ बासनमे नीक जहाँति‍ दही पाैड़ब। ओकरा पाैरुकाँ सालक सभ गप्‍प मन रहए जे कि‍यो एक्‍को  ि‍गलास दूध नै देलक तँ पोडरक दही लए कऽ पावनि‍ केलौं। मने-मन वि‍चारलक जे हमहूँ केकरो दूध नै देबै।
आइसँ चौड़चनक दही पाैड़ल जाएत। भोरे मुसबा लोटा नेने सोमनी ऐठाम दूध लइ लए आएल। राधे कहलक-
‍माए गै, पौरुकाँ साल अपना कि‍यो एक्‍को गि‍लास दूध नै देने रहौ तँइ केकरो दूध नै दे।
सोमनी सोचलक जँ सिं‍ग्‍हेसर बाबा लगहरि‍ गाए देने छथि‍। तँ पावनि‍ नाओंपर सभकेँ कि‍छु ने कि‍छु दूध देबे करब। जत्ते गोटे सोमनी ऐठाम दूध ले आएल सोमनी सभकेँ दूध दऽ वि‍दा केलक। ओकर अपन छओटा बासन लए मात्र दू गि‍लास दूध बँचल। ओहो काल्‍हि‍ पावनि‍ छि‍ऐ तँ आइ दुपहरक। सोमनी ओही दू गि‍लास दूधकेँ छओ वासनमे दही पाैड़लक।
  आइ चौड़चन छी भोरेसँ लोक सभ लोटा लए लए सोमनी ऐठाम दूध ले पहुँचल। लगमावालीक बेटी दुखनी सेहो अएल। फूलि‍या सोमनीकेँ कहलक-
माए गै, दुखनीकेँ दूध नै दहीन। ओकर माए कनि‍ए घासले गि‍रि‍औने रहौ।‍
सोमनी बाजलि‍-
पावनि‍ले सभकेँ दूध देबै। गारि‍ देलक तँ की भेल एकठाम रहलासँ तँ आहि‍ना लड़ाइ-झगर होइत छै तँ कि ओइ बातकेँ जि‍नगी भरि‍ मन रखने रहब ओइसँ की‍ हएत।‍ अनेरे टेंसन रहत।
सेामनी भोरका सभटा दूध लोककेँ दऽ देलक। ओइ दूधक केकरोसँ पाइओ नै लेलक। दुपहरका दूध दूहि‍ कऽ एक गि‍लास दूध भजैत वि‍तबाकेँ आ एक गि‍लास मालि‍क नूनू बाबू आेइ‍ठाम पठौलक। एक गि‍लास अपने रखलक। साँझमे जखनि मरड़ लए सोमनी खीर रान्‍हैले बैसली तखने बेरमावाली आबि‍ गेलि‍। ओ कहऽ लगली-
यै दाइ, हमरा तँ खीर रान्‍हैले दूधे ने भेल। जि‍तबा अखुन्‍का नाओं कहने रहए। मुदा जखनि बेटाकेँ दूधले पठौलि‍ऐ तँ नै देलक। आब कथी लऽ कऽ मरड़क खीर रान्‍हब?”
सोमनी अपनाले जे दूध रखने रहए आेइ‍मेसँ अधा दूध बेरमावालीकेँ देलक। साँझमे सोमनी चौठीचाँद महराजकेँ हाथ उठबैत कहली-
हे चौठीचाँद महराज, हमरा दरबज्‍जापर अहि‍‍ना लगहरि‍ गाए देने रहू तँ हम सभकेँ पावनि‍ लए दूध दैत रहब।‍

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