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Wednesday, October 23, 2013

डाक्‍टर बेटा

डाक्‍टर बेटा

रामकुमार चटिया सभकेँ पढ़ा अँगना एला तँ पत्नीकेँ कनैत देखलनि। देखिते ओ अकबका गेला। पुछलखि‍न-
की भेल?”
पत्नी कनिते कहलकनि-
छि‍टहीसँ बाबूजी फोन केने रहथि‍न, माएकेँ लकबा मारि देलक। बजबो-भुकबो ने करै छै।
रामकुमार पुछलकनि-
कहि‍या लकबा मारलक?”
पत्नी कहलकनि-
परसू रातिमे। बाबूजी बजै छेलखि‍न जे बँचत कि नै तेकर कोनो ठीक नै। अपना सभकेँ परसू रातिएसँ फोन लगबै छेलखि‍न मुदा फोने ने लगलनि।
रामकुमार बाजल-
तखनि तँ आइए छि‍टही जाए पड़त। माएक उमेरो तँ अस्‍सीसँ कम नै हेतनि‍। काेन ठीक कखनि‍ चलि‍ जेती। चलू दस बजीआ बस पकड़ि‍ ली। ओना तँ गहुमक दौनी करब जरूरी अछि‍। रहि-रहि कऽ मेघ अबै छै। जँ बरखा भऽ जाएत तँ बुझू गहुमक खिजानैत भऽ जाएत। थ्रेसरबला शम्‍भु कल्हुका नाओं कहने रहथि‍। मुदा अपना नै रहने दौनी केना हएत। शंभुकेँ फोन लगा कहि दइ छि‍यनि‍ जे हम काल्हि‍ नै रहब अन्‍तए जा रहल छी। ओतएसँ एला पछाति‍ दौन कराएब। अच्‍छा जे हएत से हएत। माएक जि‍ज्ञासा करब तँ जरूरीए अछि‍। हुनका सभकेँ के छन्‍हि‍। एकटा बेटो छन्‍हि‍ जे पटनामे डाक्‍टरी करै छथि‍न, परि‍वार लऽ कऽ ओतइ रहै छथि‍न।
छि‍टहीवाली बजली-
एकटा काज करू, खेखनाकेँ बजा गहुमक बोझ कड़ीआ दि‍यौ आ ऊपरसँ ति‍रपाल ओढ़ा झाँपि‍ दियौ। बरखो हएत तँ नोकसान नै हएत। छि‍टहीसँ कहि‍या आएब तेकर कोन ठेकान।
रामकुमार कहलकनि‍-
ठीके कहै छि‍ऐ। ति‍रपाल तँ अछि‍ए कनी मेहनति‍ करए पड़त। दसबजीआ बस नै पकड़ि‍ बरहबजीआ पकड़ए पड़त। गहुम झाँपल रहने चि‍न्‍ता नै रहत।
सएह केलनि। गहुमकेँ सेरि‍आ झाँपि‍ देल गेल। गौरकेँ पड़ोसीआक जि‍म्‍मा लगा, घरमे ताला मारि‍ दुनू परानी बेटाकेँ लऽ छि‍टही वि‍दा भेला।
  रामकुमार एकटा छोट कि‍सान। मात्र दू बि‍घा खेतक मालिक। ओना तँ एम.ए. पास छथि‍। मुदा बेरोजगार। कतेको बेर सरकारी नौकरी लेल परि‍यासो केलनि‍ मुदा ऐ जुगमे भगवान भेटब असान अछि‍ मुदा सरकारी नौकरी कठि‍न। की करता, खेतीक अलाबा चटि‍या सभकेँ टि‍शन पढ़ा कोनो धरानी अपन गुजर करै छथि‍। परि‍वारमे मात्र तीनिए‍ गोटे। दू परानी अपना आ एकटा दस बर्खक बेटा कन्‍हैया। मालो जालक नाआंेपर एकटा मात्र गौर। पत्नीओ मध्‍यमा परीक्षा पास केने मुदा ऊहो बेरोजगारे। नौकरी हेबो केना करितनि‍। जखनि‍ बी.ए., एम.ए.बला सभ झख मारैए तखनि‍ मैट्रि‍क-मध्‍यमाक कोन गप।
  छि‍टहीवालीक पि‍ता रवि कान्‍त जमानाक मैट्रि‍क छथि‍। हुनका एकटा बेटा आ एकटा बेटी। बेटाक नाआें फूल कुमार आ बेटीक सुमि‍त्रा। रवि‍ कान्‍त रजि‍ष्‍ट्री आॅफि‍समे मुनसीक काज करै छला। पहि‍ने तँ हुनका पाँच बि‍घा खेत छेलनि‍ मुदा आब घराड़ीक अलाबे मात्र दस कट्ठा बँचल छन्‍हि‍। बेटा फूल कुमार पटना मेडि‍कल कौलेजमे डाक्‍टर। नौकरीक अलाबे खानगीओ क्लिनीक खोलने छथि‍। प्राय: पाँच हजारक आमदनी भरि‍ दि‍नक छन्‍हि‍। मुदा एक नम्‍बरक मक्‍खीचूस आ अबेवहारि‍क। बहि‍न-बहनोइसँ कोनो सरोकार नै। माए-बाबू फोन-पर-फोन करैत रहै छन्‍हि‍ मुदा हुनका लेल धैनसन। गाम एबो केना करता। कमतीमे चारि‍ दि‍न तँ लगतै जे बीस हजारक अामदनीपर पानि‍ फेड़त, कहबीओ छै बाप बड़ो ने मैया सभसँ पैघ रूपैआ।
  झलअन्‍हारीमे राम कुमार परि‍वारक संग सासुर पहुँचला। गामक बीचमे सुमि‍त्राक पि‍ताक घर। अँगनामे पच्‍छि‍मसँ पूब मुहेँ एकटा ओ दोसर घर पूबसँ पच्‍छि‍म मुहेँ। ईंटाक देबाल आ ऊपरसँ खपड़ा। अँगनाक उत्तर आ दछि‍नसँ देबाल दऽ घेरल। उत्तरवरि‍ये कातसँ अँगना एबा-जेबाक रस्‍ता। दछि‍नवरि‍या देबालपर एकचारी जइमे भानस-भात होइए। पछवरि‍या ओसारपर चौकी जइपर सुमि‍त्राक माए सूतल छेली। रवि‍ कान्‍त बुढ़ीक पाँजरमे बैसल छला। ओसारि‍क कोरोमे लालटेन टाँगल छल।
  राम कुमार सुमि‍त्रा आ कन्‍हैया अँगना पहुँचला। सभ गोटे रवि‍ कान्‍तक पएर छूबि‍ गोर लगलकनि‍। सुमि‍त्रा बेटी जमाए आ नाति‍केँ देखि‍ रवि‍ कान्‍तक छाती सूप सनक भऽ गेल। ओ कुरसी आनि‍ जमाएकेँ बैसैले देलखि‍न‍। सुमि‍त्रा माएक पाँजरमे जा बैसली। रवि‍ कान्‍त चाह बनबैले चुल्हि‍ पजारए लगला। राम कुमार कहलखि‍न-
बाबूजी, अखनि‍ चाह बनेनाइ छोड़ि‍ देथुन पहि‍ने एतए आबथु।
माएक पाँजरमे बैसल सुमि‍त्रा माएकेँ ि‍हलबैत बजली-
माए, माए। माए गै, माए।
मुदा बुढ़ीक शरीरमे कोनो हरकति‍ नै भेलनि‍। सुमि‍त्राक आँखि‍सँ दहो-बहो नोर जाए लगल। हुनकर बाबूजी कहलखि‍न-
गै बताहि‍। आब माए थोड़े बजतौ। दू-चारि‍ दि‍नक मेहमान छि‍यौ। परसू राति‍मे जे खसलौ से खसलै छौ। कखनो-कखनो आँखि खोलि‍ चारू दि‍स तकै छौ। ठोरो पटपटबै छौ मुदा मुँहसँ अवाज नै नि‍कनि‍ पबै छै।
पि‍ताक बात सुनि‍ सुमि‍त्रा बोम फाड़ि‍ कानए लगली। राम कुमार ससुरसँ पुछलखि‍न-
डाक्‍टर भैयाकेँ फोन नै केलखि‍न?”
रवि‍ कान्‍त जवाब देलकनि‍-
परसूए जखनि‍ अहाँक सासु गि‍रल तखने फूलबाबूकेँ फोन केलौं तँ ओ कहलक, अखनि‍ बड़ बि‍जी छी, घंटा भरि‍ पछाति‍ फोन करब। अहाँ सभकेँ लगेलौं तँ सुइच‍ आॅफ कहलक।
रामकुमार कहलखि‍न-
हँ परसू मोबाइलक बैटरी चार्ज नै रहए। की कहबनि‍, हमरा गाममे ने बि‍जलीए छै आ ने जेनरेटरे। नरहि‍या नै तँ ि‍नर्मली जा मोबाइल चार्ज करबै छी। काल्हि‍ ि‍नर्मली गेल रहि‍ऐ तँ ओतइ चार्ज करौलि‍ऐ। अच्‍छा तँ, राति‍मे डाक्‍टर साहैबसँ बात भेलनि‍?”
रवि‍ कान्‍त कहलखि‍न-
राति‍मे फोन लगौलि‍ऐ तँ सुइच‍ ऑफ कहलक। भि‍नसर भेने जखनि‍ फोन लगेलौं तँ कनि‍याँ उठबैत कहली जे अखनि‍ एकटा रोगीमे लगल छथि‍। बारह बजे करीब फोन करए कहली। बारह बजे फोन केलौं तँ फूलबाबूसँ गप भेल। कहलक, कोनो डाक्‍टर बजा माएकेँ देखा दि‍यनु आ डाक्‍टर जे कहता से हमरा फोनपर बताएब। जौं पाइ-कौड़ीक अभाव हुअ तँ ताबए इंजाम कऽ काज करब पछाति‍ हम पठा देब। चौकपर सोम आ शुक्र दि‍न एकटा डाक्‍टर अबै छथि‍न। ओना तँ हुनकर क्लिनीक सि‍मराही बजारमे छन्‍हि‍ मुदा हाटे-हाट रमण जीक दबाइ दोकानपर रोगी सभकेँ देखै छथि‍न। काल्‍हि‍ सोम रहने डाक्‍टर साहैब लग गेलौं तँ देखलि‍ऐ भाड़ी भीड़। रोगी सभकेँ देखैत-देखैत साँझ पड़ि‍ गेलनि‍। सि‍मराहीओ जेबाक रहनि‍। मुदा रमणजीकेँ कहलि‍यनि‍ तँ डाक्‍टर साहैबकेँ कहलखि‍न जे हि‍नको बेटा डाक्‍टर छथि‍न तखनि‍ अपना ऐठाम एला। आला लगा देखलखि‍न, ब्‍लडपेसर सेहो जँचलखि‍न आ कहला जे बढ़ल छन्‍हि‍ जइसँ लकबा मारि‍ देलकनि‍। दबाइ सभ लि‍खि‍ कहलखि‍न चलए दि‍यौ। काल्‍हिसँ आइ धरि‍ दस बोतल पानि‍ चढ़ि‍ गेलनि‍ मुदा कोनो सुधार नै भेलनि‍। खाली कखनो-कखनो आँखि‍ खोलि‍ तकैत रहै छथि‍न जेना केकरो खोजैत हुअ।
ई कहैत कहैत रवि‍ कान्‍तकेँ बुकौर लगि‍ गेलनि‍। आँखि‍सँ टप-टप नोर झहरए लगलनि‍। पि‍ताकेँ कनैत देखि‍ सुमि‍त्रा सेहो कानए लगली। रामकुमार फेरो पुछलकनि‍-
डाक्‍टर भैयाकेँ फेर फोन केलि‍यनि‍ आकि‍ नै?”
रवि‍ कान्‍त कहलखि‍न-
राति‍एमे फोनपर सभ बात बतौलि‍ऐ। तैपर फूलबाबू कहलक, काल्हि‍ दू बजै सि‍मराही जा डाक्‍टर साहैबकेँ सभ बात कहि‍हक। मुदा अपनासँ फूलबाबू फोन कऽ माएक हालति‍ नै पुछलक। जेते बेर फोन केलौं हमहीं केलौं।
बि‍च्‍चेमे सुमि‍त्रा पि‍ताकेँ पुछलखि‍न-
भौजीओ ने फोन केलक?”
रवि‍ कान्‍त बजला-
गै बताहि‍, जौं अपन जनमल नै पुछलक तँ आनक कोन बात। तोरा तँ सभ गप बुझले छौ जे केते कठि‍नसँ ओकरा पढ़ैलौं।
सुमि‍त्रा बजली-
से कोनो हमरा नै देखल अछि‍। अहाँक कमाइसँ पूरा नै भेल तँ माएक सभटा गहना-जेबर बेचि‍ कऽ दऽ देलि‍यनि‍। तहूसँ नै भेल तँ जमीनो बेचि‍ दऽ देलि‍यनि‍। हँ तँ सि‍मराहीवला डाक्‍टर लग गेलि‍ऐ तँ ओ की कहलनि‍?”
रवि‍ कान्‍त बजला-
कहलनि‍ जे लकबा मारने छन्‍हि‍। उमेरो अस्‍सीसँ ऊपरे हेतनि‍ से आब उठब मोसकि‍ल छन्‍हि‍। अपना जानि‍ जे सेवा कऽ सकबनि‍ से करि‍यनु।
  राति‍मे सुमि‍त्रा सबहक खेनाइ बनौलक। खेनाइ खा रामकुमार कन्‍हैया आ रवि‍ कान्‍त सुतैले चलि‍ गेला। सुमित्रा माएक पाँजरमे बैसल छेली। राति‍म एगारह बजे बुढ़ीक शरीरमे हरकति‍ भेल। आँखि‍ ताकि‍ बजली-
बौआ नै आएल? डाकडर बौआ हौ डाकडर बौआ?”
सुमि‍त्रा टोकलकनि‍-
माए हम छि‍यौ, सुमि‍त्रा गोर लगै छि‍यौ।
के, बुच्‍ची? कखनि‍ एलँह? पाहुनो एलखुन हेन?”
हँ ऊहो आएल छथि‍न आ कन्‍हैयौ आएल अछि‍।
तखने रवि‍ कान्‍त एलखि‍न आ राम कुमार सेहो।
गोर लगै छि‍यनि‍ माए।
रामकुमार बुढ़ीक पएर छुबैत कहलखि‍न।
नीक्के रहथु। जुग-जुग जीबथु। डाकडर बौआ नै आएल। आब ओकर मुँह नै देखबै। पोताक देखैक सि‍हन्‍ता नेनहि‍ मरि‍ जाएब।
रामकुमार कहलखि‍न-
हि‍नका कि‍छु नै हेतनि‍। हम भि‍नसरे डाक्‍टर भैयाकेँ फोन कऽ गाम बजाएब।
बुढ़ी कहलखि‍न-
अच्‍छा!
अच्‍छा कहि‍ते बुढ़ीकेँ हि‍चकी उठलनि‍ आ गरदनि‍ सि‍रमापरसँ गि‍र पड़ल। सुमि‍त्रा माए-माए कहैत कानए लगली। रामकुमार बुढ़ीक नारी देखैत बजलखि‍न-
माए चलि‍ गेली!
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वाड़ीक पटुआ

वाड़ीक पटुआ

डाक्‍टर प्रमोद कलकत्ता मेडि‍कल कौलेजसँ एम.डी.क डि‍ग्री लऽ गाम एला। गाममे पि‍ताजी आ मि‍त्र सभसँ क्लिनीक खोलैक वि‍चार करए लगला। मि‍त्र सभ लहेरि‍यासरायक वि‍चार देलकनि‍। मुदा पि‍ताजी कहलकनि‍-
लहेरि‍यासरायमे तँ एक-पर-एक डाक्‍टर सभ अछि‍ए जे रोगीक इलाज करैए। कि‍छु डाक्‍टर सेवा-भावनासँ इलाज करै छथि‍ तँ कि‍छु सोलहैनी पेशा बनेने अछि‍। रंग-रंगक ढाढ़स करैत कहत जे हम डाक्‍टर छी आकि‍ अहाँ। जे कहै छी से करू नै तँ...। सोवहावि‍को छै ओइ वि‍भागक तरी-घटी, नीक-बेजाएक ज्ञान आमकेँ छैइहो नै। तँए सोलहैनी सुतरबो करै छै। से नै तँ गामेमे क्लिनीक खोलह जे सामाजोकेँ लाभ हेतै आ तोरो जि‍नगीक महत रहतह।
  डाक्‍टर प्रोमदक पि‍ता अनंत प्रसाद समाज सेवी बेकती। सबहक दुख-सुखमे संग रहए बला। केतेको मरीज सभकेँ लहेरि‍यासराय लऽ जा इलाज करा अनने छथि‍न। तँए हि‍नका सभ गपक तजुरबा छन्‍हि‍। डाक्‍टरकेँ भगवान बुझै छथि‍न मुदा डाक्‍टरो तँ रंग-बि‍रंगक अछि‍। सेहो फर्क करैत रहै छथि‍न। प्रमोदकेँ डाक्‍टरी पढ़ेबाक उदेस छेलनि‍ जे गाम-देहातमे समैपर इलाजक अभावसँ केते लोक काल-कलवित भऽ जाइए। तँए देहातोमे डाक्‍टर जरूरी छै। ओ केतोको डाक्‍टरकेँ आग्रह सेहो केलखि‍न मुदा कि‍यो तैयार नै भेलनि‍। मुदा डाक्‍टर प्रमोद तँ अपन खून छि‍यनि‍। हुनकापर अनंत प्रसादकेँ तँ पूरा अधि‍कार छन्‍हि‍। ओना डाक्‍टर प्रमोदोमे पि‍ताक गुण-बेवहार छन्‍हि‍। जखनि‍ ओ मेडि‍कल कौलेजमे एम.डी.क पढ़ाइ कऽ रहल छला तहू समैमे केतेको मरीज सभकेँ मदति‍ केने रहथि‍न। अनंत प्रसादक कहब रहनि‍ जे बेरमेमे क्लिनीक खोलल जाए। मुदा बेरमामे तँ खून, लगही, पैखाना इत्‍यादि‍क जाँचक तँ सुवि‍धा नै अछि‍ तँए सबहक वि‍चार भेल जे प्रमोद ि‍नर्मलीमे क्लिनीक खोलता आ सप्‍ताहे-सप्‍ताह बेरमामे समए देथि‍न। अनंत प्रसाद प्रमोदकेँ कहलखि‍न-
बौआ, सेवाक भावनासँ मरीजक इलाज करि‍हऽ। भगवान अहीमे बड़्क्कति‍ देथुन। एकर मतलब ईहो नै जे सोलहैनी फोकटेमे इलाज करब। अपन उचि‍त फीस लऽ रोगीक इलाज करि‍हऽ। तहि‍ना उचि‍त दबाइओ आ जाँचो करबि‍हक।
डाक्‍टर प्रमोद कहलकनि‍-
सएह करब बाबूजी।
  ि‍नर्मलीमे क्लिनीक खोलला छह मास नै बि‍तल हएत। परोपट्टामे हुनकर नाओंक डंका बाजए लगल। रोगी आ रोगीक संबन्‍धी सभ डाक्‍टर साहैबकेँ जश दिअ लगलनि‍। जड़दगरसँ जड़दगर ि‍बमारी डाक्‍टर साहैब ठीक केलखि‍न। सभसँ पैघ बात ई जे गरीब रोगीक इलाज बि‍नु फि‍सेक करै छथि‍न। दबाइओ फाजील नै लि‍खै छथि‍न तँए रोगी सबहक भीड़ लगल रहैए। रवि‍ दि‍न छह बजीआ ट्रेन पकड़ि‍ राेगी देखए बेरमा चलि‍ जाइ छथि‍न। ओतौ बहुत रोगी सभ रहैत अछि‍। सभ रोगीक इलाज कऽ रतुका ट्रेनसँ आपस ि‍नर्मली चलि‍ अबै छथि‍न। बेरमामे बेसी रोगी रहलापर कखनो काल अँटकैओ पड़ै छन्‍हि‍।
  डाक्‍टर साहैबक पि‍ताक मि‍त्र छथि‍न मंगनू प्रसाद। ओहो बेरमेक बासी छथि‍न। अनंत प्रसादक लंगोटि‍या संगी। डाक्‍टर साहैब मंगनू प्रसादकेँ बड़ इज्‍जति‍ करै छथि‍न। प्राय: सभ रवि‍ मंगनू प्रसाद डाक्‍टर साहैबसँ भेँट करए क्लिनीकपर आबि‍ जाइ छथि‍न। डाक्‍टर साहैब हुनका चाहो-पान करबै छथि‍न।
  आइ रवि‍ छी। आठ बजे धरि‍ डाक्‍टर साहैब बेरमा क्लिनीकपर पहुँचता। ई गप सभकेँ बूझल छन्‍हि‍। हम चौकपर चाह पीऐत रही। देखै छी जे मंगनू प्रसाद आ हुनकर पुतोहु आ पोता रि‍क्‍शापर बैस तमुरि‍या दि‍स जा रहल छथि‍। हम लग जा पुछलि‍यनि‍-
मंगनू बाबू अपने लोकनि‍ केतए जा रहल छि‍ऐ?”
मंगनू प्रसाद कहलनि‍-
तमुरि‍या जा रहल छी। ट्रेन पकड़ि‍ लहेरि‍यासराय जाएब। गोपालकेँ मन खराब छै।
तैपर हम कहलि‍यनि‍-
आइ तँ रवि‍ छी। डाक्‍टर प्रमोदो एबे करता। हुनकासँ एक बेर देखा दैति‍ऐ। इलाज तँ ओहो नीक्के करै छथि‍ आ बच्‍चे वि‍भागक छथि‍ओ।
मंगनू प्रसाद कहलनि‍-
छोड़ू, हमरा लहेरि‍येसराय जाए दिअ। हम गाम-घरक फेरमे नै रहए चाहै छी।
ई कहि‍ ओ रि‍क्‍शाबलाकेँ इशारा दैत वि‍दा भऽ गेला।
आठ बजे डाक्‍टर प्रमोद क्लिनीकपर पहुँचला। हमरो ब्‍लड प्रेशर जँचेबाक रहए तँए हमहूँ ओतै रही। हमरा मुँहसँ अनासुरती नि‍कलि‍ गेल-
तमुरि‍या टीशनपर मंगनूबाबू भेटबो केला।
डाक्‍टर साहैब कहलनि‍-
नै तँ, से की? केतए गेला हेन मि‍त्ता काका?”
हम कहलि‍यनि‍-
पोताकेँ डाक्‍टरसँ देखबैले लहेरि‍यासराय गेला हेन। हम कहबो केलि‍यनि‍ अहाँ दऽ जे एबे करता। मुदा कहलनि‍ जे छोड़ू हमरा लहेरि‍येसराय जाए दिअ।
डाक्‍टर साहैब बजला-
जाए दि‍यनु।
  लहेरि‍यासरायमे मंगनू प्रसाद अपना पोताकेँ डाक्‍टरसँ देखौलखि‍न। डाक्‍टर साहैब तीन सए फीस लेलकनि‍। दू हजारक जाँच आ छह सएक अल्ट्रसाउण्‍ड लि‍खलकनि‍। जाँच-परतालक पछाति‍ दू हजारक दबाइ लि‍खलखि‍न। अदहा दबाइसँ बेसीए दबाइ चललोपर गोपालक पेटक दरद ठीक नै भेल। तखनि‍ हारि‍-थाकि‍ कऽ डाक्‍टर प्रमोद लग ि‍नर्मली लऽ जा कहलखि‍न-
हौ डाक्‍टर, लहेरि‍यासरायमे चारि‍ हजारसँ बेसीए खर्च भऽ गेल मुदा गोपलाक दरद कनि‍योँ उन्नैस नै भेल। से कनी देखहक।
डाक्‍टर साहैब गोपालक सभटा जाँचक पुर्जा देखलखि‍न। लहेरि‍यासरायक डाक्‍टर सभटा पटनि‍याँ दबाइ लि‍खने रहै। जाँचो अनाप-सनाप करबौने छेलै। से सभ देखि‍ डाक्‍टर प्रमोद लहेरि‍यासरायक सभटा दबाइ बन्न कऽ मात्र दू सए टाकाक दबाइ लि‍खलखि‍न। तीने ि‍दन दबाइ खेला पछाति गोपालक दरद ठीक भऽ गेल।
  अगि‍ला रवि‍ मंगनू प्रसाद बेरमामे डाक्‍टर साहैबक क्लिनीकपर जा भेँट कऽ तारतम्‍य करैत कहलकनि‍-
हौ, हम तँ लहेरि‍यासराय जा ठका गेलौं। तोहर लि‍खलाहा दबाइ तीनि‍ए दि‍न खेलापर गोपला पेटक दरद सोलहैनी ठीक भऽ गेल।
डाक्‍टर साहैब मंगनू प्रसादकेँ कहलखि‍न-
यौ काका, हम तँ वाड़ीक पटुआ छी। जे तीत सभ दि‍नसँ होइत रहलै हेन।
मंगनू बाबू कि‍छु नै बजला।

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जाति-पाति

जाति-पाति

यौ नूनू भाय, धानक खेतमे तँ नम्‍हर-नम्‍हर दरारि‍ फाटि गेल। रोप सभ पि‍अर भऽ भऽ गेल। जँ छ-सात दि‍न आरो बरखा नै भेल तँ बुझू जे सभटा कएल-धएल पानिमे चलि जाएत। चंचल कहलखि‍न।
जएत नै चलि गेल। आब जे बरखा हेबे करत तैयो कि‍ सोलह आना धान थोड़े हएत। जँ दस दि‍न बरखा नै भेल तँ बुझू गेल भैंस पानिमे...। हाथो तरक आ लातो तरक समापत। नूनूजी चंचलकेँ कहलखि‍न।
गप-सप्‍पमे चंचल बजला-
हे भाय, कोनो तरहेँ बि‍हुल नदीकेँ बान्‍हू नै तँ सभटा रोप जरि‍ जाएत। भयंकर रौदीक लक्षण बुझहा रहल अछि‍। यौ आइ-काल्हि‍ आेस केते गि‍रै छै?”
तैपर नूनूजी कहलखिन-
यौ भाय, बि‍हुलकेँ बान्‍हब आब असान नै रहि गेल। दू लाखसँ बेसीए खर्च हएत। तखनि बान्ह बान्हल जा सकत। एतबे नै, पनि‍छेकि‍ बेरमे कम-सँ-कम दू सएक हँसेरी चाही जे चेका आ बालुसँ भरल सिमेंटक बोरा उगहत। दू चारि गोटेकेँ लौकही पठा नहरिक पानिकेँ फाटक गि‍रा बन्न कराबए पड़त तखने हएत।
चंचलजी बजला-
यौ भाय, अपने जँ मनमे ठानि‍ लेबै तँ बान्‍ह हेबे करत। परुकौं साल अहींक जोरपर बान्‍ह भेल। जइसँ धानक रोपनि भेल।
नूनूजी अपन बड़ाइ सुनि उत्तर देलखि‍न-
से तँ हम पाँच बेर ऐ नदीकेँ बन्हने छी। ठीक छै, परसू सखुआ परतीपर भि‍नसरे आठ बजे लोक सबहक बैसार करै छी। जँ सबहक वि‍चार भऽ जाएत तँ परसूए हाथ लगा देब।
  रबि‍ दि‍न आठ बजे भि‍नसरे सखुआ परतीपर बैसक भेल। पाँच गामक कि‍सान सभ बैसल। सबहक वि‍चार भेल, आइए बान्‍हमे हाथ लगा देल जाए। जेते देरी करब ओते रोपकेँ नोकसान हएत। मुदा रूपैआ तसलैमे तँ समए लगत। टेकटर आ जेसीबीबला तँ बि‍नु अगुरवार पाइए लेने औत नै। सभ गोटे नूनूजी सँ एक लाख टाका अपना दि‍ससँ दऽ बान्‍हमे हाथ लगा दइले आग्रह करैत कहलकनि‍-
जखनि‍ रूपैआ तसील भऽ औत तँ अहाँकेँ आपस कऽ देल जाएत।
सएह भेल नूनूजी अपन पाइ लगा काज शुरू करैले तैयार भऽ गेलखिन। काज शुरू भेल। बान्‍ह बान्‍हल गेल। सबहक खेतमे पानि‍ गेल। पि‍अर भेलहा रोप सभ पानि‍ पबि‍ते हरि‍आ गेल। सभ गोटे नूनूजीकेँ जश देलकनि‍। आपसमे रूपैआ तसील नूनूजीकेँ आपस कऽ दइ गेल।
  गामक मालिक दूर्गाबाबूक बेटा नूनूजी। लगधग पचास बीघा खेतक मालिक। जमानाक ग्रेजुएट। परोपट्टामे लोकप्रि‍य लोक। केकरो बेटीक बि‍आहमे नूनूजी बि‍नु बजौलो पहूँच एते अबस्‍स पुछै छथि‍न जे कोनो दि‍क्कतदारी तँ ने अछि‍। जँ कि‍यो बि‍मार पड़ैए तहूमे नूनूजी सलाह दइ छथि‍न जे नीकसँ इलाज होइक चाही। जँ पाइ-कौड़ीक अभाव रहल तँ मदति‍ सेहो करै छथि‍न।
  तेसर सालक गप छी। बि‍न्‍दे साहक बेटीक बि‍आह मदना गामक तेजी साहक बेटासँ ठीक भेल रहए। दू लाख टाका, एकटा पल्‍सर मोटर साइकि‍ल आ दू भरि‍ सोनपर बात पक्का भेल छल। लड़ि‍का पंचायत शि‍क्षक छथि‍न। नौकरी केनि‍हार लड़िका सबहक भौउ तँ अनेरे बढ़ल रहैए। जखैन कि‍‍ लड़िका भैयारीमे असगरे आ पाँच बीघा खेतो। तेजी साह एक नम्‍बरक लोभी। बि‍न्‍दे साह साधारण कि‍सान। एकदम भोला-भला बेकती। हुनकर एकटा बेटा कलकत्तामे टेकसी ड्राइभर, दोसर लड़का दि‍ल्लीमे बि‍स्‍कुट फैक्‍ट्रीमे काज करैत। लड़िकाबलासँ गप भेल छेलै जे मोटर साइकिल आ एक भरि‍ सोन दुरागमनमे देब। बि‍न्‍दे साह बि‍आहक सभ ओरि‍यान कऽ नेने रहए। सर-कुटुम सभकेँ नौत-पि‍हानी पठा देने रहए। लड़िकाबलाकेँ दू लाख टाका सेहो गनि‍ आएल रहए। बि‍आहक पाँच दि‍न पहि‍ने भि‍नसर भने मदनासँ फोन आएल जे गाड़ी आ दू भरि‍ सोनक दाम हमरा काल्हि‍ पठा देब तँ बि‍आह हएत नै तँ नै हएत। फोनपर कहल गेल, दोसर गामबला हमरा पाँच लाख दइले तैयार अछि‍। ऐ बातपर बि‍न्‍दे साह झमान भऽ गेला। केतेक जोगारसँ तँ दू लाख टाका मदना पठौने रहथि। आइ भरि‍ए दि‍नमे केतएसँ औत। बि‍न्‍दे साहक जाति‍ बनवाली साहु लगानी-भि‍रानीक काज करैए। हुनके लग जा बि‍न्‍दे साह अपन सभ गप कहैत कहलखि‍न जे एक लाख टाका ताबे सम्‍हारि‍ दिअ।
बनवाली साहु कहलकनि‍-
टाका तँ जेते लेब हम तेते देब। मुदा बि‍नु जेबर लेने आकि‍ बि‍नु जमीन लि‍खेने नै देब। एक लाख देब तँ दू लाखक जेबर रखब। जमीनो लि‍खाएब तँ दू लाखक आ लि‍खाइमे जे खरच हएत से अहींकेँ दिअ पड़त।
बि‍न्‍दे साहक घरमे जेबर नै छेलनि। जमीन लिखाइमे पचीस हजारसँ ऊपरेक खर्च। गुनधुन करैत घर आपस आबि‍ गेला। मनमे भेलनि जे एक बेर नूनूजी सँ भेँट कऽ सभ बात कहियनि।
सएह भेल, नूनूजी ऐठाम जा बि‍न्‍दे साह नूनूजीकेँ सभ बात कहलकनि‍। नूनूजी कहलखि‍न-
हौ लड़िकाबला तँ नम्‍हर चुति‍या बुझहा रहल छह। हमरा वि‍चारे तँ ओकरा ओइठाम कुटुमैती नै करह। मुदा बि‍आहक सभ ओरि‍यान भऽ गेल छह। काडो बाँटि‍ देने छहक। कहऽ केतेक टाकाक बेगरता छह।
बि‍न्‍दे साह बजला-
एक लाख टाका ब्‍यौंत कऽ दि‍यौ।
नूनूजी मुड़ी डोलबैत बजला-
ओते तँ घरमे नै अछि‍, बैंकसँ नि‍कालए पड़त। एना करह, टाका लऽ कऽ जेकरा मदना पठेबहक तेकरा हमरा संग लगा दैह। हम फुलपरास इलाहावाद बैंकसँ टाका नि‍कालि ओकरा दऽ देबै।
बि‍न्‍दे साह खुशीसँ बजला-
बड़ सुन्नर गप कहलिऐ। आइए मदनाबलाक पाइ चलि जाएत।
सएह भेल। बि‍न्‍दे साहक बेटा नूनूजी सँ पाइ लऽ मदनाबलाकेँ दऽ आएल। बड़ धूम-धामसँ बि‍आह भेल। नूनूजी अपनेसँ मुस्‍ताइज भऽ बरि‍याती सभकेँ भोजन करौलनि‍।
  दू महि‍ना पछाति बि‍न्‍दे साह जमीन बेचि‍ नूनूजीक रूपैआ आपस केलनि‍। पाँच रूपैए सैंकड़ा सूदि‍ जोड़ि नूनूजीकेँ दिअ लगला तँ कहलकनि‍-
ई की दइ छहक। हम तोरा सूदि कहि तँ नै देने रहिहऽ। हमर टाका बैंकमे पड़ल छल। तोरा बेटीक बि‍अाहमे काज आएल। हमरा लेल ऐसँ पैघ आैर की हएत।
तैपर बि‍न्‍दे साह नि‍होरा करैत कहलकनि‍-
कम-सँ-कम बैंकोक सूदि तँ लऽ लिअ।
नूनूजी-
तोहर बेटी हमर बेटी नै छी की?”
बि‍न्‍दे साह कलजोड़ि‍ कहलकनि‍-
अहाँक उपकार जि‍नगी भरि‍ नै बि‍सरब।
  परुकाँ बैसाखमे रूपा मण्‍डलक बेटाकेँ साँप काटि‍ लेलक। पूरा गाम हल्‍ला भऽ गेल। नूनूजी रूपाक घरपर गेलखि‍न तँ देखलनि‍ जे झार-फूक कऽ चलि‍ रहल छेलै। नूनूजी ई खेला-बेला देखिते रूपाकेँ कहलखि‍न-
ऐ सभ अन्‍धबि‍सवासमे नै पड़ह। जल्‍दी डाक्‍टर रामानन्‍द बाबूक लग ि‍नर्मली लऽ जा।
रूपा मण्‍डल कहलकनि‍-
माि‍लक हाथपर एक्कोटा छुद्दी नै अछि‍।
तैपर नूनूजी कहलखि‍न-
केकराे मोटर साइकि‍लसँ ओतए पहुँचह हम पाछूसँ पाइ नेने अबै छि‍अह।
रूपा सुनीलक मोटर साइकि‍लपर बेटाकेँ लऽ रामानन्‍द बाबू लग पहुँचल। रोगीकेँ देखि डाक्‍टर कहलकनि‍-
अबैमे तँ बड़ देरी भऽ गेलह। जल्‍दी दस हजार जमा करह। इलाज शुरू करब।
रूपा कहलकनि‍-
डाक्‍टर साहैब, अहाँ दबाइ चालू कऽ दि‍यौ। नूनूजी पाइ लऽ कऽ जैघड़ी ने पहुँचला।
  नूनू जीक नाओं सुनि‍ डाक्‍टर साहैब इलाज चालू कऽ देलखि‍न। हुनका नूनूजी सँ नीक जान-पहि‍चान छन्‍हि‍। दसे मि‍नट पछाति नूनूजी अपना मोटर साइकि‍लसँ पहुँचला। बारह घंटा धरि‍ इलाज चलला पछाति रोगी ठीक भेल। डाक्‍टर साहैब कहलखि‍न-
आब ठीक छह रोगी। लऽ जा सकै छह।
रूपा दुनू बापूत नूनू जीक पएर पकड़ि‍ कानए लगल। नूनूजी डाक्‍टर साहैबकेँ पुछलखि‍न-
अपनेक केते चार्ज भेल?”
डाक्‍टर साहैब बारह हजार कहलखि‍न। एक हजार छोड़बैत एगाहर हजार देलखि‍न आ कहलखि‍न-
रूपा मण्‍डल बड़ गरीब अछि‍। एक हजार छोड़ि‍ दि‍यौ।
डाक्‍टर साहैब मानि‍ गेलखि‍न। ओतएसँ सभ वि‍दा भेला।
छह मास पछाति‍ रूपा मण्‍डल नूनूजीक रूपैआ आपस केलकनि‍। नूनूजी हुनकोसँ एक्को पाइ सूदि‍ नै लेलखि‍न।
  एमकी माघमे गोलबाक सूगर चनेसर कामतक अल्‍लू कोड़ि‍ देने रहए। तइले चनेसर गोलबाकेँ दस-पनरह लाठी मारलक। गोलबाकेँ कपार फूटि गेल। गामक कि‍छु लोक गोलबाकेँ सि‍खा-पढ़ा चनेसरपर मोकदमा करा देलक। चनेसरपर हरिजन एक्ट लगि‍ गेल। आब तँ चनेसरकेँ प्रलय भऽ गेल। पुलीस पकड़ैले रेड करए लगलै। एक राति चनेसर नूनूजी लग आबि‍ कानैत कहलकनि‍-
सरकार, अहाँक गप गोलबा मानि‍ जाएत। कि‍एक तँ अहीं जमीनमे ओ सभ बसल अछि‍। हमरा गोलबासँ सोलह करा दिअ। अपने जे कहब से मानब।
नूनूजी कहलखि‍न-
अच्‍छा, ठीक छै। हम गोलबाकेँ बजा गप करै छी। तूँ चि‍न्‍ता नै करह।
भि‍नसरे नूनूजी गोलबाकेँ बजा सभ बात बुझहा कऽ कहलखि‍न-
केस-फौदारीसँ कि‍छु नै भेटतह। तोरा हम चनेसरसँ दबाइक दाम आ केसक खर्च दि‍या दइ छि‍अ। दुनू गोटे सोलह कऽ लए।
गोलबा बाजल-
मालिक, हम सभ अहीं जमीनमे बसल छी। अहाँ जे कहब हम सभ सहए करबै।
नूनूजी चनेसरकेँ बजा दुनू गोटेमे मि‍लानी करा देलखि‍न। कोर्ट जा दुनू गोटे सोलह लगा लेलक। केस खारि‍ज भऽ गेल।
  ग्राम पंचायत चुनावक घोषणा भेल। पंचायत सभमे भि‍न्न-भि‍न्न पदक चर्चा-परि‍चर्चा हुअ लगल। हमरो पंचायत छजनामे मुखि‍या पदक लेल बेसी चर्चा भेल। हम सभ वि‍चार केलौं जे मुखि‍या पदक लेल नूनूजी सभसँ योग्‍य उमीदवार छथि‍। से नै तँ हम सभ हुनके ठाढ़ करब। आदमीओ पढ़ल-लि‍खल आ समाजसेवी छथि‍।
  हम सभ नूनूजी लग ऐ वि‍षयपर चर्चा केलौं। कहलनि‍-
देखू, ऐ पंचायतमे हमर जाति दसे घर अछि‍। अखुनका राजनीति‍ जाति‍-पाति‍ लऽ कऽ होइए। तहूमे पंचायत चुनावमे तँ आरो बेसी चलै छै जाति‍-पाति‍। हमरा माफ करू अहीं सभमे सँ कि‍यो ठाढ़ होउ। हम हर तरहेँ मदति‍ करब।
तैपर हम कहलि‍यनि‍-
अहाँक आगूमे सभ जाति‍-पाति‍ फेल भऽ जाएत। हम सभ नै मानब। अहाँकेँ मुखि‍यामे ठाढ़ कइए कऽ रहब।
बड़ उत्‍साहसँ सभ नूनूजी केँ मुखि‍या पद लेल नोमिनेशन करौलकनि‍। नूनू जीक नोमिनेशन पछाति सोभि‍त साह, मोहि‍त कामत आ सुखदेव मण्‍डल सेहो मुखि‍या पद लेल नोमिनेशन करौलनि‍।
छजना पंचायतमे मुख रूपसँ तीन जातिक बोलबाला अछि‍। जइमे तेली, धानुक आ कि‍यौट सभ छथि‍। शुरू-शुरूमे तँ नूनू जीक पक्षमे नीक हवा रहल। मुदा जौं-जौं समए बि‍तैत गेल तौं-तौं जाति-पातिक हवा बहए लगल। कि‍छु उम्‍मीदवार सभ वोटरकेँ चाह-जलखैक अलाबे दारूओ पि‍अबए लगल। ई सभ देखि‍ नूनू बाबू बजला-
अहाँ सभ मि‍लि कऽ हमरा उम्मीदवार बनेलौं। हम भोटक नाओंपर एक्को पाइ खर्च नै करब। चाहे हम जीती अथवा हारी। हमरा ने जीतक खुशी हएत आ ने हारिक गम।
भोटक दि‍न अबैत-अबैत जाति-पातिक हवा आरो जोर पकड़ि लेलक। भोटे गि‍रै दि‍न लोक सभ बूझि‍ गेल जे नूनूजी चुनाव हारि जेता। कि‍एक तँ खुलेआम भोटर सभ अपना-अपना जातिकेँ भोट दऽ रहल छल। सहए भेल, भोँटक गीनतीमे सोभि‍त साहु एक नम्‍बरपर, सुखदेव मण्‍डल दोसर नम्‍बरपर, मोहि‍त कामत तेसर आ चारि‍म नम्‍बरपर नूनूजी रहला।
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