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Friday, August 10, 2012

ओमप्रकाश झा- बुढ़िया मैयाँ

ओमप्रकाश झा

बुढ़िया मैयाँ
मोबाइलपर बाबूजीक फोन आएल। हम उठेलौं तँ कुशल क्षेमक बाद बाबूजी कहलथि- "बुढिया मैयाँ स्वर्गवासी भऽ गेलीह।" हम धक दऽ रहि गेलौं। एखने दू मास पहिने गाम गेल छलौं, तँ बुढ़िया मैयाँ स्वस्थ छलीह। ओना हुनकर अवस्था ९५ बर्ख छलन्हि। पता चलल जे हर्ट अटैक आबि गेल छलन्हि आ दरिभंगा लऽ जाइत काल बाटेमे हुनकर देहान्त भऽ गेलन्हि। बाबूजीक निर्देशानुसार हम तुरत गाम चलि देलिऐ। रातिमे गाम पहुँचलौं, तँ पता चलल जे दाह संस्कार लेल कठियारी गेल छथि सभ। माताजीक निर्देशक मोताबिक काठी चढेबा लेल हमहूँ कठियारी भागलौं। बुढिया मैयाँक दिव्य आ शान्त मुख देखि एना लागल जे ओ आब उठि बैसतीह। हुनका सानिध्यमे बिताओल समय मोनमे घुरिऐ लागल। एक दिन सभ एहिना शांत भऽ जाएत। बुढिया मैयाँ कखनोकेँ कहैत रहथिन जे बौआ, आब कते दिन बुढ़िया मैयाँ, हमर जे पार्ट छल से हम खेला लेलौं, आब अहाँ सभ अपन पार्ट खेलाइ जाइ जाउ। ठीके कहै छलखिन्ह ओ। अपन पार्ट खेलाकेँ कते दिनसँ हमरा सबहक पूर्वज एहिना शांत होइत रहलाह आ नबका पात्र सभ मनुक्ख आ मनुक्खताकेँ आगू बढ़बैत रहलाह। ई खेल सतत चलैत रहत। नव-नव पौध आंगनमे आबैत रहत आ पुरान गाछ सभ अहिना धाराशायी होइत रहत। मायाक जंजालमे बान्हल हम सभ अहिना मुँह ताकैत रहब। कतेक असहाय भऽ जाइ छै मनुक्ख, जखन कियो अपन सामनेसँ चलि जाइ छै आ ओ किछु करबामे असमर्थ रहैत अछि। एहने विचार सभ मोनमे आबैत रहल आ हुनकर चिता जरैत रहलन्हि। जखन दाह संस्कार पूर्ण भऽ गेलै तँ हरिदेव कक्का कहलथि- "कोन विचारमे हरायल छी ओम बौआ। चलू आब नहा कऽ गामपर चली। ओहिनो भोर भऽ गेल। नहा-सोना कऽ कनी सुतब, रतिजग्गा भऽ गेल।" हम कहलियन्हि- "कक्का, बुढिया मैयाँ बड्ड मोन पड़ै छथि।" हरिदेव कक्का बजलाह- "छोडू ने ई सभ गप, हमरा की नै मोन पड़ै छथि? ऐ लेल गाम नै जाएब की? मोन खराप कऽ ली बिना सुतने। अरे भेलै चलू, ९५ बरख केर पाकल उमैर मे गेलथि, कते शोक मनाएब।" हम चुपचाप चलि देलिऐ गाम दिस। आबिकेँ नहा-सोना कऽ सुतै लेल गेलौं। ओतए आँखि मुइन सुतबाक उपक्रम करऽ लागलौं। आँखि मुनैत देरी बुढ़िया मैयाँ सामने ठाढ़ भऽ गेलीह। हमरा दिस सिनेहसँ ताकैत वएह पुरना सवाल पूछऽ लागली जे बौआ खेलौं। हम हुनका एकटक ताकैत रहि गेलौं।
बुढिया मैंया हमर बाबाक काकी छलीह। हमर प्रपितामही लागैत छलीह। पूरा आंगनमे सभसँ जेठ आ आब तँ बच्चा सभक संग सभ गोटे हुनका बुढ़िया मैयाँ कहऽ लागल रहन्हि। पूरा आंगनक बच्चा सभक सम्पूर्ण भार हुनके पर रहै छलन्हि आ ओ एकरा पसिन्न करै छलखिन्ह। बच्चा सभसँ खूब सिनेह रहै छलन्हि हुनका। हमरा सभ केँ खुएनाइ हुनके जिम्मा रहै छलन्हि। जखने हम सभ खाइमे एको रत्ती हिचकिचाइ छलिऐ की ओ तुरत्ते तोता कौर आ मैना कौर बनाकेँ खुआबऽ लागै छलीह। माताजी गामपर पहुँचैत देरी हमरा सभकेँ हुनकर संग लगा दैत छलीह। जेना हमरा बूझल-, बुढिया मैयाँ ३५ बरखक आयुमे वैधव्य प्राप्त केने छलथि। हुनका तीन गोट पुत्र श्रीदेव, रामदेव आ विष्णुदेव छलखिन्ह। विष्णुदेव बाबाक पुत्र हरिदेव कक्का छलाह जिनका सँ हमरा बड्ड पटै छल। श्रीदेव बाबा खेती पथारी करै छलाह। रामदेव बाबा आ विष्णुदेव बाबा नौकरी करै छलाह आ आब रिटायर भऽ केँ गामेमे रहै छलाह। बुढ़िया मैयाँक तीनू पुत्र आ तीनू पुतौह जीविते छलखिन्ह। हम नौकरी भेटलाक बाद कखनो काल गाम जाइत छलौं तँ बुढिया मैयाँ कहथि जे भगवान हमरा उठबैमे किए देरी लगा रहल छथि, हम चाहै छी जे तीनू पुत्रक सामने आँखि मुनी। पूरा आंगनक बच्चा बच्चा बुढिया मैयाँक चेला छल। हमहूँ छलौं। किए नै रहितौं, ओ निश्छल प्रेम, ओ देखभाल सभ गोटेकेँ हुनका दिस आकर्षित करै छलै। सभ पुतौह हुनका लग नतमस्तक रहैत छलीह। बुढिया मैयाँक हुकुमक अवहेलना कियो नै करैत छल। सबहक लेल हुनका मोनमे नीक भावना छलन्हि। हम तँ हुनकर जाउतक पोता छलौं, मुदा ओ कहियो आन नै बुझलथि। एहेन बुढ़िया मैयाँक पौत्र हरिदेव कक्का केर गपसँ हमरा बड्ड छगुनता लागल छल। हम सोचैत रही जे एखन चौबीसो घण्टा नै भेल हुनका मरल आ ई सभ हुनका बिसरैमे लागि गेलाह। किए, एना किए? ठीक छै जन्म मरणपर अपन बस ककरो नै छै, मुदा जे एतेक बर्ख धरि हमर धेआन राखलक, की हम ओकरा लेल किछो दिन, किछो बर्ख धरि नै सोची।
यएह सभ सोचैत कखनो आँखि लागि गेल। एकाएक हंगामासँ निन्न टूटल। जल्दी कोठलीसँ बहरेलौं। आंगनमे बुढ़िया मैयाँक तीनू पुतौह वाक युद्धमे लीन छलथि। पता चलल जे बुढ़िया मैयाँक गहना गुड़ियापर बहस होइत छल। श्रीदेव बाबाक कनियाँ एक दिस छलखिन्ह आ रामदेव बाबा आ विष्णुदेव बाबा केर कनियाँ एक दिस। बहसक विषय वस्तु छल एकटा अशर्फी। बुढ़िया मैयाँक पेटीमे १६ गोट अशर्फी छलै। तीनू पुतौह ५-५ टा हिस्सा लेलाक बाद सोलहम अशर्फीपर भीड़ल छलीह। पहिने कहा सुनी भेल आ बादमे व्यंग्य आ गारिक समायोजन सेहो भेल। हम जल्दीसँ आँगनसँ बाहर दलानपर चलि एलौं। ओतुक्का दृश्य कोनो नीक नै छल। बुढ़िया मैयाँक तीनू पुत्र हुनकर कोठलीक अधिकार विषयपर धुरझार वाक युद्धमे लागल छलाह। हमरा ई सीन किछु किछु संसद आ विधान सभाक सीन जकाँ लागै छल। तीनू भाइ अपन अपन कण्ठक उच्च स्वर प्रवाहसँ लाउडस्पीकरकेँ मात देने रहथिन्ह। एना लागै छल जे एकटा लहाश आइ खसिये पड़तै। हम बड्ड डरि गेलौं आ बाबूकेँ फोन लगेलियन्हि- "बाबूजी, एतए तँ मारा-मारीक भयंकर दृश्य उपस्थित भेल अछि। आब की हेतै।" बाबूजी कहलाह- "अहाँ नै किछु बाजब। यौ दियादी झगड़ा एहिना होइ छै। फेर मेल भऽ जेतन्हि।" मुदा हमरा नै रहल गेल आ झगड़ाक स्थान पर जा केँ हम कहलियन्हि जे बाबा अहाँ सभ क्रिया-कर्म हुअए दियौ, तकर बाद ऐ मुद्दाक समाधान कऽ लेब। विष्णुदेव बाबा बजलथि- "समाधान तँ आइये हेतै। हमहूँ तैयारे छी।" हम बजलौं- "एना नै भऽ सकैए जे ओइ कोठलीकेँ बुढ़िया मैयाँक स्मृति बनाओल जाए।" ऐ बेर श्रीदेव बाबा बजलाह- "बड़का ने एला स्मृति बनबाबैबला। बुढिया की कोनो चीफ मिनिस्टर छलै आ की कतौक प्रेसीडेण्ट।" हम गोंगियाइत बजलौं- "मुदा बाबा ओ हमरा सभक एकटा स्तम्भ छलीह। मजबूत स्तम्भ।" रामदेव बाबा मुस्की दैत हमरा दिस ताकैत बजलाह- "ई छौंडा चारि लाइन बेसी पढ़िकेँ भसिया गेलै हौ। ई नै बुझै छै जे पुरना घर खसैत रहै छै आ नबका घर उठैत रहै छै। बुढिया बड्ड दिन राज केलकै नूनू, आब हमर सबहक राज भेल, हम सब फरिछा लेब।" तीनू गोटे हमरे पर भिड़ गेलाह। हम तुरत ओइठामसँ गाछी दिस निकलि गेलौं, जतए बुढिया मैंयाकेँ जराओल गेल छलन्हि। साराझपी नै भेल छल। ओइ स्थानपर छाउर छल, जतए हुनका जराओल गेल छल। हमरा लागल जेना बुढ़िया मैयाँ ओइ छाउरमे सँ निकलि हमरा सामने ठाढ़ भऽ गेलीह आ कहऽ लागलीह- "बउआ अही माटिसँ एकदिन हम निकलल छलौं आ अही माटिमे फेरसँ चलि एलौं। अहाँ कथी लेल चिन्तित होइ छी। हमर स्मृति अहाँक मोनमे अछि, सएह हमर पैघ स्मृति अछि। जखन पुरना घर खसै छै ने, तँ ओकर मलबा एहिना कात कऽ देल जाइ छै। ओइ जगहपर नबका घर बनाओल जाइत अछि। हम पुरान घर छलौं, खसि पड़लौं, अहाँ सभ नब घर छी, जाउ उठै जाउ आ नाम करू। ऐसँ हमरो आत्मा तृप्त रहत। बिसरि गेलौं, बच्चामे अहाँ सभकेँ घुआँ-मुआँ खेलबैत छलौं तँ की कहै छलौं, नब घर उठए, पुरान घर खसए।" हमरा अपन नेनपनक खेल मोन पड़ए लागल। बुढिया मैंया अपन ठेहुनपर चढा कऽ घुआँ मुआँ खेलबै छलीह। की ई संसार एकटा घुआँ मुआँक खेल थीक। ऐमे एहिना पुरना घर खसाकेँ बिसरि देल जाइए आ नबका घर सभ अपन चमक देखबैत रहैए। हम ओइठामसँ सोझे बाजार दिस विदा भऽ गेलौं ई बड़बड़ाइत जे नब घर उठए, पुरान घर खसए।

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