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Friday, August 10, 2012

ओमप्रकाश झा- लोकतन्त्रक माने


ओमप्रकाश झा
लोकतन्त्रक माने
शैलेश बाबू अपन मिनी लाइब्रेरी मे बैसल किछु पोथी सबहक पन्ना उनटेने जाइ छलाह। हुनकर कनियाँ सुनन्दा आबिकेँ कहलखिन्ह- "कोन खोजमे लागल छी अहाँ। तीन घण्टासँ अपस्याँत भेल छी।" शैलेश बाबू बजलाह- "लोकतन्त्रक माने ताकि रहल छी।" सुनन्दा हँसैत बजलीह- "हुँह, कथीकेँ प्रोफेसर छी अहाँ यौ। लोकतन्त्रक माने होइ छै, बाई द पीपुल, औफ द पीपुल, फौर द पीपुल। ई गप तँ बच्चा-बच्चा बूझै छै।" शैलेश बाबू बजलाह- "ई माने तँ हमरो बूझल छल। हम लोकतन्त्रक आधार बनल किछु गोटेक हरकतकेँ व्याख्या करबाक फेरमे एकर विशिष्ट अर्थ ताकि रहल छी। जतए जाइ छी किछु ने किछु विचित्र हरकत करैबला लोक सभसँ भेँट भऽ जाइए। हुनकर सबहक लीला लोकतन्त्रक परिभाषामे आबै छै वा नै, यएह खोजमे तबाह छी।" सुनन्दा कहलखिन्ह- "छोड़ू एखन ई सभ आ चलू किछु पनपियाइ कऽ लिअ।"
शैलेश बाबू पनपियाइ करैत छलाह तखने हुनकर मित्र मनोज चौधरीक फोन एलन्हि- "कहिया पूर्णिया आबै छी प्रोफेसर साहेब? ऐ बेरक दुर्गा पूजामे हमर गामक प्रोग्राम फाइनल अछि ने?" शैलेश बाबू बजलाह- "हम काल्हि चलै छी।" दोसर दिन शैलेश बाबू पूर्णिया गेलाह आ ओतए सँ मनोज जीक संग हुनकर गाम गेलाह। ओतए हुनकर गामपर जलखै कऽ केँ साँझमे दुनू दोस्त मेला घूमै लेल निकललाह। मेलामे ऐ बेर नौटंकीक बेवस्था सेहो छलै। सभ ठामसँ घूमि दुनू गोटे नौटंकी देखबा लेल पंडालमे पहुँचि अपन स्थान ग्रहण केलथि। नौटंकीक बीचमे बाइजीक नाचक सेहो प्रबन्ध छलै। एकटा बाइजी स्टेजपर आबि अपन लटका झटका देखबैत कोनो फिल्मी गानापर नाच करऽ लगलै। शैलेश बाबू मनोज जीकेँ कहलखिन्ह जे चलू, ई नाच हम नै देखब। ताबे एकटा घटना भेल, जे देखि ओ ठमकि गेलाह। नाचक बीचेमे दर्शकमे आगूमे बैसल एक गोटे उठलाह आ नाच करऽ लगलाह। ओ साँवर रंगक उज्जर कुरता पायजामा पहिरने एकटा दाढ़ीदार लोक छलाह आ हाथमे एकटा नलकटुआ रखने फायरिंग सेहो करै छलाह। मनोज जी बजलाह- "ई हमर सबहक विधायक छथि आ सभटा आयोजन हुनके सौजन्ये छन्हि।" तावत ओ विधायक मंचपर चढ़ि गेल आ बाइजी संगे फूहड़ भाव-भंगिमामे नाच करऽ लागल। शैलेश बाबू खिसियाइत बजलाह- "चलू तुरन्त। हम नै रूकब आब। ई किरदानी विधायकक, राम-राम।" ओतए सँ दुनू गोटे गामपर एलाह आ शैलेश बाबू रातिये पटनाक बस पकड़ि विदा भऽ गेलाह। दोसर दिन भोरे पटना पहुँचलाह। डेरापर बैसि चाह पीबै छलाह, तखने सुनन्दा बजलीह- "केहेन जमाना आबि गेलै। विधायक नर्तकी संगे स्टेजपर नाच करै छलै। पूरा समाचारमे यएह सभ देखा रहल छै।" शैलेश बाबू तुरंत टी.वी. दिस भगलाह आ एकटा न्यूज चैनल लगेलाह। ओइठाम यएह समाचार बेर बेर देखबै छलै। ओइ चैनलक स्टूडियोमे ऐ विषयपर बहस चलै छलै। किछु राजनीतिक लोक सभ आ किछु बुद्धिजीवी लोक सभ चर्चामे लीन छलाह। विधायक जीक पार्टीक नेताकेँ छोड़ि बाकी लोक ऐ कृत्यक घोर निन्दा करै छलाह। बीच बीचमे प्रचार आ चैनेल दिससँ ई उद्घोषणा कि सभसँ पहिने वएह ई समाचार देखौलक। ई विषय गरीबी आ भूखमरीक समस्याकेँ कतौ बिला देलकै। एना लागए लागल जे देशमे आब एकमात्र यएह समस्या रहि गेलै। शैलेश बाबू चैनल बदललाह। सभ ठाम वएह देखबै छलै। ओ बड़बड़ाय लगलाह- "कते महत्वपूर्ण समाचार भऽ गेलै ई।" ताबत एकटा चैनलपर विधायक जीक बयान आबि गेलै- "ई सभ विरोधी पार्टीक दुष्प्रचार थीक। हम ओइ नर्तकीकेँ पुरस्कार देबा लेल स्टेजपर गेल छलौं। वीडियोमे छेड़छाड़ कएल गेल अछि। ई हमरा बदनाम करै लेल विरोधी सबहक चालि थीक। हम जाँच लेल तैयार छी। एकटा कमीशन बैसाएल जाए।" शैलेश बाबू सुनन्दाकेँ कहलखिन्ह- "ई झूठ बाजैए। हम अपनहि आँखिसँ ई कृत्य देखलौं।" सुनन्दा बजलीह- "चुप रहू आ ई गप आन ठाम नै बाजब। छोड़ू ने, सिनेमाक चैनल लगाउ।"
साँझमे एकटा चैनलपर "विधायक जी स्टेजपर" ऐ विषयपर जनताक बीच विधायक जी केर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम छल। शैलेश बाबू ई देखऽ लगलाह। विधायक जी साफ-साफ कहलखिन्ह जे ओ स्टेजपर नर्तकीकेँ ईनाम दै लेल गेल छलाह। हुनकर कहनाइ रहन्हि जे वीडियोमे छेड़छाड़ कएल गेल। जनताक बीचसँ ढेरो सवाल पूछल गेल आ विधायक जी बिना तमसायल मुस्की दैत शांत जवाब दैत रहलाह। शैलेश बाबू कुनमुनाबऽ लगलाह। बाजए लगलाह जे केहेन झूठ बाजै छै। मुदा हुनकर के सुनै छन्हि। सुनन्दाकेँ ई गप बूझल छलन्हि जे शैलेश बाबू जोशमे ओतए जा सकै छथि, तैं ओ हुनकर पहरेदारीमे मुस्तैद छलीह। एकाएक जनताक बीचसँ एकटा युवक उठलै आ हाथमे एकटा चप्पल लेने मंच दिस दौड़ि गेलै। ओ चप्पल सोझे मंच दिस फेकलक जकरा विधायक जीक अंगरक्षक सभ लोकि लेलकै। ओइ युवककेँ पुलिस पकड़ि लेलक आ धुनाइ करए लागल। विधायक जी बाजए लगलाह जे देखू विरोधी सबहक कुकृत्य। हमरा नै फँसा सकल तँ आब अपन पार्टीक लुच्चा सभकेँ पठा कऽ हमरा बेइज्जत करबाक प्रयास करै जाइए। शैलेश बाबू धेआनसँ ओइ युवककेँ देखलाह तँ हुनकर मुँहसँ निकललन्हि- "अरे ई तँ धनंजय छी। अपन फूलधर बाबूक जेठका बेटा। ई कोनो पार्टीक लोक नै अछि। ई तँ डिग्री लऽ केँ घुमैत एकटा बेरोजगार युवक अछि।"
शैलेश बाबू टी.वी. बन्न कऽ माथपर हाथ धेने बैस गेलाह आ सुनन्दासँ कहलखिन्ह- "कनी एक गिलास पानि पियैबतौं। हम फेर लाइब्रेरी जा रहल छी, लोकतन्त्रक माने ताकबा लेल।"

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