Pages

Friday, August 10, 2012

राज नाथ मिश्र - मस्ती


राज नाथ मिश्र

मस्ती 
रातिक पहिल पहर बीत गेल छल। अलसाएल मदमातलि राजकुमारी रौशनआरा मसनदपर लुढ़कलि पड़ल छलि।  चिन्ताग्रस्त प्रतीत होइत छलि। मुदा कामोत्तेजित  वासनाक तीव्र चमकसँ ओकर आँखिमे एक विशिष्ट रंगत स्पष्ट परिलक्षित भऽ रहल छल। उत्तेजनाक पराकाष्ठाक कारणे ओकर गोर वर्णीय चेहरा असाधारण ढंगसँ रक्ताभ भऽ उठल  छल । केराक बीर सनक धानी रंगक मलमलक पोषाकमे ओकर मांसलता झिलमिला रहल छल,ना कि शीसाक स्वच्छ आ पारदर्शी बोतलमे मदिरा देखि‍ पड़ैछ । ई पोशाक ओकर यौवनक मनोरम छटाकेँ बहुगुणित कए किछु अधिके कमनीय बना रहल छल। कामसुन्दरि रौशनआरा अप्रतीम यौवनक मलकानि छलि। ओकर रूपसागरमे किछु एह माधुर्य छल जे देखए बलाक मन अनायासे उन्मत्त भऽ उठैत छल। अंग-प्रत्यंग साँचमे ढलल-कोमलताक पराकाष्ठा  कमनीयताक  उत्तुंगता। मुख-माधुर्य  विलाससँ परिपूर्ण कारी कारी केश, मदमातलि रतनार नयन। गौरवर्ण चेहराक रंगना दूधमे सिन्दूर घोरल। ठोर लालटेस, डाँर पातर, उन्नत उरोज, पुष्ट नितम्ब, कामाग्नि दहकाबएबला। ओकर सुषमा ओ लावण्य ककरहु मुर्छित करबा हेतु पर्याप्त। धानी वस्त्रपर सोनहुला जरी बड्ड फबि रहल छल।  केश-पाश बड़ सुरूचिपूर्ण रूपेँ गाँथल छल, जइमे सँ निकलैत फुलेलक मधुर सुगंधि वातावरणकेँ मादक बना रहल छल आ तइमे चोटीमे गाँथल सुविकसित बेला फूलक मालासँ निकलैत सुवास तइ मादकताकेँ अभिवृद्धि कए रहल छल। माथपर कनेक लापरवाहीसँ राखल फिरोजी रंगक जरीयुक्त मलमलक ओढ़नी। गरामे लालरंगक मणिमालाक संगहि श्वेत मोतीमाल आपसमे ओझरा कऽ उन्नत उरोजसँ टकरा-टकरा कऽ खेल कए रहल छल। दुहू कानमे बेस भरिगर सोनाक कर्णफूल आ तइमे जड़ल हरित पन्ना। छातीपर चित्रमय विचित्र हार, तइमे अनेक हीरा जड़ल छल। नीलम जड़ल पहुँची हाथक शोभा बढ़ा रहल छल। अँगुठा छोड़ि सभ आँगुरमे  अँगूठी, जइमे  रंग-बिरंगा जवाहरात चमकि रहल छल। डाँरामे तीन आंगुर चाकर सोनाक डरकस। कोमल पएरमे चानीक पाजेब, जइमे लटकल छोट-छोट घुंघरूक संग श्वेत मोतीक लड़ी। संपूर्ण पोषाक अतरसँ सराबोर।
सल्तनते मुगलियाक शाही मुगल खानदानक दू गोट विशेषता खानदानक स्त्रीगणक दृष्टिएँ अति विशिष्ट रहल अछि। प्रथम ई जे शाही खानदानक स्त्रीगण लोकनि परदाक अभ्यन्तर रहैत छलि। मुदा सात परदाक तरमे रहितो राजनीति ओ कूटनीति सतरंजक माहिर खेलाड़िन सभ छलि। आ खेलमे पूर्ण दक्षता ओ चातुरीसँ हिस्सा लैत छलि। आ द्वितीयतः मुगल राजकुमारी -शाहजादी- लोकनिक बि‍आह नै होइत छल। यद्यपि शाहजादी लोकनिक  अभिसार आ अनुचित गुप्त प्रेम प्रसंगक कथा कतेको बेर चर्चित होइत रहल छल मुदा मुगल बादशाह कहियेा ककरहु अपन जमाए नै बनबथि। ई निअम शहंशाह अकबर बनौलनि आ एकर अनुपालन सभ कि‍यो परवर्ती मुगल बादशाह लोकनि कएलनि ।
...
कामवासनामे दहकैत रौशनआरा किछु काल मसनदपर ओङठल   रहलि। फेर थपड़ी बजाए नौरिनिकेँ बजौलनि। राजकुमारीक इशारा पाबि नौड़िनि मदिराक सुराही ओ स्वर्ण प्याली प्रस्तुत कएलक। कामरसक पाँच-सात प्याली जखन कंठक नीचा उतरबाक छल कि राजकुमारी मदमस्त भए उठलि आ नौड़िनिकेँ गीत गौनिहारिकेँ बजएबाक आदेश देलनि। किछुए कालक पछाति स्वर लहरीक पंचम चतुर्दिक अपन साम्राज्य पसारि लेलक। मुदा मनक अशान्ति बढ़ैत गेल। उष्ण होइत शरीरकेँ शीतलता प्रदान करबामे मदिराक मादकता ओ संगीतक सरगम दुहू निष्फल रहल।  उनटे उद्दीपन ओ उताप्ततामे आरो जुआरि आबि गेल। कामाग्निक बाढ़ि जखन हदक बान्ह तोड़बा हेतु आतुर भऽ गेल तखन ओ हाथक इशारासँ  गीतगाइन लोकनिकेँ जएबाक आदेश देलनि। कामोत्तेजनासँ मुखाकृति आरो अधिक रक्ताभ भए उठल छल। श्वास-प्रश्वास तीव्रसँ तीव्रतर होइत होइत, बिरड़ोना आबि गेल रहए।

खासमखास नौड़िनि नसीमबानूक बजौहटि भेल । ओ उपस्थित भए चुपचाप मूड़ी झुकौने आदर भावे ठाढ़ि छलि।
--बादशाह सलामत अखन की कऽ रहल छथि?
--हुजूर !  अखन ओ दरबार-ए-खासमे आबि गेल छथि।
--की वाकयानबीस अपन रोजनामचा  सुना देलक?
--अखन नै। अखन बादशाह सलामत बड़ी बेगम साहिबाक संग किछु अंतरंग बिचार-विमर्शमे लागल छथि।
--सुन तों जो। आ सुनने अबै। वाकयानवीस किछु नव खबरि सुनबैत छथि कि नै।
--बेस  सरकार, जे हुकुम।
खास नौड़िनि नसीमाबानूक गेलाक उपरान्त राजकुमारी अपनहि हाथे मदिरा ढारि आेइमे गुलाबजल फेँटि पीबए लागलि। किछु क्षण टकटकी लगौने जड़ैत मोमबत्ती देखलनि आ फेर नौड़िनि बजएबाक हेतुए थपड़ी बजौलनि। पहरेदारिन नौड़िनि उपस्थित भेल।
--रजिया कतए अछि?
--सरकारक आज्ञाक प्रतीक्षामे बैसल छथि।
--ओकरा पठा दही आ देख‍ बीचमे कि‍यो भीतर नै आबए।
-- आदेश।
माथ झुकबैत पहरेदारिन बाहर भेल। रजिया  आबि सलामी देलक। अलसाएल नजरिए ओकरा दिस तकैत राजकुमारी पुछलनि-
--काज भेलौ?
--जी सरकार।
--ज्योतिषीजी भेटलखुन?
--जी, जी हँ।
--सभ बात हुनका नीक जकाँ बुझा देलहुन।
--जी सरकार, आज्ञाक अपुरूपे सभ ठीक ठाक भऽ गेल।
--तोरा बुझेलाक अनुरूपे  दारा शिकोहकेँ भ्रमित करबामे की ओ सफल रहलाह?
--जी सरकार। सोलहो आना राजकुमारीजीक इच्छानुसारे सभ किछु रहल ।
राजकुमारी देह परसँ ओढ़नी उतारि फेकैत पुनः मसनदपर ओलरि गेलि। किछु क्षण सोचलनि। पुनः मदिराक प्याली उठबैत चुस्की लेलनि।
--आ दोसर काजक की भेलौ?
--ओ हो भऽ गेल सरकार।
--सुभीतासँ?
--जी हुजूर।
--के छौ?
 --एकटा अफीमची अछि हुजूर। बहुत   दिनसँ जनैत छिऐक ओकरा।
--काज संवेदनशील छौक, से बुझै छही?
--सरकार हुजूर, अपने बेफिकिर रहियौ ने। सभटा नीक जकाँ हेतै।
--बेस तँ ठीक छौ। बनो एक प्याली।
आज्ञा पाबि रजिया प्यालामे मदिरा ढारलक। तइमे गुलाबजल फेँटलक आ सेवामे प्रस्तुत कएलक। मातलि राजकुमारी किछु विहुँसैत-
-- बेस आ तेसर काज?
--सेहो भऽ गेल हुजूर।
--कतए छौक?
--सरकारक खास कोठरीमे।
मुगल शाहजादी राजकुमारी रौशनआरा अपन गरास मोतीमाल उतारि रजि‍यापर फेंकलनि। आ मुस्की दैत मदिरा दिस इशारा कएलनि। रजिया देबए लागलि।
ताबतहि नसीमबानू उपस्थित भेल। झुकि-झुकि कोर्निस करैत आदाब बजौलनि। राजकुमारी आँखिक इशारासँ रजियाकेँ बाहर जएबाक आदेश देलनि। मातलि रौशनआरा नसीमा दिस तकलनि।
--बादशाह सलामत ख्वाबगाह गेलाह?
--जी नै सरकार। अखन धरि तँ नै।
--खबरनबीस रोजनामचा सुनौलनि?
--जी हुजूर ।
--कोनो खास विन्दु?
--जी राजकुमार, दारा शिकोह ओइ चालीस कैदीक हाथ कटबा देलनि अछि जे शहजादा शुजाक संग लड़ाइमे बन्दी बनाओल गेल छल।
--आर?
--पछाति सरकारे औलिया आ शाहजादा दारामे  खूब थुक्कम फजीहत भेल।
--कोन बातपर?
--बादशाह सलामतक कथनी छलनि जे तुरत सुलेमानकेँ आपस बजबा लेबाक चाही, मुदा दारा ऐ बातपर अड़ल रहथि जे सुलेमान  शहजादा शुजाकेँ बंगाल धरि खिहारथि।
रौशनआरा बिहुँसि उठलि --दिव्य, बड़ सुन्दर। नसीमा तों बादशाह सलामतकेँ ख्वाबगाह जेबाकाल धरि ओतहि उपस्थित रहि सभ देख‍ सुन।
--बड़ बेस सरकार।
कहैत नसीमबानू चलि गेलि। थपड़ी पड़ल, रजिया आएलि।
--अच्छा तँ तोँ ई बतो जे ज्योतषी शाहजादा दाराकेँ की कहलकै?
--सरकार, शाहजादा दाराकेँ ज्योतिषी नीक जकाँ बुझा देलनि अछि जे सुलेमान शिकोह अभियानमे विजयी भए लौटताह। अखनुक ग्रह-गोचर स्थिति पूर्णतया अनुकूल अछि। तँहि अखनहि बंगाल, बिहार, उड़ीसापर दखल कऽ लेल जाए।
--वाह, वाह, बेजोड़।
--जी सरकार। सभ तँ हुजूरेक उर्वरा मस्तिष्कक उपजा थिक।
 --रजिया।
--सरकार।
--तोँ कहलेँ जे ओ बहुत मनभावन अछि।
--जी सरकार, खनदानी थिक हुजूर।
--अच्छा एक प्याली पिओ।
रजिया प्याली भरलक। शाहजादी रौशनआरा ओकरा एकहि साँसमे गटकि गेलि। प्याली ओंघरा देलनि। उठलि। ऊपरसँ नीचा धरि ऐंचैत, देह तोडै़त उठलि। बाजलि-- लऽ चल खास कोठरीमे, देखी आजुक रातिक शिकार केहन चुनलेँ अछि।

नौड़िन रजियाकेँ सहारा दैत उठौलक, शाहजादी रौशनआरा डगमगाइत खास कोठरीमे चलि गेलि....

No comments:

Post a Comment