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Friday, August 10, 2012

सत्यनारायण झा- पलट

सत्यनारायण झा

पलट
बेटाक ब्याहक तैयारीमे लागल रही। पत्नीक संग बाजारसँ डेरा पहुँचलौं। डेराक गेटक ताला खोलबाक प्रयास करए लगलौं। मोबाइलपर रिंग होमए लगलै। ताला खोलब छोड़ि मोबाइलक स्क्रीनपर देखए लगैत छी। मन्नुक कॉल रहनि। सोचए लगैत छी जे कतेक समयक बाद मन्नू फोन केलनि अछि। याद नै पड़ल जे ऐसँ पहिने ओ कहिया फोन केने छलाह। पटनामे सासुर छनि। सालमे तीन चारि बेर अबैत जाइत रहैत छलाह मुदा कहियो कोनो संपर्क नै केलनि। अचानक फोन देखि भेल जे प्रायः धोखासँ नंबर डायल भऽ गेल हेतनि, तैँ पुनः ताला खोलए लगलौं। जहिना रूममे पएर रखैत छी की लैंड लाइनपर फोनक घंटी फेर घनघनाय लागल।
हेलो ---बाबूजी, हम मन्नू गाँधीनगरसँ बाजि रहल छी। आ मन्नू जोर-जोरसँ कानऽ लगलाह। हमरा भेल जे तीन चारि सालसँ कोनो संपर्क नै रखबाक कारणे पश्चातापे कना गेलनि अछि। आखिर हमहूँ तँ पित्तिये छियनि।
हमरा मन्नूसँ कतेक स्नेह छल। ओहो कतेक शांत स्वभावक लोक छलाह। कतेक सुकुमार छलाह। बाजब तँ एहन रहनि जेना मिश्री घोरि कऽ पीने रहथि। मन्नूसँ बहुत लगाव छल।
मन्नुक ब्याह मन्नुक पिताश्री ठीक केलखिन्ह। ब्याह जेतए ठीक भेल रहै ओ कोनो तरहेँ ने मन्नू लेल आ ने परिवार लेल उपयुक्त रहै, तैँ हम ओइ ब्याहक समर्थनमे नै रही। ब्याह तँ दू परिवारक कड़ीकेँ जोड़ैत छै मुदा ऐ ब्याहसँ परिवार टुटबाक खतरा रहै। बादमे सएह भेलै। हमर इच्छा रहए जे मन्नू ऐ ब्याहकेँ रोकि देथि। मन्नू कोनो साधारण व्यक्ति नै छलाह। योग्य अभियंता छलाह।नीक आ बेजाय ओ बुझैत छलाह, तथापि बियाहक लोभे ओ चुप भऽ अपन मौन स्वीकृति दऽ देलखिन्ह। ओ नै सोचलनि जे आखिर हमरा नै मेकी निहितार्थ छै। मन्नूसँ जे आशा छल ओकर विपरीत ओ अपन रूप देखेलनि। मोन तृष्णासँ भरि गेल। मन्नुक ब्याहसँ कात भऽ गेलौं। आब तँ ब्याहोक कइएक बरख भऽ गेलै। मन्नू आ मन्नुक पिताश्री पलट सँ संपर्क टूटि गेल। मोन बहुत खिन्न रहैत छल। मुदा धीरे धीरे सभटा बिसरि गेलौं आ हमहूँ अपन काजमे लागि गेलौं। प्रारम्भमे पलट सेहो हमरासँ दूरी बढ़ा लेलनि मुदा जखन ऐ ब्याहक कुपरिणाम धीरे-धीरे सामने आबए लगलनि तहन हुनका आँखि फुजलनि। आब बुझाए लगलनि जे भाइ किए मना करैत रहथिन। आब कोन मुहेँ ओ हमरा सामने अओताह। लाजे दुरे रहैत छलाह। कइएक ठाम बजैत छलाह जे भाइक बात नै मानि अनर्थ कऽ लेलौं। एक दु बेर फोनो केलाह मुदा हम अपनाकेँ दूरे रखलौं। कतेक स्नेह पलटसँ छल। पलट हमरासँ दू बरखक छोट छलाह। पलट एके मासक छलाह तँ माय मरि गेलखिन्ह। हमरे माय पलटकेँ पालि-पोसि कऽ ठाढ़ केलखिन्ह। पलट आ हमरामे कोनो अंतर नै छल। पलटक पढाइ लिखाइ हमरा संगे भेलै।  एम. कम. कऽ पलट नीक प्रतिष्ठित शिक्षक बनि गेलाह। पलटसँ अंतरंगता हमरा बच्चेसँ छल। एके संग स्कूल जाइत छलौं। हर समय संग रहैत छलौं। पलटक उन्नतिसँ हमरा आत्म सुख भेटैत छल। मुदा मन्नुक ब्याह हमरा दुनूक बीच दूरी बढ़ा देलक।
हमरा जेना पलटसँ वितृष्णा भऽ गेल तैँ हम हटले रहैत छलौं। ओना पलट कहियो कऽ अपन भौजीसँ बात कऽ लैत छलाह आ हमहूँ कहियो हिनका मना नै करैत छलियनि, आखिर संबंधक डोरी तँ कतौ बान्हल रहैक जइसँ हमरो आत्मसंतोष भेटैत छल, हिनके द्वारा पता चलैत छल जे पलट अपन पारिवारिक समस्यासँ परेशान रहैत छलाह।
मन्नूकेँ कनैत देखि क्षण भरि तँ चुप रहलौं मुदा तत्क्षण कहलियनि- मन्नू किए कनैत छी? जिनगीमे कतेक गलती होइत छै। अहाँकेँ पश्चाताप भेल, बुझू सभटा गलती माफ भऽ गेल। हम हुनका बुझबैत रहलियनि आ ओ अओर जोर जोरसँ कनैत रहलाह। हम कहलियनि-–मन्नू चुप भऽ जाउ। कहलनि- चुप कोना भऽ जाउ। पापा आब ऐ दुनियामे नै रहलाह------
जबरदस्त झटका लागल। पूरा शरीर थरथर काँपए लागल। पसीना देबए लागल। हृदयपर जेना वज्र खसि पड़ल। की? पलट आब दुनियामे नै छथि? की भेलनि? मात्र एतबे सुनलौं जे हार्ट अटैक भेलनि। आइ सत्ते पलट चलि गेलाह। आब हुनकासँ ऐ जन्ममे भेँट नै हएत? मोनक बात मोने रहि गेल। पलट हमरासँ छोट छलाह। हम जिबिते छी आ ओ ऐ दुनियासँ चल गेलाह? ओ कहियासँ बीमार छलाह सेहो कहाँ बुझलिऐ। मोनकेँ हम सम्हारि नै सकलौं। लागल जेना आँखिक आगू अन्हार भऽ गेल। तत्क्षण पलटक चेहरा दिमागमे घुमय लागल। पलटक चालि ढालि, बाजब भूकब, सभटा चल चित्र जकाँ आँखिक आगू घुमए लागल। भगवान की दय ऐ संसारमे पलटकेँ पठेलखिन्ह। ओ अपना जिनगीमे कतेक दुःख सहलनि? हम आ ओ एक दोसरक पर्यायवाची छलौं। पलट हमर कतेक आत्मीय छलाह से पलट आइ हमरा छोड़ि ऐ दुनियासँ चलि गेलाह। दुखक अथाह सागरमे डूबि गेलौं। बेटा ब्याहक सभ अरमान हवामे उधिया गेल। बिछौनपर एकाएक खसि पड़लौं। बेहोश भऽ गेलौं। घरमे सभकेँ डर भऽ गेलै। कियो बुझि नै सकलै जे हम केकरासँ गप्प करैत छलौं। हुनकरआवाज सुनि सभ धीया पुता अगल बगलसँ दौड़ल। सभ पूछए लागल मुदा हमरा आँखिसँ अविरल अश्रुपात भऽ रहल छल। मोन घूमि फिरि कऽ पलटक चेहरापर चल जाइत छल। जीवनक एक एक क्षण मानस पटलपर उभरए लागल। हृदयक गति असामान्य भऽ गेल छल। संज्ञा शून्य भऽ गेल रही। केकरो बातक जबाब नै दैत छलिऐक। एकटक सँ शून्यमे तकैत रही। सभकेँ बुझा गेलै जे कोनो पैघ दुर्घटना भेलैक अछि। सभ हमरा झकझोरि कऽ पूछए लागल। की भेलै? बजै किए नै छी? केकर फोन आएल अछि? पत्नी जोर-जोरसँ हमर देह पकड़ि पुछए लगलीह। एक क्षणक लेल तंद्रा टुटल। कनेक होश भेल। देखलिऐ जे घरमे सभ विचलित अछि। हमरा आँखिसँ नोर रुकबाक नाम नै लैत छल आ ओही अवस्थामे मुँहसँ एक शब्द निकलल जे पलट आब ऐ दुनियाँमे नै छथि। हमरासँ ई शब्द निकलिते पूरा घर निःशब्द भऽ गेल। सभकेँ जेना एके बेर काठ मारि देलकै। हमहूँ अपनाकेँ सम्हारि नै सकलौं आ ओछौनपर बेहोश भऽ खसि पड़लौं। जखन होश भेल तँ देखैत छी, हम एकटा अस्पतालक बेडपर पड़ल छी। लगमे कियो नै छल। शुन्य दिस एकटकसँ ताकि रहल छी। मानस पटलपर पलट देखा रहल छथि आ देखा रहल अछि पलटक सम्पूर्ण व्यक्तित्व। छत दिस तकैत-तकैत नींद भऽ गेल। नींदमे जेना कियो कहि रहल अछि, भाइ अहाँ सुतल छी, हमरा दिस ताकू। लागल जेना निंद फुजि गेल। आगूमे पलट ठाढ़ छलाह। केस पैघ पैघ, दाढ़ी बढ़ल, मैल खटखट, फाटल चिटल कपड़ा पहिरने। हाथमे एक मुठ्ठी बालु आ बालुसँ चेन्ह पाड़ैत ओ बिदा भऽ गेलाह। पाछू-पाछू हमहूँ बिदा भेलौं। बहुत दूर गेलाक बाद जंगल आबि गेलै। जंगल बहुत डरावना रहै। बाघ, सिंह प्रच्छन्न भऽ घूमि रहल छलै। पलटक पाछू-पाछू हमहूँ आगाँ बढैत गेलौं। आगू बहुत पैघ पहाड़ रहै। पहाड़ पार केलाक बाद एकटा कन्दरा भेटल। कन्दरा बड पिच्छर रहै। ओकर बाद एकटा पैघ नदी अएलै। नदीमे बहुत उफान रहै। भसियाइत-भसियाइत बहुत दूर गेलौं। तेकर बाद पलट नदीमे डुबकी लगेलनि। हमहूँ हुनके पाछू-पाछू डुबकी लगेलौं। कतेक कालक बाद एकटा मंदिर भेटल जेकर चारु दरबाजा फुजल रहै। मंदिर खूब सजाएल रहै। चारु कात दीप जरैत रहै। बीचमे स्वर्ण रचित दूटा आसन लागल रहै। हम आ पलट ओइ घरमे एक कोनमे ठाढ़ भेलौं। तखने एकटा चमत्कार भेलै। जगतनंदनी लक्ष्मी जी संग हमर मातेश्वरी ओइ आसनपर बैस रहलीह। मातेश्वरीकेँ देखि हम तँ अवाक भऽ गेलौं। मातेश्वरीकेँ देखि पलट बजलाह- मातेश्वरी, हम अहाँक भेँट करए आयल छी। मातेश्वरी टुकुर-टुकुर पलट दिस तकैत छलीह। मातेश्वरी अपना लगसँ हमरा नै हटाउ। हमर जीवन अहाँ बिना शून्य अछि। भाइकेँ हम सेहो नेने आएल छी। ई कहि पलट जोर-जोरसँ कानए लगलाह। हमहूँ कानए लगलौं। सत्ते कानए लगलौं। कनैत हमर आँखि फुजि गेल। सामने पलटक निर्जीव शरीर पड़ल छै आ सभ लोक कानि रहल छै।

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