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Friday, August 10, 2012

डॉ. कैलाश कुमार मि‍श्र - चन्‍दा


डॉ. कैलाश कुमार मि‍श्र
चन्‍दा
राघवकेँ चन्‍दाक संगति‍ सोहनगर लगैत छलन्‍हि‍। राघव आ चन्‍दा समवयस्‍क रहथि‍- लगभग पंद्रह बर्खक। दू-चारि‍ मासक दुनूमे कि‍यो छोट तँ कि‍यो पैघ। चन्‍दा छलीह सांवरि‍, सुन्‍दरि‍। शरीरसँ पुष्‍ट मुदा लोथगर नै। सांवरि‍ चाम मुदा चमकैत। आँखि‍ मध्‍यम कदक मुदा रसगर। ठोर मोट मुदा चहटगर। नाक पातर आ नोक लेने। शाइद राघव केर दृष्‍टि‍मे सुन्‍दरताक नीक वि‍वरण यएह छलन्‍हि‍। चन्‍दा छलीह चंचल, कनीक ठसकसँ भरल आ ऐ गुमानमे तनल जे ओ दबंग पि‍ता एवं दबंग परि‍वारसँ छथि‍! चन्‍दाकेँ केवल दू बहि‍न आरो छलथि‍न्‍ह। एक्को भाइ नै। तँइ‍ चन्‍दा अपनाकेँ बेटा बुझैत छलीह। पन्‍द्रहम वयसि‍मे अएलाक उपरान्‍तो चन्‍दा अपन उन्नत वक्षकेँ नै झपैत छलीह। ऐमे हुनक उदेस अपनाकेँ कामुक बनेबाक नै छलन्‍हि‍ बल्‍कि‍ बेटा जकाँ बेटी छथि‍ तइ बातक गुमान छलन्हि! मुदा जुआनीक दरबज्‍जा खटखटबैत वक्ष, नाक, आँखि‍क गुमानसँ की मतलब! चन्‍दाक गुमानमे हुनकर शारीरि‍क अंग अपन कामुकताक भावकेँ अनेरे प्रदर्शन करए लगैत छलन्‍हि‍। आर-तँ-आर चन्‍दा राघव एवं अन्‍य समवयस्‍की छौड़ा सभ संगे कखनो कबड्डी तँ चोरा-नुक्की खेलाए लगैत छलीह। जखन कबड्डी खेलाइत छलीह तँ चेतऽकऽबऽड्डी..... डी...डी...डी... करैत हुनकर वक्ष सेहो शब्‍दक लयक संग संगीतक धुनमे मस्‍त भऽ ऊपर-नीचा होमए लगैत छलन्‍हि‍।
कतेको बेर जखन चन्‍दा कबड्डी पढ़ैत राघव दि‍स अबैत छलीह, राघवकेँ मारबाक हेतु, तँ राघव चन्‍दाकेँ पकड़बाक प्रयास करैत छलाह। प्रयास ई जे चन्‍दाक साँस टूटि‍ जाइन्‍हि‍। मुदा चन्‍दा ऐ प्रयासमे, जे बि‍ना साँस तोड़ने राघवकेँ छू ली, आ बि‍ना राघवक चंगुलमे कबड्डी पढ़ैत अपना दि‍सि‍ आपस भऽ जाइ। एक-आध बेर चन्‍दा अपन रणनीति‍मे सफलो भेलीह। मुदा अन्‍तत: छलीह लड़की। केना सकितथि, राघवक ठोस, बलिष्‍ठ कद-काठीक समक्ष? अधि‍कतर समैमे राघव चन्‍दाकेँ पकड़ि‍ लैत छलथि‍न्‍ह। आब चन्‍दा राघवसँ अपनाकेँ छोड़ेबाक हेतु पूरा प्रयास करैत छलीह। राघव सेहो अपनाकेँ एे प्रयासमे लगा लैत छलाह जे बि‍ना साँस टुटने चन्‍दा नै छुटथि‍। ऐ नोक-झोकमे बि‍ना कुनो गलत भावनाक कतेको बेर छीना-झपटी करैत राघव केर हाथ अनायास चन्‍दाक वक्षपर लागि‍ जाइत छलन्‍हि‍। चन्‍दा बुझैत छलीह जे राघव कुनो दोसर वि‍चारसँ ई सभ नै कऽ रहलाह अछि‍। तँए चन्‍दाक मुँहपर कुनो तामस, लज्‍जाक भाव, प्रति‍कार, घृणा आदि‍क भाव नै अबैत छलन्‍हि‍। बि‍ल्‍कुल स्‍वभावि‍क रहैत छलीह। मुदा कहि‍ नै कि‍ए राघवक कठाेर हाथक स्‍पर्शकेँ अनुभव करैत छलीह। हुनका कि‍छु-कि‍छु होमए लगैत छलन्‍हि‍। आँखि‍ अनेरे आनन्‍दाति‍रेकमे मुना जाइत छलन्‍हि‍। की होइत छलन्हि‍ तकरा ओ शाइद केवल अनुभव कऽ सकैत छलीह, ओकर बखान शब्‍दक माध्‍यमसँ संभव नै। एहने हालति‍ राघवोक होइत छलन्‍हि‍। नहुु-नहु राघवकेँ एना लागए लगलन्‍हि‍ जेना चन्‍दाक बगैर जीवन अर्थहीन हुअए। चन्‍दासँ जइ दि‍न राघव भेँट नै करथि‍ तइ दि‍न मोन खि‍न्न भऽ जाइन्‍हि‍। चन्‍दा सेहो राघवसँ ओतबे सि‍नेह करैत छलीह। मुदा राघव आर चन्‍दाक सि‍नेह छल नि‍श्‍छल!
राघव छलाह आर्थिक रूपसँ वि‍पन्न ब्राह्मण कुलक बालक। एकर ठीक वि‍परीत चन्‍दा छलीह एक सुभ्यस्य ब्राह्मण कन्‍या। चन्‍दाक पि‍ताकेँ तेरह बीघा ठोस खेतिहर जमीन छलन्हि आ खूब नीक लगानी केर कार्य चलैत छलन्‍हि‍। चन्‍दाक पि‍ताक नाओं छलन्‍हि‍ बुलेसर। बुलेसर बलंठ छलाह। छह फुट्टा मर्द, पहलवान, केवल अपन नाओं आ संख्‍याक ज्ञान छलन्‍हि‍। लगानीक ललका बहीकेँ कऽ-टऽ कऽ लि‍खैत-पढ़ैत छलाह। गरीब लोक सभकेँ सूदि‍पर टाका दैत छलथि‍न्‍ह‍। बन्‍धकमे गहना, बर्तन, जमीनक कागत इत्‍यादि‍ राखि‍ लैत छलथि‍न्‍ह। सूदि‍क-दर-सूदि‍ जखन गरीब लोक सभ आसिन-काति‍क मासमे भूखे मरए लगैत छल तँ बुलेसर बाबू ओतए सबैया-डेओढ़ापर धान अथवा आन अन्न लेमए जाइत छला। बुलेसर बाबू अपने हाथे अन्न जोखैत छलाह। एक मोनक बदला हमेशा ३८ सेर दैत छलथि‍न्‍ह। ओहूमे अनाजमे धूल-माटि‍ मि‍लल। छाँटल पखरा अथवा आन कुनो मोटका धान। आ लेबए काल एक मोनक बदला ४१ सेरक आसपास लैत छलाह।
कतेको लोक पाइ दैयो दैत छलन्‍हि,‍ तैयो अपन लगानीक ललका बहीसँ नाओं नै कटैत छलथि‍न्‍ह। चारि‍-पाँच बर्ख चुप भऽ जाइत छलाह। फेर एकाएक एक दि‍न बही लऽ कऽ ओइ व्‍यक्‍ति‍क घरपर महाजन बनि‍ पहुँचि‍ जाइत छलाह, तगेदा हेतु। बेचारा परेशान! मुदा अपन बलंठीसँ चूर बुलेसर बाबू ओइ व्‍यक्‍ति‍क गरदनि‍ अपन गमछासँ जकड़ि‍ लैत छलाह। फेर ओकरा लाचार कऽ दैत छलथि‍न्‍ह पंचैती बैसेबाक लेल। पंच की तँ छह-सात चमचाक दल। सभ बुलेसर बाबूक हँ-मे-हँ मि‍लबैबला। सभ हुनके सबहक बात कहएबला। बेचारा असहायक बातकेँ के सुनैत अछि‍? लाचार कऽ ओइ व्‍यक्‍ति‍सँ ओकर जमीन आर गहना इत्‍यादि‍ हथि‍या लैत छलाह। अही प्रक्रि‍यासँ चारि‍ बीघासँ तेरह बीघा जमीन भऽ गेल छलन्‍हि‍ बुलेसर बाबूकेँ।
 एकबेर तँ बुलेसर बाबू एहेन काज केलन्‍हि‍ जेकरा लोक अखनो धरि‍ नै बि‍सरल अछि‍- नृशंसकारी, जघन्‍य, हत्‍या समान, बल्‍कि‍ साक्षात हत्‍या! एना भेलैक जे टुनटुनमा मलाह बुलेसर बाबूसँ अपन पत्नीक इलाजक हेतु तीन सए टाका सूदि‍पर लेलकन्‍हि‍। ई कहि‍ जे छह मासमे सूदि‍क संग आपस कऽ देतन्‍हि‍। मुदा कि‍छु कारणवश एक बर्ख धरि‍ आपस नै कऽ सकलन्‍हि‍। एक दि‍न प्रचण्‍ड जाड़सँ कपैत टुनटुनमा राघवक दरबज्‍जापर आबि‍ राघवक पि‍तामह संगे घूर तापि‍ रहल छल। ओ तमाकुल चुना राघवक पि‍तामहकेँ देलकन्‍हि‍ आ अपनो खेलक। कि‍छु कालक बाद अपन एक लठैतक संग बुलेसर बाबू सेहो राघव केर दरबज्‍जापर घूर तापऽ आबि‍ गेलाह। टुनटुनमाकेँ देखैत मातर हुनका तामस चढ़ि‍ गेलन्‍हि‍। वीभत्‍स गारि‍ देमए लगलथि‍न्‍ह ओकरा-
रौ बहान ...ोद! तूँ एखन धरि पाइ आपस नै केलेँ?”
टुनटुनमा कहए लगलन्‍हि‍- मालि‍क! हमर हाथ तंग अछि‍। बेटा कलकत्तासँ आबैबला अछि‍। अबि‍ते मातर दऽ देब, बि‍थुत नै करब।
मुदा बुलेसर बाबूक तामसे दुर्वासा बनल छलाह। आरो गारि‍ पढ़ैत गमछा टुनटुनमाक गरदनि‍मे फँसा उठा लेलथि‍न्‍ह। टुनटुनमा लाचार भऽ घेँघयाए लागल। बुलेसर बाबू सोहाइ चमेटा ओकरा कानक जड़ि‍मे मारलथि‍न्‍ह। हे भगवान! जाड़क मास बुढ़ शरीर, भुखाएल पेट, जीने काया, बेचारा टुनटुनमाक कानसँ खून बहए लगलै। मुदा तखनो बुलेसर बाबूकेँ संतोष नै भेलन्‍हि‍। गमछासँ टुनटुनमाकेँ घि‍सि‍याबए लगलाह। ई देखि‍ राघवकेँ पि‍तामहकेँ भेलन्हि जे कहीं टुनटुनमा हुनके दरबज्‍जापर नै मरि‍ जान्‍हि‍। ओ बीचमे आबि‍ गेलाह आ कहलखि‍न्‍ह- हौ बुलेसर! ई हमरा दरबज्‍जापर आएल अछि‍। मरि‍ जएतै। अतए कि‍छु नै करहक।
ऐ बातपर बुलेसर बाबू कहलखि‍न्‍ह- ठीक छै कारी कक्का, हम ऐ सार मलहाकेँ धोबि‍या गाछी लऽ जाइ छी।
ई कहि‍ टुनटुनमा गरदनि‍मे फँसाओल गमछा घि‍चैत ओकरा धोबिया गाछी दि‍सि लऽ गेलन्‍हि‍। मरैत कि नै करत, बेचारा टुनटुनमा जेना कसाइ लग गाए जाइत अछि‍ तहि‍ना बुलेसर बाबूक संग वि‍दा भेल।‍ आ बुलेसर बाबू जखन धोबि‍या गाछी गेलाह तँ एक लात मारि‍ टुनटुनमाकेँ धरतीपर पाड़ि‍ पुन: एक ऐँर मारलखि‍न्‍ह। फेर अपन ठेंगा ओकर नि‍कासमार्ग -गुदामार्ग- मे घुसा देलथि‍न्‍ह। खूनक फुचुक्का नि‍कलि‍ पड़लैक। बेचारा ओतहि‍ कनैत बेहोश भऽ गेल। मुदा बुलेसर बाबूक चेहरापर अफसोस पसरि‍ गेलनि‍ आ मुँहसँ नि‍कलन्‍हि‍- ठेंगो अपवि‍त्र भऽ गेल!
टुनटुनमाकेँ ओतहि‍ ओही हालति‍मे छोड़ि‍ ओ अपन घर दि‍सि‍ वि‍दा भऽ गेलाह।

लगभग आधा घंटाक पछाति‍ ऐ घटनाक जानकारी टुनटुनमाक बेटाकेँ भेलै। ओ ओकरा उठा कऽ घर लऽ गेलै। पैसा नै रहै तँए देसी दबाइ प्रारम्‍भ केलकै। भरि‍ पेट खेबाक सेहो सामर्थ्‍य नै, तइ मनुक्‍खपर एहेन अत्‍याचार! बेचारा टुनटुनमा १० दि‍नक भीतर कराहि‍-कराहि‍ कऽ मरि‍ गेल। मनुक्‍खपर मनुक्‍ख द्वारा एहेन अत्‍याचार! हे भगवान कि‍ए नै देखै छी एहेन लोक सभकेँ। कि‍छु अही तरहक वि‍चार राघव लेल कि‍शोरक मनमे अएलन्‍हि,‍ जखन टुनटुनमाक सम्‍बन्‍धमे पता लगलन्‍हि‍। मुदा बुलेसर बाबूक हृदैपर कुनो प्रभाव नै पड़लन्‍हि‍। ओ अपन बलंठगिरीमे लागल रहलाह।
बुलेसर बाबूक दू व्‍यक्‍ति‍त्‍व छलन्‍हि‍। लहनाक मामलामे ओ बलंठ, हृदैहीन, कसाइ आ कईंया छलाह। ठीक एकर वि‍परीत पि‍ताक रूपमे स्‍नेहशील, उदार आ अनुरागी। राघवकेँ चन्‍दाक नेनपनक दृश्‍य यादि‍ आबए लगलन्‍हि‍। जखन चन्‍दा चारि‍-पाँच बर्खक छलीह तँ बुलेसर बाबू सदि‍काल चन्‍दाकेँ अपना कन्‍हापर चढ़ेने रहैत छलाह। दुलारक अन्‍त नै। चन्‍दाकेँ सदि‍काल चन्‍दा बेटा कहि‍ सम्‍बोधि‍त करैत छलाह। चन्‍दा अगर कुनो कारणे रूसि‍ जाइत छलीह कि‍ंवा कनैत छलीह तँ बुलेसर बाबू चन्‍दाकेँ कोरामे उठा गीत गाबि‍-गाबि‍ बौसैक प्रयास करैत छलाह। गीतक आखरि‍ कि‍छु ऐ प्रकारक होइ छलै-
चन्‍दा तोरे देबौ गे
सभ धन तोरे देबौ गे
तेरह बीघाक जोता चन्‍दा तोरे देबौ गे
गहना तोरे देबौ गे
सोना-रूपा तोरे देबौ गे....।
आ गुमानसँ तनल चन्‍दा शनै: शनै: कानब बन्न कए अपन पि‍ताक चौरगर छातीसँ चिपकि जाइ छली। पि‍ता-पुत्रीक अगाध प्रेम। एहेन प्रेम जइमे प्रेमाधि‍क्‍य आ सि‍नेहक धार सदि‍खन बहैत रहैत छल।
राघवक कि‍शोर मनमे बुलेसर बाबूक प्रति‍ धोर घृणा उत्पन्न होमए लगलन्‍हि‍। मन होन्‍हि‍ जे बुलेसराकेँ उठा कऽ पटकि‍ दी बीच चौबट्टि‍यापर, लाते-लाते खनि‍ दी। मुदा ई हुनका नीक जकाँ ज्ञात छलन्‍हि‍ जे बुलेसर बाबूक समक्ष हुनकर परि‍वारक अस्‍ति‍त्‍व शून्‍य छलन्‍हि‍। आर-तँ-आर राघव केर पि‍ता सेहो बुलेसर बाबूसँ ऋण लेने छलथि‍न्‍ह। फेर राघवकेँ वि‍चार अएलन्‍हि‍ जे कि‍ए नै चन्‍दासँ बात कएल जाए? मुदा फेर ओ अपनाकेँ चेतलाह। चन्‍दा तँ थिकीह अन्‍तत: बुलेसरेक बेटी ने। साँपक गर्भसँ कुनो हंस जन्‍म लेलकैक अछि‍। साँपक नेना साँपे जकाँ डसबे करतै। चन्‍दाकेँ कहने की लाभ? ऊपरसँ अगर चन्‍दा अपन पि‍तासँ शि‍काइत करतीह तँ हमरो घरमे वि‍पत्ति‍क भूकम्‍प आबि‍ जाएत!
...ई सोचैत राघव चुप्‍पी साधि‍ लेलन्‍हि‍। मुदा जखन-जखन टुनटुनमा बेटाकेँ बापक कर्म करैत देखैत छलाह तखन-तखन घृणा आ पश्चातापक ज्‍वारि‍मे जरए लगैत छलाह। मुदा छलाह बेवश! लचार!! मरैत लोक की नै करैए!!!

कहि‍ नै कि‍ए चन्‍दा राघवक बि‍ना अपनाकेँ अनेरे बेचैन अनुभव करए लगली‍। एकबेर राघव आठ दि‍नक हेतु मातृक गेलाह, चन्‍दाकेँ बि‍ना कहने। चन्‍दा राघव केर घर लगका पोखरि‍मे नहाए अएलीह। जखन राघवकेँ नै देखलन्‍हि‍ तँ मनमे ई भेलन्‍हि‍ जे राघव कतौ इम्‍हर-उम्‍हर चलि‍ गेल छथि‍ कि‍छु क्षणक हेतु। मन तँ नै लगलन्‍हि‍। चुप-चाप जल्‍दी-जल्‍दी स्‍त्रगनाही घाटपर जाए पोखरि‍मे डुम देलीह। एक लोटा अछिंजल लए ओतुक्के पंचमुखी महादेवपर आधा मनसँ जल ढारलन्‍हि‍। राघवसँ भेँट नै भेलन्‍हि‍ ऐ बातक कचोट करैत घर चलि‍ गेलीह। घर जाए आधा मनसँ आधा-छीधा अन्न खेलीह आ सोझे आमक गाछी आम ओगरए लेल चलि‍ अएलीह। आमोक गाछीमे चन्‍दाकेँ मन नै लगलन्‍हि‍। चन्‍दा मोने-मन भगवानसँ प्रार्थना करए लगलीह- हे भगवान! जल्‍दी-जल्‍दी राति‍ करू। सूति‍ रही। जल्‍दी-जल्‍दी भोर करू जे राघव भेट जाए।
मुदा राघव तँ आठ दि‍नक हेतु गामेसँ बाहर भऽ गेल छलाह। खएर! चन्‍दा मुन्‍हारि‍ साँझक बाद घर अएलीह। माय पुछलखि‍न्‍ह-चन्‍दा, अतेक देरीसँ कि‍अए अएलेँहँ?”
चन्‍दा बजलीह- चोरा सभ आम तोड़बाक फि‍राकमे छल। सोचलौं जखन मखना रखबार आबि‍ जाएत तखने कलम छोड़ब।
चन्‍दाक ऐ जबाबसँ प्रसन्न भऽ बुलेसर बाबू अपन सीना चौड़ा करैत पत्नीकेँ कहलखि‍न्‍ह- बुझलि‍ऐ, कतेक ज्ञानी आ बुझनुक अछि‍ अप्‍पन चन्‍दा? चन्‍दा सन भगवान अगर बेटी देथि‍ तँ बेटाक कुन प्रयोजन?”
तइपर चन्‍दाक माय कहलखि‍न्‍ह- अहाँ अनेरे बजैत छी। लड़कीकेँ कुनो हालति‍मे साँझ भेला उत्तर घरसँ बाहर नै रहबाक चाही। समए-साल खराप चलि‍ रहल छै। कुनो ऊँच-नीच भऽ गेलै तँ की हेतै।
मुदा बुलेसर बाबू कतए चुप हुअएबला छलाह। कहलखि‍न्‍ह- की बाजि‍ रहल छी? केकरा हि‍म्मति‍ छै जे हमर चन्‍दा संग कनीकबो बद्तमीजी करए। जे सोचबो करत तकर आँखि‍ नि‍कालि‍ लेबै।
मुदा चन्‍दा अपन माता-पि‍ताक वाक्-युद्धमे हि‍स्‍सा नै लेलन्‍हि‍। बि‍ना कुनो हर्ष-वि‍षादक चुपचाप ठाढ़ि‍ रहलीह।
चन्‍दा मोने-मन प्रसन्न भेलीह- चलू, बाबूजी हमरा अतेक सि‍नेह करैत छथि‍। हे भगवान! जन्‍म-जन्‍म भरि‍ एहने पि‍ता देब। ओना माइयो कुनो अधलाह नै कहलनि‍। अतेक साँझ धरि‍ आमक गाछीमे हमरा नै रहबाक चाही। मुदा माता-पि‍ताक प्रसंगसँ चन्‍दाकेँ एक लाभ ई भेलनि‍ जे चन्‍दा राघवक कमीकेँ कि‍छु क्षणक हेतु बि‍सरि‍ गेलीह। भोजन-भात करैत राति‍क आठ बाजि‍ गेलै। चन्‍दा अपन दू छोट बहि‍न सबहि‍क संग सूति‍ रहलीह। कनीकाल राघवकेँ स्‍मरण एलन्‍हि‍। तामसो चढ़लन्‍हि‍- कतए चलि‍ गेलाह राघव! भेँट नै भेलाह। फेर भेलन्‍हि‍, भऽ सकैत अछि‍ कुनो प्रयोजनसँ कतौ गेल होथि‍। काल्‍हि‍ तँ भेँट भइये जाएत। मोन भेलन्‍हि‍, राघवकेँ पुछबनि‍ जे कतए गेल रही। मुदा लोक अगर सुनत तँ की कहत। राघव सेहो की सोचताह! फेर वि‍चारलन्‍हि‍, कि‍छु नै कहबन्‍हि‍। अही तरहक अनेक वि‍चारक श्रृंखलामे चन्‍दा तल्लीन भऽ गेलीह। पता नै सोचैत-सोचैत कखन नि‍सभेर भऽ गेलीह।
भोरे उठि‍ चन्‍दा नवका पोखरि‍ दि‍स स्‍नान करक हेतु वि‍दा भेलीह। सोमक दि‍न रहै। माय कहलथि‍न्‍ह- चन्‍दा, पंचमुखी महादेवकेँ आइसँ हरेक सोम एगारह लोटा अछि‍ंजल चढ़ाउ। गंगेश पण्‍डि‍त कहलन्‍हि‍ अछि‍ जे ऐसँ अहाँक कल्‍याण हएत। 
बुलेसर बाबू पत्नीसँ पुछलखि‍न्‍ह- गंगेश पण्‍डि‍तजी कल्‍याणक अर्थ की कहलन्‍हि‍?”
चन्‍दाक माय- कल्‍याणक अर्थ ई भेल जे चन्‍दाकेँ योग्‍य घर-वर भेटतनि‍। सोम दि‍न महादेव आ पार्वतीक दि‍न छन्‍हि‍। सोमक जल ढारक बड्ड महत छै। त‍इसँ सोचलौं, गंगेश पण्‍डि‍त जीक उक्‍ति‍सँ चन्‍दाकेँ अवगत करा दि‍यन्‍हि‍।
बुलेसर बाबू पत्नीक बातकेँ स्‍वीकृति‍ गर्दनि‍ हि‍ला देलखि‍न्‍हि‍। कि‍छु बजलाह नै। मोने-मन भोलानाथसँ व्‍याहुत बेटी लेल नीक वरक वरदान अवश्‍य मंगलन्‍हि‍। सभकेँ ठसकसँ लगानीपर द्रव्‍य आ वस्‍तु देनि‍हारक हाथ आइ भगवान भोलानाथ लग आर्त-भावसँ लेबाक लेल पसरल छलन्‍हि‍। कनीक क्षण लेल अनुभव भेलन्‍हि‍ जे बेटीक बाप भेनाइ केकरा कहैत छैक!!
खएर! चन्‍दा फुलडाली, फुलही लोटा, वस्‍त्र, बांसक कर्चीक दतमनि‍ लऽ नवका पोखरि‍ दि‍स वि‍दा भेलीह। एकपेरि‍या रस्‍तामे चलैत मोने-मन उमंगमे डूमल जे आइ राघवसँ भेँट हएत। उल्‍लसि‍त मोनसँ चलैत नायि‍का सेहो एकपेरि‍या रस्‍तापर अपन शरीर आ सोचक संग एक अनुपम सामंजस्‍य स्‍थापि‍त कऽ लैत अछि‍। मोन जेना-जेना अपन सोचमे उतार-चढ़ाव, गति‍, उद्वेग, तरंग अनै छै, तहि‍ना शरीरक अंग सभ प्रदर्शन कए मोनक भावनाकेँ व्‍यक्‍त करै छै। चन्‍दो संग सएह भेलन्‍हि‍। भरि‍ रस्‍ता चन्‍दा कखनो राघव तँ कखनो अपन माइक कहल आदेशक सम्बन्‍धमे सोचैत रहली। राघवपर चन्‍दाकेँ तामस आ सि‍नेहक भाव एक्के संग आबए लगलन्‍हि‍। तामस ऐ हेतु जे राघव कतए गेला बि‍ना कहने। सि‍नेह ऐ दुआरे जे राघव बड्ड नीक लोक अछि‍। सोचलन्‍हि‍- गरीब तँ छथि‍ राघव, मुदा छथि‍ व्‍यवहार आ वि‍चारसँ नीक। चन्‍दाकेँ एक क्षण लेल पहि‍ल बेर ई एहसास भेलन्‍हि‍ जे शायद राघव हुनका जीवनमे बहुत पैघ स्‍थान रखैत छथि‍न्‍ह। चन्‍दाकेँ यादि‍ आबए लगलन्‍हि‍ कबड्डी आ नूका-चोरी। चन्‍दाकेँ यादि‍ एलन्‍हि‍ तीन-चारि‍ वर्ष पूर्वक एक घटना जखन चन्‍दा कि‍छु आर लड़का-लड़की संगे मि‍लि‍ कऽ कनि‍या-पुतराक खेल खेलाइत छलीह। राघव सेहो अइ खेलक पात्र छलाह। राघवक घरमे कि‍यो नै रहन्‍हि‍। दुपहरि‍याक समए छलै। पाँच-छह नेना सभ कनि‍या-पुतरा खेलाए लागल। भेलै ई जे ऐ खेलमे एक वर आ एक कनि‍या हेतै। कनि‍याक पि‍ता आ माता हेतै। वर आ कनि‍याक बि‍आह हेतै। गीत-नाद आ वि‍धि‍ बेवहार हेतै। चन्‍दा बनलनि‍ कनि‍या आ राघव बनला वर। दुनुक बि‍आह भेलन्‍हि‍। गीत-नाद भेलै। चतुर्थी भेलन्‍हि‍। कोहबर बनलै। कोहबर घरमे चन्‍दा आ राघव वर कनि‍या बनि‍ आराम करए गेलाह। कोहबर घर की तँ राघवक पि‍ताक मच्‍छरदानी टांगि‍ ओकर चारू कात नूआसँ झांपि‍ देल गेलै। राघव आ चन्‍दाकेँ कोहबर घरमे राखि‍ सभ बच्‍चा सभ थोड़ेक कालक हेतु बाहर चलि‍ गेल। राघव आ चन्‍दा अपना-आपकेँ ठीकेमे वर-कनि‍याँ मानि‍ एक दोसरकेँ पकड़ि‍ सूति‍ रहला‍। कनीक-कालक बाद बच्‍चा सभ आबि‍ गेलै।
चन्‍दा यएह सभ सोचैत-सोचैत नवका पोखरि‍ दि‍स जाइत छलीह। कखनो कमर लचकन्‍हि‍ तँ कखनो वक्ष हि‍लए लगन्‍हि‍। कखनो नि‍तम्‍ब डग-मग करए लगन्‍हि‍ तँ कखनो आनंदाति‍रेकमे अबिते चलबाक गति‍ तेज भऽ जाइन्‍हि‍। जखन तेज चलथि‍ तँ वक्ष आ जखन नहु-नहु आनन्‍दि‍त होइत चलथि तँ नि‍तम्‍ब डोलए लागन्‍हि‍। दुनू अवस्‍थामे चन्‍दा लगैत छलीह सुन्‍दरि‍, आकर्षक......।
फेर चन्‍दाकेँ भेलन्‍हि‍ जे राघव तँ हमर कुनो मूलो-गोत्रक नै छथि‍। तखन की चन्‍दा आ राघवक बि‍आह भऽ सकैत छन्‍हि‍? फेर सोचलन्‍हि‍, केना हेतै? एक्के टोलमे जे छी। आर राघव तँ गरीब घरसँ छथि‍। हमर पि‍ता कखनो ऐ लेल तैयार नै हेताह। ई सोचैत चन्‍दाक चालि‍ मध्‍यम भऽ जाइन्हि। माथपर पसीना आबए लगलन्‍हि‍। चेहरा उदास भऽ गेलन्‍हि‍। मुदा सुन्‍दरता अपन दोसर रूपमे प्रस्‍फुटि‍त होइत रहलन्‍हि‍। नि‍तम्‍ब नहु-नहु उभार प्रदर्शित करए लगलन्‍हि‍। आब चन्‍दा अपन बि‍आहक संबंधमे सोचए लगलीह। केकरासँ बि‍अाह हएत? ओ लड़का केहेन हेतै! हमरा संग ठीक बेवहार करत की नै? छोटकी बहि‍न सभक जि‍म्‍मेवारी माय असगरि‍ केना सम्‍हारतीह। आदि‍-आदि‍। फेर चन्‍दा अपना-आपकेँ भगवान भोलानाथपर छोड़ि‍ देलन्‍हि‍। मोने-मन गाबए लगलीह- पूजाक हेतु शंकर, आएल छी हम भिखारी।
यएह सोचैत-सोचैत चन्‍दा आबि‍ गेलीह नवका पोखरि‍ लग। पोखरि‍सँ ठीक पहि‍ने राघव केर दलान। दलानपर राघवकेँ पुन: नै देखलखि‍न्‍ह। मोन रोष आ अव्‍यक्‍त वि‍रहसँ वि‍दग्‍ध भऽ गेलन्‍हि‍। चारू कात देखलनि‍। मुदा राघव कतौ नै। चन्‍दाक मुँह ओइ फूल जकाँ मुरझा गेलन्‍हि‍ जकरा तोड़ि‍ लोक जेठक प्रचण्‍ड रौदमे छोड़ि‍ दै छै। नि‍ष्‍ठुर राघव कि‍ए कतौ बि‍ना कहने चलि‍ गेलै?
खएर! चन्‍दा चारू कात राघवकेँ तकलन्‍हि‍। मुदा राघव जखन घरपर रहतथि‍ तखन ने चन्‍दाकेँ भेट होइतन्‍हि‍। अन्‍तमे चन्‍दा मन्‍दि‍रक पाछाँ फुलवारीमे फूल लोढ़ए गेलीह। चम्‍पाक गाछमे पीअर-पीअर रमनगर आ सुगन्‍धि‍त चम्‍पा फुलाएल रहै। रहैक मुदा बड़ उँचका ठाढ़ि‍पर फुलाएल। चंदा सोचलीह, चलू अही बहाने राघवक घर जाइत छी। ई सोचैत चंदा राघवक घरपर आबि‍ गेलीह। राघवक मायकेँ पुछलखि‍न्‍ह- काकी, हमरा चम्‍पा-फूल पंचमुखी महादेवकेँ चढ़ेबाक अछि‍। मुदा फूल तँ बड्ड उँचका डारि‍पर फड़ल छै। हम नै पबैत छी। कनी राघवकेँ कहबनि‍ जे कि‍छु फूल तोड़ि‍ देताह?”
राघवक माय कहलखि‍न्‍ह- बुच्‍ची, राघव तँ मातृक काल्‍हि‍ भाेरे गेल। कलकत्तासँ ओकर छोटका मामा-मामी सपरि‍वार आएल छथि‍न्‍ह। कहि‍ कऽ गेल अछि‍ जे सात-आठ दि‍नक बाद आओत। आब अहीं कहू जे केना फूल टुटत?”
फेर कि‍छु देर सोचैत राघव केर माय अंगनासँ एक गोट पाहुनकेँ बजेलखन्‍हि‍। जे जरैलसँ अपन बहि‍न लग आएल छलाह। ओइ पाहुनकेँ कहलखि‍न्‍ह- यौ पाहुन, ई थिकीह चन्‍दा, हम्‍मर गामक बेटी। हि‍नकर पि‍ता बड्ड कलामा। ई भगवान पंचमुखी महादेवकेँ चढ़ेबाक लेल कि‍छु चम्‍पा फूल तोड़ए चाहैत छथि‍। मुदा फूल गाछक फुनगीपर लागल छै। कनी अहाँ हि‍नका फूल तोड़ि‍ दि‍यौन्‍ह। फूल तोड़ैबलाकेँ सेहो फूल चढ़बैबला अतेक धर्म होइ छै। राघव रहैत तँ कुनो बाते नै। ओ मातृक गेल अछि‍। कनी, अहीं फूल तोड़ि‍ दि‍यौन्‍ह चन्‍दाकेँ।
पाहुन हाथमे लग्‍गी लऽ बि‍ना कि‍छु कहने चम्‍पा फूल तोड़ए लेल चन्‍दा संग बि‍दा भेलाह। चन्‍दाक मुँह जेना लटकि‍ गेलन्‍हि‍। गाल जेना सि‍याह भऽ गेलन्‍हि‍। आँखि‍ नोराह भऽ गेलन्‍हि‍। ठोर सुखाए लगलन्‍हि‍। छाती धरकए लगलन्‍हि‍। मुदा जवानी केर दरबज्‍जापर आबि‍ गेल चन्‍दा सोचलनि‍ जे कनि‍या काकी अर्थात् राघवक मायकेँ धन्‍यवाद अवश्‍य देल जाए। जाइत-जाइत कहनखि‍न्‍ह- कनि‍याँ काकी, पाहुन खराप तँ नै सोचताह?”
राघवक माय झट दऽ उत्तर देलखि‍न्‍ह- की सोचै छी बुच्‍ची? पाहुन आन कि‍यो नै छथि‍। जरैलवाली कनि‍याँक भाय छथि‍न। बहि‍नक ननदि‍ लेल फूल कनी तोरि‍ देलखि‍न्‍ह तँ की भऽ जेतन्‍हि‍। अहाँ नि‍श्चि‍न्‍तसँ जाउ।
चम्‍पा फूल अपन फुलडालीमे राखि‍ चंदा स्‍त्रीगनाही घाटमे स्‍नान केलनि‍। माइक आज्ञाकेँ मानैत डोले-डोले अछि‍ंजल लऽ एगारह लोटा जल पंचमुखी महादेवक ऊपर ढाड़लनि‍। लगभग १५ मि‍नट धरि महेशवानी, नचारी इत्‍यादि‍ सेहो गौलीह। आ अन्‍तत: घर दि‍स बि‍दा भेलीह।
घरपर माय पुछलखि‍न्‍ह- चन्‍दा, पंचमुखी महादेवकेँ जल चढ़ेलौं बेटी?”
चन्‍दा बि‍ना कि‍छु कहने गर्दनि‍ हि‍लबैत हँ कहि‍ देलखि‍न्‍ह। माइक मोन तिरपीत। जल्‍दीसँ चन्‍दाक आगूमे भोजन परसि‍ देलखि‍न्‍ह। मुदा चन्‍दा मोनसँ नै खेलीह। राघवक यादि‍मे डुमल रहलीह। केकरो लग नै बजलीह अपन वेदना। समए बीतए लगलै। एक दि‍न बुलेसर बाबूक पत्नी अर्थात् चन्‍दाक माय बुलेसर बाबूकेँ कहलखि‍न्‍ह- सुनै छी, चन्‍दा आब बि‍आह जोगरक भऽ गेल अछि‍। हमरा सभक बेटा ई तीनू बेटि‍ये अछि‍। तँए नीक घर-वर ताकि‍ ऐ तीनूक बि‍आह कऽ दि‍औ। सम्‍पति‍ राखि‍ की करब? जखन तीनू बेटीक बि‍आह भऽ जाएत आ ओ सभ अपन-अपन सासुर बसए लागत तँ घराड़ी आ कि‍छु कलम छोड़ि‍ तमाम सम्‍पति‍ बेच, सभ पैसाकेँ बैंकमे राखि‍ अपने दुनू प्राणी काशी चलि‍ जाएब। बैंकक सूदि‍सँ जीवन चलत। नौमनी तीनू बहि‍नकेँ बना देबै। मुदा ई सभ तखन सम्‍भव अछि‍ जखन अहाँ जीमन, लगानी, वस्‍तु, पैसा इत्‍यादि‍क बँटवारा कऽ लेब। कहि‍यनु कन्‍हाइ बाबूकेँ जे बाँटि‍ कऽ सभ वस्‍तु व हि‍स्‍सा बराबरि‍ कऽ कऽ दऽ देथि‍।
बुलेसर बाबू कहलखि‍न्‍ह- हँ, हँ। कन्‍हैया कि‍ए नै देत। ओकरा तँ तरीकासँ हमरा जेठांस देमाक चाही। बपौती सम्‍पति‍क अलाबे जे अर्जन भेल अछि‍ तइमे हम्‍मर योगदान कन्‍हैयासँ बहुत बेशी अछि‍। हम काल्हि‍ये कन्‍हैय्या लग ई प्रस्‍ताव राखैत छी।
बुलेसरकेँ पत्नी कहलखि‍न्‍ह- जखन कन्‍हाइ बाबू दऽ देताह तखने कहब। कहि‍ नै कि‍एक हम मोन बड्ड घबरा रहल अछि‍।
बुलेसर बाबू बजलाह- अहाँ अनेरे घबराइ छी। स्‍त्री छी स्‍त्रीगन जकाँ रहू। जाउ भोजन-भात बनाउ गऽ। हम काल्हि‍ये कन्‍हैया लग ई प्रस्‍ताव राखब आ एक मासक भीतर सभ चीज बाँटि‍ लेब। फेर नीक जकाँ तीनू बेटीक बि‍आह करब। आब ऐ केर अलाबा हमरा सभक कार्ये की?”
दोसर दि‍न दुपहरमे बुलेसर बाबू दरबज्‍जापर अपन छोट भाए कन्‍हाइ बाबू लग बैसल रहथि‍। कन्‍हाइ बाबू कनीक बुलेसर बाबूसँ ज्‍यादा पढ़ल छलाह। मुदा पाँचसँ ज्‍यादे नै। एक नम्‍बरक घुइयाँ आ कइयाँ। कन्‍हाइ बाबूकेँ चारि‍ बालक आ दू बालि‍का। बालक सभ पढ़ैमे भोथ मुदा कन्‍हाइ बाबू घरेमे मि‍डि‍ल स्‍कूल केर एक मास्‍टर साहेबकेँ रखैत छलाह। हुनका मुफ्तमे भोजन आ रहबाक व्‍यवस्‍था कऽ देने छलखि‍न्‍ह। कखनौं कालकेँ कि‍छु आर्थिक मदति‍ सेहो कऽ दैत छलखि‍न्‍ह। कृतज्ञ मास्‍टर नि‍यमि‍त रूपसँ कन्‍हाइ बाबूक भोथ आ नालायक बेटा सभकेँ पढ़बैत रहैत छलाह। कन्‍हाइ बाबू चोरा-चोरा कऽ पैसा इत्‍यादि‍ अपन पत्नी तथा बेटा सबहक नामसँ गामक पोस्‍ट आॅफि‍स तथा अपन सासुरमे रखैत छलाह। ऐ बातक जानकारी बुलेसर बाबूकेँ नै छलन्‍हि‍। कन्‍हाइ बाबू मोने-मोने ई प्‍लान कऽ रहल छलाह जे बुलेसर बाबूक बेटीक बि‍आह कुनो सामान्‍य परि‍वारमे करा बुलेसर बाबूक तमाम जमीन आ चल-अचल सम्‍पति‍केँ हथि‍या लेताह।
बुलेसर बाबू कहलखि‍न्‍ह- कन्‍हैया, हम आ तूँ दुनू भाँइ एके संग रहलौं। मि‍ल कऽ सम्‍पति‍ बनेलौं। तोरा भगवान चारि‍टा लड़का देने छथुन्‍ह। मुदा हमरा तीनटा बेटि‍ये अछि‍। ई तीनू बेटी हमरा लेल बेटासँ कम नै अछि‍। आब चन्‍दा बि‍आह जोगरक भऽ गेल अछि‍। आनो सभ उपरे-नीचाँ छै। चन्‍दाक माय हमरा सदि‍खन एकर सबहि‍क बि‍आह करा देबक हेतु कहैत रहैत छथि‍। हम सोचैत छी, जे मरला उत्तर हम्‍मर सम्‍पति‍क हकदार यएह सभ हएत। फेर हम अपन जिबैत सम्‍पति‍ बेचि‍ एकरा सभकेँ नीक घरमे किए नै बि‍आह करा दि‍ऐ? मुदा हमरा तँ अधि‍कार केवल अपन हि‍स्‍सापर अछि‍। सझि‍या-साझपर नै। तँए दुनू भाँइ अपन तमाम सम्‍पति‍क बँटवारा कऽ लैत छी। तोहर की वि‍चार, तों अनेरे चि‍न्‍ता नै कर।
ई बात होइते रहैक तावतेमे चन्‍दाक माय आंगनसँ दरबज्‍जापर आबि‍ गेलीह। कहए लगलखि‍न्‍ह- सभ चीज ठीक छै कन्‍हाइ बाबू। मुदा बँटवारा तँ भऽ जेबाक चाही। सझि‍या-साझमे हमरा समस्‍या अछि‍, कुनो चीज करहौक मन हएत तँ मोन मसौसि‍ कऽ रहए पड़त। बि‍आह-दानक बाद जे सम्‍पति‍ रहतै से अहुना अहींक बच्‍चा सभक रहत। अहाँ हमरा सभकेँ सभ सम्‍पति‍ बाँटि‍ दि‍अ।
कन्‍हाइ बाबू ऐ बातपर चि‍चि‍आइत बजलाह- भौजी! अहाँ आंगन जाउ। हमरा दुनू भैयारीमे अहाँ नै बाजू। हमरा सभकेँ जेना हएत तेना करब। अहाँ जाउ। लप्‍प दनी दरबज्‍जापर आबि‍ जाइत छी। जएब की नै?”
बुलेसर बाबू बीचेमे अपन पत्नीक बातक समर्थन करैत बाजि‍ उठलाह- कन्‍हैया, भौजी तँ वएह बात कहै छथुन्‍ह जे हम कहि‍ रहल छि‍अह। तों तामस नै करऽ आ सम्‍पति‍ बाँटि‍ लए। सभटा लहनाक बही, द्रव्‍य-जात, पैसा इत्‍यादि‍ एकठाम करऽ आ बाँटऽ।
कन्‍हैया तामसे घोर भऽ गेलाह। कहए लगलखि‍न्‍ह- भैया, लगानीमे बारह अना हम्‍मर अछि,‍ केवल चारि‍ अना तोहर। तों घरमे जोखैत छेँ, खेती करैत छेँ। हम चारू बापुत गामे-गामे, घरे-घरे जा कऽ तगादा करैत छी आ डुमल पाइ वापस लबैत छी।
बुलेसर बाबूकेँ आँखि‍क आगू अन्‍हार भऽ गेलन्‍हि‍। बजलाह- हम की नै केलौं। कर्म-कुकर्म सभ। राति‍-दि‍न तोहर संग देलियौ। लोक सभसँ झगड़ा-फसाद केलौं। आब कहैत छेँ जे द्रव्‍य-जात एवं पैसापर हम्‍मर हक केवल चारि‍ आना? हे भगवानक डांगसँ डर कन्‍हैया!!! चल पाँचटा पंच बैसबैत छी। काल्हि‍ये ऐ बातक नि‍बटारा भऽ जेबाक चाही।
कन्‍हैया कहलखि‍न्‍ह- निबटारा की हेतै भैया, नि‍बटारा भेले बूझऽ। तोरा चारि‍ आना हि‍स्‍सा भेटतऽ द्रव्‍य-जात अा लहनामे।
ई कहि‍ कन्‍हैया अपन बड़ाका बेटाकेँ लगानी बला सन्‍दूकक चाभी देमए लगलाह।
ई चीज बुलेसर बाबूकेँ बरर्दास्‍त नै भेलन्‍हि‍। तुरत झपटि‍ कऽ चाभी छीनि लेलन्‍हि‍ आ बाजए लगलाह- रे ककर मजाल छै जे हमर आधा हि‍स्‍सा रोकि‍ लेत। तकरा कुट्टी-कुट्टी काटि‍ देबै।
बुलेसर बाबू सन्दूकक चाभी छीनि‍ घर दि‍स बि‍दा भेलाह। पाछाँसँ कन्‍हाइ बाबू हुनका भरि‍-पाज कऽ पकड़लन्‍हि‍ आ हुनकर हाथसँ चाभी छीनए लगलाह। बुलेसर बाबू छलाह बलि‍स्‍ठ। एकै बेरमे कन्‍हाइकेँ उठा कऽ पटकि‍ हुनकर छातीपर चढ़ि‍ गेलाह। मुदा पाछाँसँ कन्‍हाइ केर ई बालक लाठी लऽ ताबर-तोर बुलेसर बाबूपर प्रहार कऽ देलकन्‍हि‍। कपार फूटि‍ गेलन्‍हि‍। माथक शोनि‍त पोछए लगलाह। अतबेमे कन्‍हाइ बाबू हुनकर हाथसँ चाभी छीनए लगलथि‍न्‍ह। मुदा बुलेसर बाबू चाभी नै देलखि‍न्‍ह‍। आब कन्‍हाइ बाबू तीनू-बाप बेटा मि‍ल बुलेसर बाबूपर प्रहार करए लगलखि‍न्‍ह। हत्‍थम, लत्तम, जुत्तम आ लाठीक प्रहार। असगर बुलेसर बाबू की करि‍तथि‍? देह चूर-चूर भऽ गेलन्‍हि‍। चाभी सेहो छि‍ना गेलन्‍हि‍।
बेचारी पत्नी लाचार भऽ अपन देअर आ देअरक बेटा सभकेँ गारि‍ दैत रहलीह। सरापैत रहतीह।
नि‍पुत्रापर हाथ उठेलक अछि‍। सर्वनाश भऽ जएतै। तड़पि‍-तड़पि‍ कऽ मरत कन्‍हैया सरधुआ! कुस्‍टी फुटतै। वाक् बन्‍द भऽ जएतै। देहसँ गन्‍ध नि‍कलतै। अपन संतान आ घरवाली तक काज नै अएतै।
बुलेसर बाबूक पत्नी गारि‍ पढ़ैत रहलीह आ अपन ढेर भेल पति‍केँ मरहम पट्टी करैत रहलीह। कनीक कालक बाद चौकसँ जीतू कम्‍पाउण्‍डर अएलाह आ बुलेसर बाबूकेँ मल्हम-पट्टी केलन्‍हि‍। दर्द बड्ड रहन्‍हि, तकर नि‍वारण हेतु दूटा सूइ आ बहुत रास दवाइ सेहो देलकन्‍हि‍। बुलेसर बाबू कराहैत रहलाह। छटपटाइत रहलाह। चंदा पाथर भेल ठाढ़ छलीह। आँखि‍सँ नोर दहो-बहो खसैत रहलन्‍हि‍। गुमान जेना धरासाइ भऽ गेली‍।
जखन ऐ घटनाक जानकारी राघवकेँ भेटलन्‍हि‍ तँ राघव मोने-मोन बड़ प्रसन्न भेलाह। राघवकेँ भेलन्‍हि‍ जे आइ टुनटुन मलाहक अपमान आ ओकरा सतेबाक बदला बुलेसरकेँ नीक जकाँ भेटलन्‍हि‍। हलाँकि‍ भोरे-भोर जखन पोखरि‍क कछेरपर चन्‍दाक मुँहकेँ देखलनि‍ तँ कनीक कष्‍ट जरूर भेलन्‍हि‍। सदति‍काल गुमान आ ठसकसँ चूर चन्‍दा आइ ग्‍लानि‍ आ वेदनाक मुद्रामे छलीह, खिन्न आ शान्‍त। शाइद असहाय सेहो। फेर यादि‍ अएलन्‍हि‍ बेचारा लाचार मल्‍लाहक दशा- आइ गाय जकाँ जे ई जनैत अछि‍ जे ओ कसाइ लग बाध्‍य हेबाक लेल जा रहल अछि‍। तथापि‍ ओ लाचार भऽ डंटाक भयसँ जाइत अछि‍ कसाइखानामे। तहि‍ना अपन फँसल गर्दनि‍क संग असहाय भय टुनटुन बुलेसर बाबू संगे अखाड़ा गाछी गेल छल। आ ओतए एहन यातना भेटलै जे ओही बेथे तड़पि‍-तड़पि‍ कऽ प्राण ति‍यागि‍ देलक। जखन राघवकेँ ई बात सभ स्‍मरण अएलन्‍हि‍ तँ फेर मोन प्रसन्न भेलन्‍हि‍। सोचलाह- “नीक भेल सार बुलेसरेकेँ! कसाइ बनैत छल। अपन तागति आ सम्‍पति‍क नाशामे बतहा कुकुड़ बनल छल। आब बुझह।
मुदा राघव चन्‍दाक प्रति‍ प्रेमक भाव रखैत छलाह। कहि‍ नै कि‍ए चन्‍दा सेहो राघवसँ कम सि‍नेह नै करैत छली।
ऐ घटनाक तीन दि‍नक बाद चन्‍दा दुपहरमे नवका पोखरि‍पर आबि‍ पंचमुखी महादेवक मन्‍दि‍र केर पाछाँ फुलवारीमे अएलीह। राघव ओतय पहि‍नेसँ छलाह। आर कि‍यो नै छलै। राघवकेँ देखैत चन्‍दा कहलखि‍न्‍ह- राघव, अहाँकेँ एगो बात बूझल अछि‍?”
राघव बजलाह- की?”
चन्‍दा कहलखि‍न्‍ह- कन्‍हाइ काका हम्‍मर पि‍ताकेँ बड्ड मारलखि‍न्‍ह अछि‍। हमर पि‍ता छलाह असगर आ कन्‍हाइ काका तीन बापुत। गलती हमर पि‍ताक केवल एतेक, जे ओ कहलखि‍न्‍ह जे तमाम सम्‍पति‍क बँटबारा कऽ लि‍अ। ओ सभ जानवर जकाँ मारलकन्‍हि‍। कपार फोड़ि देलकन्‍हि‍। शरीरमे कम-सँ-कम २५ लाठी लागल छन्‍हि‍। पपि‍याहा चण्‍डेश्वर पंच जे अपनाकेँ सरकार बुझैत अछि‍, हमर पि‍ताकेँ थाना नै जाए देलकन्‍हि‍। कहलकन्‍हि‍ जे ऐसँ कन्‍यादानमे व्‍यवधान हएत। की ई हेबाक चाही?”
राघव बजलाह- हँ चन्‍दा, हमरा सभ बात काल्हि‍ जखन हम मातृकसँ एलौं, तँ ज्ञात भेल।
एकाएक राघव केर धि‍यान चन्‍दा दि‍स गेलन्‍हि‍ तँ देखैत छथि‍ चन्‍दाक आँखिसँ नोर खसि‍ रहल छन्‍हि‍। राघव केर मोनमे चन्‍दाक प्रति‍ दयाक भाव उमरि‍ गेलन्‍हि‍। चन्‍दा लग गेलाह आ अपन गमछासँ चन्‍दाक नोर पोछए लगलाह। फुलवारीमे राघव आ चन्‍दाक अलाबे आर कि‍यो नै छलै। चन्‍दो राघवकेँ पकड़ि कानए लगलीह। राघव चन्‍दाकेँ भरि‍ पाँज कऽ पकड़ि‍ लेलन्‍हि‍। राघवकेँ चन्‍दाक हृदैक धरकन स्‍पष्‍ट सुनाइत छलन्‍हि‍। बुझेलनि‍ जेना चन्‍दा आ राघव हमेशाक लेल एक भऽ गेल छथि‍। चन्‍दा सेहो राघवक बाहि‍सँ ग्रसि‍त भऽ अपनाकेँ सुरक्षि‍त बुझैत छलीह। मुदा कनीकबे कालक बाद दुनू अलग भऽ गेलाह। भेलन्‍हि‍ लोक देखत तँ की कहत???
 कन्‍हाइ बाबू पंच लोकनि‍केँ कहलखि‍न्‍ह- “अहाँ सभ चारि‍म दि‍न बैसारमे आउ। हम आब बुलेसर भैय्यासँ बँटबारा कऽ लेब।
इम्‍हर कन्‍हाइ बाबूक बेटा आ पत्नी सभ मि‍लि‍ कऽ दलाल रूपी लोभी पंच सभकेँ कि‍छु-कि‍छु प्रलोभन दऽ सभकेँ अपना पक्षमे कऽ लेलन्‍हि‍। ऐ तमाम प्‍लॉटसँ बुलेसर बाबू अनजान छलाह।
ि‍नर्धारि‍त दि‍न आ समैपर पंच सभ अएलाह। पंचायत शुरू भेलै। पंच सभ काचेँ गाए खेलाह। केवल ३० प्रतिशत लहना आ नगदी हि‍स्‍सा बुलेसर बाबूकेँ भेटलन्‍हि‍। खेत-पथार-घड़ारी इत्‍यादि‍मे आधा हि‍स्‍सा जरूर भेटलन्‍हि‍। चन्‍दाक माय भरि‍ इच्‍छे पंच सभकेँ गारि‍ पढ़लन्‍हि‍- एक कप चाह, एक सेर तेल, पाँच सेर धानमे अपन इमान बेचैत अछि‍ सरधुआ पंच। आ ई चन्‍द्रशेखर सरकार। ई तँ साक्षात यमराज अछि‍। बहुखौका! जवानीमे घरवालीकेँ खा गेल। दि‍न भरि‍ चौकपर चाहक जोगारमे लागल रहैत अछि‍। बेटा कचरी-मुरही आ चाह बेचै छै। ओहीसँ गुजर चलै छै। सरधुआकेँ जरूर कन्‍हैयाक बहु सए-सैकड़ाक प्रलोभन देने हेतै। अगर भगवान कतौ हेताह तँ गुँह गीज कऽ मरत सरधुआ सरकार!!”
बँटबाराक बाद बुलेसर बाबूक पहि‍ल उद्देश्‍य छलन्‍हि‍ चन्‍दाक बि‍आह। एक दि‍न ओलारपर बैसल छलाह बुलेसर बाबू, तँ बाध दि‍ससँ लूटन एलखि‍न्‍ह‍ आ कहलखि‍न्‍ह- बुलेसर भाय, अहाँ कन्‍हाइ लेल की नै केलौं। से कन्‍हाइ सम्‍बन्‍धक मर्यादाकेँ िबसरि‍ गेल। अपने तँ मारबे केलक, बेटा सभसँ सेहो मरबेलक अहाँकेँ। एहेन जधन्‍य कृत्‍य! फाटू हे धरती!”
बुलेसर बाबू कनैत बाजए लगलाह- की कहू लूटन भाय, ई भाए नै कसाइ थि‍क। हम साँपक पोवाकेँ पोसलौं। कुन-कुन कर्म नै कएल कन्‍हैया लेल। सभ बि‍सरि‍ गेल। हे महादेव जनि‍हेँ तूहीं। जहि‍ना हमरा कना रहल अछि‍ तहि‍ना ओहो कानत।
लूटन बाबू बजलाह- भाय, एक बात कहू? जटैतक बंगट पहलमानक दोसर बेटाक पहि‍ल कनि‍याँ मरि‍ गेल छै। प्रथम पत्नीसँ मात्र एक पुत्र छै, अपार संपति‍ छै। लाठी केर जोरगर ओ सभ सेहो अछि‍, अगर अहाँ कही तँ चन्‍दाक बि‍आहक चर्चा करी। अगर ई काज भऽ गेल तँ कन्‍हाइ औकातमे आबि‍ जएताह। अहाँ ताकतवर भऽ जाएब। चन्‍दा आ लड़कामे करीब चौदह बर्खक अन्‍तर छै। तइ‍ लेल कुनो बात नै। पहलमान छै, अपना उमेरसँ दस बर्ख कम्‍मे लगै छै। आ चन्‍दो तँ ऊँचाइमे ठीक अछि‍।
लूटन केर प्रस्‍ताव बुलेसर बाबूकेँ नीक लगलन्‍हि‍। बजलाह- कन्‍हैयाकेँ औकात देखेनाइ जरूरी।
फेर कहलखि‍न्‍ह- लूटन भाय, ई कार्य हमरा पसन्‍द अछि‍। चन्‍दा सभ तरहेँ ओइ घरमे राज करत। नौकर-चाकर सभ छै। कुनो वस्‍तुक कमी नै छै। लड़काकेँ पहि‍ल पत्नीसँ एक बेटा छै तँ की भेलै? मुदा हमरा ऐ सम्‍बन्‍धमे कनि‍क चन्‍दाक मायसँ वि‍मर्श करबाक अछि‍। हमरा वि‍श्वास अछि‍ ओ मना नै करतीह। काल्हि‍ हम अहाँकेँ निचाेड़ बता देब।
घर जाइते मातर बुलेसर बाबू चन्‍दाक मायसँ जरैलक बंगट पहलमानक बेटाक सम्‍बन्‍धमे बात केलन्‍हि‍। दोती-वर छैक, ई जानि‍ चन्‍दाक माय कनी दुखी भेलीह परन्‍तु जखन आरो बातक जानकारी भेलन्‍हि‍ तँ मानि‍ गेलखि‍न्‍ह। फेर की छल, १५ दि‍नक अन्‍दर चन्‍दाक बि‍आह भऽ गेलन्‍हि‍।

जहि‍या चन्‍दाक बि‍आह रहन्‍हि‍ तहि‍या राघव सेहो सरि‍याती दि‍ससँ छलाह। जखन राघव चन्‍दाक वरकेँ देखलखि‍न्‍ह तँ मोन दग्‍ध भऽ गेलन्‍हि‍। १७ बर्खक चन्‍दाकेँ ३१ बर्खक वर। बाँहि सभपर गाँठ पड़ल। चौरगर हाथ। माथपर तलवार आ कटबाक चारि‍ निशान! हे भगवान! चन्‍दा तँ बानरक हाथमे नारि‍केर भऽ गेलीह। खएर! पीअर परि‍धानमे सजलि‍ चन्‍दा बड्ड आकर्षक लगैत छलीह। बि‍आहमे बुलेसर बाबू तीन बीघा खेत बेचलाह।
छह मासक बाद चन्‍दा सासुर गेलीह। इम्‍हर राघव दि‍ल्‍ली आबि‍ गेलाह। राघव जखन चारि‍-पाँच बर्खक बाद गाम गेलाह तँ संयोगसँ चन्‍दा सेहो आएल छलीह। हलि‍ कऽ काँट-काँट भेल! लोक सभकेँ पुछलखि‍न्‍ह तँ पता चललन्‍हि‍ जे चन्‍दाकेँ कुनो असाध्‍य बि‍मारी भऽ गेल छन्‍हि‍ जकर इलाज संभव नै छै। चन्‍दा श्रीहीन भऽ गेल छलीह। अधि‍कांश समए नैहरमे बि‍तबैत छलीह। चन्‍दाक छोट बहि‍नक बि‍आह सेहो भऽ गेल छलन्‍हि‍।
छह मासक बाद चन्‍दा मरि‍ गेलीह। चन्‍दाकेँ कुनो संतान नै भेलन्‍हि‍। चन्‍दाक मृत्‍युक समाचार सुनि‍ बुलेसर बाबू ओछाइन पकड़ि‍ लेलन्‍हि‍। लुटन बाबू एक बेर फेरो चन्‍दाक माय लग आबि‍ कहलखि‍न्‍ह जे चन्‍देक वरसँ चन्‍दाक सभसँ छोट बहि‍नक बि‍आह करा देल जाए। चन्‍दाक माय मानि‍ गेलीह। बुलेसर बाबू सुधि‍हीन भऽ गेलाह।
चन्‍दाक छोट बहि‍नक बि‍आह चन्‍दाक दोती-वरसँ भऽ गेलन्‍हि‍ जे चन्‍दाक बहि‍न लेल तृती वर छलखि‍न्‍ह। बि‍आहक सोल्हमे दि‍न द्वि‍रागमन भऽ गेलै। द्वि‍रागमनक दस दि‍नक भीतर बुलेसर बाबू प्राण त्‍यागि‍ देलाह। चन्‍दाक माय नीकसँ श्राद्ध केलथि‍न्‍ह। आब लगभग चारि‍ बीघा जमीन आ घराड़ी शेष छलन्‍हि‍। चन्‍दाक माय सभ बेचि‍ दरि‍भंगामे एक कमरा भाड़ा लऽ चलि‍ गेलीह। पैसा बैंकमे राखि‍ देलथि‍न्‍ह। ओही पैसाक सूदि‍सँ गुजर चलए लगलन्‍हि‍।
इम्‍हर कन्‍हाइ बाबूकेँ कंठमे घाव भऽ गेलन्‍हि‍। पैघ ऑपरेशन कराबए पड़लन्‍हि‍। जखन ऑपरेशन भऽ गेलन्‍हि‍ तँ पता चललै जे कैंसर छन्‍हि‍। धीरे-धीरे आबाज समाप्‍त भऽ गेलन्‍हि‍। गर्दनि‍सँ सदरि‍काल पीज चूबए लगलन्‍हि‍। मुँह आ गर्दनि‍सँ दुर्गन्‍ध गन्‍हाए लगलन्‍हि‍। बड़ बेटा-पुतोहु कि‍यो आगाँ लग नै आबन्‍हि‍। धन्‍य कही एक बेरोजगार नाति‍केँ, जे नानाक कि‍छु-कि‍छु सेवा करन्‍हि‍। वाकहीन कन्‍हाइ बाबू सन्‍दूकसँ चोरा कऽ अपन पाइमे सँ लाख टका अपन नाति‍केँ दऽ देलथि‍न्‍ह। बहुत कि‍छु बाजए चाहैत छलाह कन्‍हाइ बाबू मुदा वाक् बन्‍द भऽ गेल छलन्‍हि‍। घावमे पि‍लुआ सेहो फरि‍ गेल छलन्‍हि‍। शायद ओ मोनहि‍ मोन अपन कर्मपर पश्चाताप करैत छलाह। ऐ घोर कष्‍टमे सेहो कन्‍हाइ बाबू नौ मास छटपटाइत रहलाह आ जीलाह।
अन्‍तत: एक दि‍न कन्‍हाइ बाबू अपन शरीरक त्‍याग केलन्‍हि‍। शरीरसँ अतेक गन्‍ध अबैत छलन्‍हि‍ जे एग्‍यारह आदमी कठि‍यारीमे जएबाक लेल तैय्यार नै। राघव संयोगसँ गाम आएल छलाह। माय कहलथि‍न्‍ह- राघव, अहाँ जाउ। हमरा लोकनि‍ ऐ समाजमे रहैत छी। अहूँ नै जएबै तँ अहूँक माता-पि‍ता बेरमे कि‍यो नै आएत।
राघव माइक आज्ञाकेँ सम्‍मान करैत कन्‍हाइ बाबूक दाह संस्‍कारमे गेलाह। जखन मृतक केर शरीरमे आगि‍क ज्‍वाला बढ़लै तँ राघवकेँ लगलन्‍हि‍ जेना ओतए ओइ मृत्‍युपर टुनटुन मल्‍लाह, बुलेसर बाबू आ चन्‍दा जेना समवेत रूपसँ जश्न मना रहल छथि‍। टुनटुन मल्‍लाह जेना डंटा उठा बुलेसर बाबू आ कन्‍हाइ बाबूकेँ डांग मारि‍-मारि‍ अपन बदला लऽ रहल हुअए। आ चन्‍दा टुनटुन मल्‍लाहसँ अपन पि‍ताक रक्षाक नि‍वेदन करैत छलीह। अही प्रक्रि‍यामे कन्‍हाइ बाबूक शरीर खाकमे विली‍न भऽ गेलन्‍हि‍। सबहक संग राघव सेहो कठि‍यारीसँ आपस आबि‍ गेलाह। मोने-मोन सोचए लगलाह राघव- स्‍वर्ग नर्क तँ अतहि‍ अछि‍। जे जेहेन करत से तेहेन पाओत। 

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