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Friday, August 10, 2012

अनमोल झा -गामक बताह


अनमोल झा
गामक बताह
बताह, बुरि, बकलेल पत्ता नै की-की ने गामक लोक कहै। सगर गाम इएह बात। हौ केनाकेँ ई भुसकौलहा सुभषवा मैट्रिक पास कऽ गेल आ कोन दऽ कए इंजिनीयरीमे नामों लिखा गेलै। हौ ओकर तँ एक फेजे पार छै। कहह तँ गामक छौड़ाकेँ संग कऽ कऽ पत्ता नै की-की नियार भास करैत रहैत अछि। आ छौड़ो सभ खूब, ओकर आगाँ पाछाँ करैत रहैत अछि, हमरा तँ लगैत अछि ई रूतबा रहलै तँ छौड़ा सबहक तँ छोड़ह, गामे कऽ नै उड़हारि ई चल जाएह। सबहक नजरि गाम अबैत मातर ओकरापर गड़ि जाइ छलै। आ सुभाषो एक आध दिनमे गाममे रहि, गामक हाल-चालसँ अवगत भऽ छौड़ा सबहक बैठार कऽ चल जाइत छल सिन्दरी।
गाम अति पिछड़ल- गमार आ हँसी-कुचिष्टाक समुद्र छल। सबहक एक बात, एक विचार कियो तेहेन पढ़ल लिखल नै, तँइ मूर्खक लाठी बिचे कपार सेहो छल। ककरो नेना-भुटका नीक जकाँ पढ़ाइ-लिखाइमे नै भीरल छल आ जे भिरलो छल से प्रोत्साहनक अभावमे डारटुट्टु जकाँ बैसि जाइत छल।
तखन पत्ता नै केनाकेँ सुभाष ओइ गाम आ ओइ समाज आ ओइ वातावरणमे रहि मैट्रिक पास कए, इन्जीनियरीमे पढ़ि रहल अछि आ पाँच हजार रूपैया स्कॉलरशिप पाबैत अछि। आ पत्ता किएक नै थालमे जे कमल फुलाइत छै से केना।
जे अपने खराप रहैत अछि ओकरा सौंसे दुनियाँ खरापे लगैत छै आ ताहीमे नीक। नीक तँ आर तीत ओकरा बुझाइ छै। सएह बात छलै। सुभाष मिसिया भरि नै ककरो सोहाइ छलै। ई गामक विकास लेल गाम अबैत देरी नीक-नीक योजना बनाएब, जइमे निअम कानून छल। सभ छात्र स्वअध्यायमे लागल रहथि, दोसरोकेँ पढ़ाइ-लिखाइमे सहायता पहुँचाबथि। गामक रस्ता परहक गंदाकेँ मासमे दू बेर नै तँ एकबेर अवश्य सभ युवा वर्ग मि‍लि खुशीसँ साफ सुथरा करए। गामक सभ बिजली पोल सभपर चंदा लऽ बिजली लगा देल जाए। उसराहा बाबाक ढ़हैत मन्दिरपर धि‍यान देल जाए। गाममे एकटा लाइब्रेरी होमक चाही, पत्र-पत्रिका ओतए नित्य आएल करए। गामक स्कूल मास्टरकेँ जा कऽ कहल जाए जे चटिया लोकनिपर नीक नजरि राखनिहार गामक कोनो काज श्राद्ध, उपनयन, आदि-आदिमे बिना कहने सभ ओतए जा हुनका परिश्रमसँ सेवा करए। गामक विकास लेल ब्लौकसँ सम्पर्क स्थापित कएल जाए आ ओइसँ गामक लोककेँ लाभ होइन। आदि-----आदि---।
यएह छल सुभाषक बतहपन्नी आ देखितहि-देखितहि ओ एकटा नव जागरण युवा संघक गठन कऽ बैसल। आ योजना सभ लागू भऽ जएह, तइ हेतु सभ कृत संकल्पित भऽ गेल।
एम्हर गामक लोक कहए "केहेन-केहेन गेला तँ मोंछ बला एला" नूनू, रामचन्द्र, गोनाइ आ गुर कते बेर एहेन-एहेन योजना बना, चक्कापर राखलक से रखले छन्‍हि आ हुनका सबहक केश पाकि गेलनि, दाँत टूटि गेलनि आ लाठी लऽ चलैत छथि, आ योजना-योजने रही गेलनि हूँ-----। देखैत छियनि‍ लैटसहिबो कऽ------? बीस गोटए मुदा बीस रंगक बात।
ऐबेर सुभाष गर्मीक छुट्टीमे मास दिन गाममे रहल, आ गुहकट्टीसँ लऽ कऽ मन्दिर तकमे हाथ लगा देलक। अपनेमे दस-बीस रू. प्रति माह चन्दा लऽ पत्र पत्रिका मंगबए लागल। मन्दिरमे बेस पाइ लगितै तँइ धनिक लोक ओतए संघक सभ गोटा जाए भीख माँगए, दतखिसरी कऽ दैत छल, तेना तेना कऽ मन्दिर चमकए लागल। गामक कोनो नेनाकेँ पढ़बाक समएमे बड़द-महीस किछु खोलने देखैत छल सुभाष तँ अपनेसँ खुट्टामे बान्हि अबै छल आ ओकर बाबूकेँ शिकाइत करै छलै.... हे हम अहाँक माल बान्हि देलौं अछि। उत्तर भेटै, बड़का काज केलौहेँ, हम अपना बेटासँ माल चरबै छी, अहाँकेँ मतलब। सुभाष कहैए से नै भऽ सकैत अछि, पढ़ए कऽ समैमे पढ़त दोसर समएमे अहाँ अपना बेटासँ किछु कराउ।
नेनो-भुटका सभक रुचि खुजलै पढ़ै-लिखैकेँ। ओ सभ माए-बापकेँ ठाँए-पठाँए उत्तर दऽ दै, हम नै महीस खोलबौ। हमरा कोपी-किताब दे, आ कंठपर ठाढ़ भए किनबाबए। ओना जकर आर्थिक स्थिति एकदमे खराप छलै, सुभाष अपना पाइसँ स्कूलमे नाओं लिखा दै, किताब कॉपी कीनि दै आ अपने गेलापर संघकेँ भार द दै ओकर कॉपी-किताबक, सिलेट-पेंसिलक।
गामक नवतुरमे अनुशासन जगजगार होमए लगलै। एक दोसरामे छोट-पैघ, अचार-विचार, उचित-अनुचित धारा फुटलै। जहाँ-तहाँसँ थोड़-थोड़ पोथी जमा भेल आ तामे एकटा टटघर बना पुस्तकालय सेहो बनि गेल।
एतेक भेलाक बादो कुचिष्ट समाज कहै, यौ सुभाष बाबू हमरा सभ कऽ पैखाना करैएमे दिक्कत होइत अछि, जल्दी रस्ता साफ कराउ, तखन ने हम सभ पतियानी लगा बैसब। सुभाष कहए, जेहन अहाँ सबहक विचार। अहाँ सभ जतेक गंदा करबै, हमरा सभ ओतेक साफ करबै। कारण आब गाम अहाँ सबहक नै, हमरा सबहक छी। एकर नीक अधलाहसँ अहाँ सभकेँ कोन काज। अहाँ सभ तँ पाकल आम भेलौं ने "गेल माघ उंतीस दिन बाँकी"।
समए छन-छन बितैत गेल आ किछु दिनुका बाद देखएमे आबए लागल जे गाम पूर्ण विकासमे लागि गेल आ एका एकी गाममे पोल सभपर बल्ब लागि गेल, पुस्तकालयमे बेस पोथी सभ जमा भऽ गेल, पत्र-पत्रिका बेस जुटए। बिना पुस्तकालयपर गेने छात्र सभकेँ चैन नै आबै। रस्ता दूधसँ धोल। उसराहा बाबापर जे चढ़ाएल अछत माल-जाल चटैत रहै छल से आब आेइमे खूब निसन केबाड़ लागि गेल। छतपर लाउडिस्पीकर भजन गबैत गामक मनोरमकेँ आर बढ़बै छल। ब्लौकसँ कल आएल, पहिले पुस्तकालयपर आ तकरा बाद सगर गाममे गोट बीसेक लगभग कल गरा गेल। लाउडिस्पीकर सुभाष अपन स्कॉलरशिप बला पाइसँ किनलक। धरि पुस्तकालयक ईंटाक घर ब्लौकक फण्डसँ बनाएल गेलै।
आँखिक आगूमे एतेक परिवर्त्तन देखि‍ आइ पूरा गाम छुब्द, चकित आ विस्मित अछि। केना कऽ नव जागरण संघ ई केलक? आ जँए संघ तँइ ने अछि ई सोना बनैत गाम।
समाजकेँ नै आगू चलि होइ छै नै पाछू, जे काल्हि‍ कहए सुभषवा बताह, बुरि, बकलेलहा, सएह समाज आइ कहै छै सुभाषक बुइधि‍क आ परिश्रमक ई परिणाम छी, चमकैत, खनकैत, हमर गाम।
सएह जे गामक बताह छल, अपन हीनता अपन खिध्यांस सुनैत रहैत छल, से बताह बनि की-की ने कए देलक। मुदा वास्तविक बताह के? ...सुभाष आकि गामक लोक.....?
आइ गाममे घर-घर बी.ए., एम.ए. पास लोक अछि आ मैट्रिक कतेक गनाउ। पूरा गाम मात्र एकगो सुभषवाक बतहपनीसँ शिक्षित आ नोकरी-चाकरीमे लागि गेल अछि। नै तँ गामक लोकक अनुसार लोक अखनो घर सेवने रहितए।
सुभाष अपन प्रतिभाक बले स्वीडनमे रिसर्च करैत अछि आ ओतसँ गाम अखनो जाइत अबैत रहैत अछि। ओकरे सन कतेक प्रतिभाशाली लोक सभ ओइ गामक गौरव बढ़ा रहल अछि। ओकर गाम आदर्श गाम भऽ गेल अछि। संघ अखनो कार्यरत अछि आ जँइ जँइ छेटगर लोक पढ़ै लिखै लेल बाहर गेलासँ गाम छोड़ने जाइत अछि, तँइ तँइ छोट तुरक बच्चा सभ ओइ क्रमकेँ आगाँ बढ़बैत रहैत अछि।
सुभाषकेँ अखनो अपना गामपर गर्व छै आ पूरा गामकेँ सुभाषपर। अखनो ओकर फोन जे अबै छै विदेशसँ तँ घंटाक-घंटा गामक मादे चर्च आ पुछताछ करैत रहैत अछि ओ।   

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