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Friday, August 10, 2012

प्रभात राय भट्ट -रोटी रोजीक खोजी


प्रभात राय भट्ट
रोटी रोजीक खोजी
नेपालक मधेस प्रान्तमे महोतरी जिलाक धिरापुर गामक बर्ष ३० भोला एकटा निम्नबर्गीय परिवारमे जन्म लेलक। ओकर माए बाबू बड मुस्किलसँ मेहनत मजदूरी कऽ  भोलाक पालन-पोषण केलक, भोलाक माए-बाबुक गरीब हेबाक कारण भोला प्रारम्भिको  शिक्षासँ वंचित रहल। जेन-तेन समय बितैत गेल  समयानुसार भोला पैघ सेहो भऽ गेल ! समयक संग संग ओकर दाम्पत्य जीवनक शुभारम्भ सेहो भऽ गेलै, भरल जुवानीक अवस्थामे दाम्पत्य जीवनक रसास्वादन एवं आनन्दमे  पूर्ण रूपेण डुबि गेल। ओ अपन आर्थिक स्थितिकेँ नजैर अंदाज करैत गेल मुदा बिना अर्थसँ जीवनक गाड़ी कतेक दिन चलि सकैए ! कनियाँक सौख शृंगारक सामिग्री, भोजन भातक बेबस्था, वृद्ध माए बाबूक दवाइ दारू सभक अभाव चारू दिशसँ अखड़ऽ लगलै। तकर बाद भोलाकेँ अपन जिम्मेवारीक  बोध भेलै। ओकरा किछु नै सुझाइ  जे की करू  नै करू। राति दिन बेचारा भोला घरक लचरल बेबस्था देखि कऽ बड चिंतित रहऽ लागल ! एक दिन  अपन मिता सुरेश कापरकेँ अपन सभटा दु: सुनेलक! सुरेश बड नीक सलाह देलकै- देखू मिता, अइ नेपाल देशमे स्वरोजगारीक कोनो व्यवस्था नै छै, पढ़लो लिखल मनुखकेँ नोकरी नै भेटै छै, तहन  हम अहाँ कोन जोकरक छी! हम एकैटा सलाह देब, सउदी अरब चलि जाउ, ओइ ठाम बड़ पैसा भेटै छै, अहाँक सभटा दु:ख दूर भऽ जाएत। सुरेशक गप सुनि कऽ भोलाक माथमे चक्कर देबऽ लगलै!! मुदा किछु देरक बाद भोला सहमती जनौलक आ सुरेशसँ बिदा लैत घर तरफ प्रस्थान केलक! सुरेश घर पहुँचैत बजैए- कनियाँ कतऽ गेली यै- हमरा बड़ जोरसँ भूख लागल अछि, किछु खाइले दिअ ने। कनियाँक कोनो जवाब नै एला उपरांत ओ भानस घरमे गेल। कनियाँकेँ देखलक, माथ हाथ धएने आ हिचुकि-हिचुकि कऽ कानैत। अहाँ किए कनै छी यै अतराढ़वाली? की भेल, किछु बाजब तब ने हम बुझबै! कनियाँ कहलकै....हम की बाजू आ बाजल बिनु रहलो नै जाइए। अहाँ जे कोनो काम धंधा नै करबै तहन ई चुल्हा-चौका कोना चलत? एक पाउ चाबल छल जेकर मरसटका भात बना कऽ माए-बाबू आ बच्चा सभमे परसादी जकाँ बाँटि देलौं आ हम तँ उपवासो कऽ लेब मुदा अहाँकेँ तँ भूख बर्दास्त नै होइए तइसँ हमर छाती फटि रहल अछि मुदा अहाँकेँ तँ कोनो चिंता फिकिर रहबे ने करैए! तपेश्वर मालिक सेहो बड़ खिसिया कऽ द्वारपर सँ गेल। कहै छल जे ५०० टकाक हमर सूद ब्याज सहित २५००० भऽ गेल मुदा ई भोलबा अखन धरि देबऽके नाम नै लैए। -हे यै अतराढ़वाली, अहाँ आब जुनि चिंता  करू, हमरापर भरोसा रखू। सभ ठीक भऽ जेतै। ई किछु दिनक दु:ख थीक। एकटा कहावत छै जे भगवानक घरमे देर छै मुदा अंधेर नै। अतराढ़वालीक मोन अति प्रसन्न भेलै आ झटसँ पुछि बैठैए- आइँ यौ रामपुकारक पापा- ई की बात अछि जे अहाँ एतेक पुरुषार्थबला गप करैत छी? -की बजली यै अतराढ़वाली। एकर मतलब अहूँ हमरा निकम्मे बुझैत छी? तँ कान खोलि कऽ सुनि लिअ। हम आब सउदी अरबिया जा रहल छी  ढेर पैसा कमा कऽ अहाँ लेल भेजब! अतराढ़वाली ई बात सुनिते घबरा गेल आ कहऽ लागल- की बजलौं? कने फेरसँ बाजू तँ। अहांकेँ जे मोनमे अबैए सएहे बाजि दै छी। एहन बात आब बजैत नै होइब, से कहि दै छी हम.....। मोन तँ भोलाक सेहो उदास भऽ जाइए मुदा हिम्मति कऽ कनियाँकेँ समझाबक कोशिश करैए। -देखियौ कनियाँ, हम जनैत छी जे हम कोनो काम धंधा नै करै छी। तइयो अहाँ हमरासँ खूब प्रेम करै छी। आ हमहूँ अहाँ बिनु एकौ घडी नै रहि सकै छी। ई सभटा जनैत बुझैत हम मजबूरीमे बस एहन निर्णय लेलौं आ अइके अलाबा दुसर कोनो रस्तो नै अछि ! आखिर ई जीवन तँ प्रेम आ स्नेहसँ मात्र नै चलत। नै जीवनमे दुःख, सुख, भूख, रोग, शोक, पीड़ा, ब्यथा, वेदना, संवेदना, प्रेम, स्नेह, विवाह, बिदाइ, जीवन-मृत्यु, समाज सेवा, घर परिवार, इस्ट मित्र, कर-कुटुंब, नाता गोता, मान सम्मान, प्रतिष्ठा, घर मकान, खेत खलिहान, बगीचा, मचान, सत्कार तिरिस्कार, मिलन बिछोड़, ई सभटा जिनगीक अभिन्न अंग अछि, आ ई सभटाक जड़ि एकैटा थीक जेकर नाम अछि पैसा... तैँ हमरा परदेश जाहिटा पड़तै- अहाँ कनिको मोन मलाल नै करू, सबहक प्रियतम पाहुन परदेश खटै छै! -हे यौ रामपुकारक पापा। ई बात सुनि कऽ हमर छाती फटैए.. तहन अहाँ बिनु हम कोना रहि सकै छी? नै नै, हमरा नै चाही पैसा कौड़ी महल मकान। हम नुने रोटी खेबै। सेहो नै भेटत तँ साग पात खाय कऽ जिनगी काटि लेब। कहैत भोलाकेँ भरि पाँज पकड़ि कऽ हिचुकि-हिचुकि नोर बहबैत कानऽ लागैए.... मुदा भोला कुलदेवताकेँ सलामी राखैत माए-बाबुसँ आशीर्वाद लैत घरसँ प्रस्थान भऽ गेल....!
………….
भोला साउदी अरबक एकटा कंस्ट्रक्सन कम्पनीमे राइतक ११ बजे पहुँचल आ भिन्सरमे ७ बजे आफिसमे हाजिर भऽ गेल। कम्पनीक मैनेजर साहब भोलासँ कबूलनामा कागजपर साइन करबौलक आ भोलाकेँ उक्त कबूलनामाक विवरण सुनौलक- १.मासिक वेतन ५०० रियाल, ड्यूटी ८ घण्टा, करार अवधि ३ वर्ष! भोला ई बात सुनि कऽ हतप्रभ भऽ गेल जेना मानू भोलाक माथपर वज्र गिर गेल। फेर भोला अपने-आपकेँ सम्हारैत मैनेजर साहबसँ कहलक- नेपालक मेनपावरक कबूलनामा अनुसार हमर पगार ६०० रियाल, खाना +२००, ओभर टाइम आ दू वर्षमे ३ मासक छुटीक शर्त भेल छल। मुदा मैनेजर भोलाक एकोटा बात नै सुनलक। तहन भोला कहलक हम सुखा ५०० मे काम नै करब। २०० खानामे खर्च भऽ जाएत। बचत ३०० रियाल, ३०० रियालक नेपाली टाका ६०० हजार मात्र होइत अछि। तइ हेतु हमरा वापस भेज दिअ! मैनेजर भोलाक सामने साम दंड भेदक सूत्र अनुसरण करैत कड़ा रूपसँ प्रस्तुत भेल। बेचारा भोला मैनेजरक चंडाल रूप आ कड़ा चेताबनीक सामने निरीह बनि गेल आ काम करबा लेल तैयार भऽ गेल! भोला अपन भाग्यक साथ समझौता करैत कम्पनीक काजमे इमानदारी पूर्वक शरीक भऽ गेल, मुदा महिना लागैत पगार हाथमे आबिते भोला हिसाब किताबमे लागि जाइत छल। खाना नास्ताक खर्च निकालैक बाद मुस्किलसँ ३०० रियाल बचै। आब भोला घरक बारेमे सोचै लागल। ३०० रियालक सिर्फ ६००० नेपाली होइत अछि जाइसँ घर परिवार चलत, कि रु.१ लाख कर्जा सधत जेकर सिर्फ ब्याज ३०० हजार चलि रहल अछि। यएह बात सोचैत सोचैत प्रात: भऽ गेल। फेर बेचारा भोला अपन दैनिक काम काजमे तटस्थ रूपसँ लागि जाए। यएह क्रम लगभग ५-६ महिना चलैत गेल। तेकर बाद भोला किछु टाका घर भेजलक, जइसँ हुनक घर खर्च चलि रहल छल! १ साल बितला बाद भोलाक घरसँ चिठ्ठी आएल। भोला उक्त चिठ्ठी पढ़ि कऽ मर्माहित भऽ गेल। चिठ्ठीमे लिखल रहै- रामपुकारक बाबूक घरक स्थिति बड़ नाजुक अवस्थासँ गुजरि रहल अछि आ अहाँ जे कर्जा लऽ कऽ गेल छी ओकर ब्याज ३६०० हजार भऽ गेल। महाजन आएल छल। कहि कऽ गेल जे आब मूल धन रु.१ लाख ३६ हजार भऽ गेल। ऐ बातपर ध्यान दिअ। भोला चिठ्ठी पढैत फेर घरक चिंतामे डुबि गेल। कर्जा कोना सधत?  भोलाकेँ उदास देख हुनक संघतिया पुछि बैठल। आइयो मिता अहाँ एना सदिखन एतेक उदास किए रहै छी यौ?  भोलाक ध्यान भंग भेल आ संघतियाकेँ अपन सभटा दु:ख सुनौलक! संघतिया हाथमे खैनी मलैत कहलक- रुकू, कने ई खैनी खाय दिअ, तहन हम कुनु उपाय बताबै छी। खैनी ठोरमे धरैत झटसँ एकटा गप भोलाकेँ सुनौलक। देखू हम जे कहै छी से ध्यानसँ सुनू। चुप-चाप हम आर अहाँ दुनु गोटे ई कम्पनी छोड़ि कऽ भागि चलू, कतौ दोसर ठाम जतए नीक कमाइ होइत होइक! मुदा भोलाकेँ संघतियाक गप कनियो निक नै लागल। भोला कहलक- देखू ई दोसरक देसमे भागि कऽ कतए जाएब? कहीं देहि नै भऽ गेल तहन के मदत करत, आ दोसर ऐ देसक कानून बड़ कड़ा छै। पकड़ा गेलापर जेलमे चक्की चलबऽ पड़त। तहन धोबीक कुत्ता नै घर नै घाटक होइत अछि से बुझि लिअ।  हम तँहि नै जाएब। अहाँ जाएब तँ जाउ! भोला फेर अपन काम काजमे जुइट गेल आ भोलाक संघतिया मासिक १५०० पगारमे दोसर ठाम काम करै लागल। देखते देखते दुइ साल बित गेल! भोलाक घरसँ फेर एकटा चिठ्ठी आएल। भोला चिठ्ठी पढ़लक। चिठ्ठी पढ़ि कऽ खुसी होमए बजाय पुनः उदास भऽ गेल, आ गंभीर सोचमे डुबि गेल। भोलाकेँ सभसँ बड़का परेशानी रहै कर्जा, जे ओ साउदी आबऽ बेरमे लेने रहै। भोला सोचलक जे एतबा न्यूनतम पगारमे कर्जा कोना सधत। अंतत: भोला कम्पनी छोड़ि भागऽक निर्णय लेलक! भोला कम्पनीसँ भागि संघतियाक कम्पनीमे चलि गेल आ मासिक १५०० पर काज करै लागल। भोला ५ महिनामे रु १लाख टाका घर सेहो भेज देलक आ कनियासँ फोन मार्फत गप केलक। कनियासँ कहलक- ई एक लाख टाका महाजनक खतामे जमा कऽ दिअ। आ हुनका कहि दिअ जे   महिनाक बाद हम हुनकर सभटा पाइ चुकता कऽ देबै! आब भोला किछु प्रसन्न मुद्रामे रहै लागल आ अति प्रसन्नताक साथ सोचै लागल। लोक ठीक कहै छै जे भगवानक घर देर छै मुदा अंधेर नै। आब हमरो बिपइतक घडी टड़ि रहल अछि, मुदा बेचारा भोलाकेँ की पता जे भाग्य रेखा कियो नै देखने छै। कखन की हेतै से मनुखक कल्पनासँ बहुत दूरक चीज छै। समयचक्र कखन कुन रूप लेत ई एकैटा परमात्मा जनै छथि! बड़ मुस्किलसँ भोलाक ठोरपर मुस्कान आएल छल मुदा दैबकेँ ई रास नै एलै। भोलाक जीवनमे तेज गतिसँ एकटा बड़ भारी बज्रपातक आगमन भेलै। भोला अपन ड्यूटी खतम कऽ डेरा तरफ जाइके क्रममे रोड पार करैत समयमे भोलाक देहपर तेज गतिमे कालरुपी एकटा गाड़ी चढ़ि गेल। भोला जीवन आ मृत्युक बिच एक घण्टा लादैत रहल। अंतत: भोला अपन  चेतना गुमा बैठल। ताइ समयमे उद्धार टोली आबि कऽ भोलाकेँ अस्पतालमे भरती कऽ देलक! ऐ दुखद घटनाक २० दिन बाद भोलाक घरमे खबड़ि गेल जे भोला आब ऐ दुनियामे नै रहि गेल। रोड एक्सीडेंटमे हुनक मृत्यु भऽ गेल। ई बात सुनैत बेचारी भोलाक कनियाँ मूर्छित पड़ि गेल आ गाम घरक महिला सभ भोला कनियाँक चूड़ी फोड़ि मांगक सिंदूर धोबि विधवा बनाबक काजमे एकमत भऽ गेल।  तखने समाजसेवी एकटा महिला ऐ बातक घोर विरोध केलनि आ सभ महिलाकेँ समझौलनि- जाधरि कुनु ठोस पुष्टि नै भेटैए ताधरि रूकि जाउ। कहीं ई समाचार गलत होइक आ भोला जिन्दा होइक! गायत्री देवी जीक सुपुत्र प्रभात राय सेहो साउदी अरबमे रहथि ओ फोनसँ सभटा बात सुनैलथि आ प्रभात राय आश्वासन देलथि जे अहाँ सभ हमर फोनक प्रतीक्षामे रहू, हम अखने वास्तविकता की अछि, से कहै छी। प्रभात भोलाक घटना प्रति जानकारी हासिल करैमे लागि गेल! अस्पताल, पुलिस, एम्बुलेंस, ट्राफ्फिक सभ ठाम पता लगौलाक बाद प्रभातक मेहनत रंग लौलक। भोलाकेँ जिबिते अबस्थामे रियाद स्थित एकटा अस्पतालक कोमामे भरना भेल देखलक। प्रभात तुरत गाममे फोनसँ आँखि देखल पुख्ता जानकारी देलन्हि। ई बात सुनैत धिरापुर गाममे हर्सौल्लासक माहौल बनल आ गामक सभलोक प्रभातकेँ धन्यवाद दैत एकटा विनम्र अनुरोध केलथि। जते खर्चा लागतै हम सभ चंदा उठा कऽ देब मुदा भोलाक जान बचा दियौ! प्रभात आश्वासन देलथि, अहाँ सभ जुनि चिंता करी, हमरासँ जते बनि पड़त हम जरुर करब। आब भोलाक उद्धार कार्यमे प्रभात दिन राति एक कऽ देलक। तीन मासक बाद भोला अर्धचेतन अवस्थामे आएल। फेर एक महिना उपचारक बाबजूदो किछु आंशिक सुधार मात्र भेल। एम्हर अस्प्तालक खर्च सेहो जीवन बीमाक हद पार कऽ गेल। प्रभातक प्रयासमे भोला वैधानिक कम्पनी आ जीवन बीमा अस्पतालक खर्च चुकता केलाक बाद डिस्चार्ज भेल आ नेपाल पठाउल गेल! भोलाकेँ जिबिते अबस्थामे गाम आबक खबरि सुनि कऽ भोलाक परिवार लगाइत समूचा गामक लोक एकबेर पुनः खुश भेल। दू दिनक बाद भोला अपन मातृभूमिमे पहुँचल आ सबहक प्रतीक्षाक घड़ी खत्म भेल! भोलाकेँ जीवित देखैला समूचा गामक लोक आबि गेल मुदा भोला ई सभ बातसँ बहुत दूर जा चुकल रहै। ओ ऐ काबिल नै रहै जे किनकोसँ मिलनक खुशी बाँटि सकए। भोलाक अपंग आ अर्धचेतन अबस्था देख सभक मुहसँ आह निकलि गेलै! भोलाक कनियाँ अपन सोहागरूपी पति परमेश्वरकेँ अपंगो अबस्थामे भेट गेलै तेँ खुशी जरुर भेलै मुदा किछु दिन बाद अतराढ़वालीक लेल ओकर सोहाग एकटा दीर्घकालीन बोझ बनि गेलै, ओइ बोझक भार उठेनाइ बड़ मुस्किल भऽ रहल छै, किए तँ ओ आजीवन अपंग आ अर्धपागल रही गेल!!

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