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Friday, August 10, 2012

नन्द वि‍लास राय -ऐना



नन्द  वि‍लास राय
जन्म - 02.01.1957ईं.मे, शि‍क्षा- बी.एस.सी. (गणि‍त), आइ.टी.आइ. (टर्नर)। गाम+ पोस्ट्- भपटि‍याही, टोला- सखुआ, वाया- 
नरहि‍या, जि‍ला- मधुबनी, ि‍बहार। 


ऐना

हम अपन सारक बेटाक बि‍आहमे गेल छलौंहेँ। हमर सारक बेटा रेलवेमे इंजीनि‍यर अछि‍। ओ अलीगढ़ मुस्लि ‍म वि‍श्ववि‍द्यालसँ इंजीनि‍यरि‍ंगक डि‍ग्री लेने अछि‍, ओकर नाओं ललन थीक। ओ देखबा-सुनबामे वड्ड सुन्निर अछि, गोर वर्ण, पाँच हाथक जवान। दोहरा कद-काठी। जेहने ओ सुन्न र अछि‍ तेहने ओ पढ़ैओ-लि‍खैयोमे तेज छल। 
ललनक बि‍आह पाँच लाख टाकामे बेरमा गामक बुच्चँन ठाकुरक बेटीसँ तँइ भेल छल। बुच्चेन ठाकुर मध्‍य वि‍द्यालकमे शि‍क्षक छथि‍न। अपना बेटीकेँ इन्टइर पास करौने छथि‍न। हमर सार महेशकेँ लड़की पसन्दि भेल आ ओ ललनक बि‍आह बुच्चटन ठाकुरक बेटीसँ पक्काअ कए लेलक। बुच्चछन ठाकुर चारि‍ लाख टका तँ हमर सार महेशकेँ दए देलक मुदा एक लाख टका बाँकी रहि‍ गेल। बुच्च न ठाकुर कहलखि‍न- “जेतेक टाका बाँकी अछि‍ बि‍आहक दू दि‍न पहि‍ने भेट जाएत” मुदा बि‍आह दि‍न जखन टका नै पहुँचल तँ हमर सार हमरासँ कहलनि‍- “पाहुन, टका तँ बुच्च‍न बाबू अखन तक नै भेजलकहेँ। की‍ कएल जाए?”
हम कहलिएनि‍- “आइ बि‍आह थीक। आब की कएल जाए सकैत अछि‍। बि‍आह तँ हेबे करत। भऽ सकैत अछि‍ जे बुच्च न बाबूकेँ कोनो मजबूरी भऽ गेल होएतनि‍। चलू शुभ-शुभ कऽ बि‍आह करेबाक लेल।”
हम सभ दुल्हाच आ बरातीकेँ लऽ सात बजे साँझमे बैरमा गाम पहुँच गेलौं। बारातीकेँ सवेरे पहुँचलापर बैरमा गामक समाज आ बुच्चलन बाबूक सर-कुटुम सभ बड्ड प्रसन्ा्गा  भेलाह। 
बुच्च न बाबू हमर सार महेशकेँ कातमे लऽ गेलाह, संगमे हमहूँ छलौं। कहलखि‍न- “हम समैपर टका नै भेज सकलौं तइ‍ लेल अपने सभ लग लज्जिक‍त छी। मुदा वादा करैत छी, कनि‍याँ वि‍दागरीसँ पहि‍ने अहाँक टका दऽ देब।”
हमर सार कि‍छु नै बजलाह। हम कहलियनि‍- “ठीक छै, अहाँ अपना वादापर कायम रहब आ वि‍दागरीसँ पहि‍ने टका महेश बाबूकेँ दए देबनि‍।” 
बुच्चान बाबू बजलाह- “अवश्या-अवश्यी।”
अवश्या-अवश्या बजैत ओ आंगन चलि‍ गेलाह आ हम सभ वासापर आबि‍‍ बैसलौं। जलखै-नाश्ताि, चाह-पान आदि‍ सभ चलए लगल। संगहि‍ ति‍लकक ओरि‍ओन हुअए लगलै। बरातीक स्वा गत बड्ड नीक जकाँ भेल। खान-पानमे कोनो कमी नै भेल। शुभ-शुभ कऽ बि‍आहो सम्प-न्न‍ भेल। मुदा बुच्चहन बाबू अपन वादाक मुताबि‍क कनि‍याँ वि‍दागरीसँ पहि‍ने बकि‍यौताबला एक लाख नै दऽ सकलाह। हमर सार महेशकेँ बड्ड दुख भऽ गेलै। ओ बाजल तँ कि‍छु नै मुदा अबैत खान समधी मि‍लन नै केलक। हमरा ई गप्पड नै पसीन भेल। हम समझेबाक प्रयास केलौं मुदा ओ हमरा गप्प  नै मानि‍ फटफटि‍यापर बैस कऽ चल गेलाह। हम कनि‍याँकेँ वि‍दागरी करा कऽ अपन सासुर मैलाम पहुँचलौं। हमरा अपना सारपर बड्ड तामस छल। हम हुनका दरबज्जाखपर जाइते अपन संतुलन नै राखि‍ सकलौं आ महेशकेँ देखि‍ते कहलि‍ऐ- “......” जे अहाँकेँ कनि‍यो मानवता नै अछि‍। अहाँ अव्य वहारि‍क लोक छी। एके लाख टकाले अपन परि‍चए दए देलि‍ऐ। कि‍ कहैत अछि‍ बेरमा गामक लोक आ बुच्चखन ठाकुरक सर-कुटुम सेहो सोचलि‍ऐ? जखन बि‍आह भए गेल तखन समधी मि‍लन नै केलासँ कि‍ फएदा भेल। 
आरो बहुत कि‍छु कहि‍ देलि‍यनि‍। महेश कहलाह- “यौ पाहुन सभ एक-दोसरकेँ उपदेश दै छै। अपन मुँह कनेक सन ऐनामे तँ देखौ।” 
हम नि‍रूत्तर भऽ गेलौं।‍ आ हमरा सामने हमर बेटा गणेशक बि‍आहक दृश्य“ नाचए लागल। हमर बेटा गणेश मैट्रि‍कमे दू-बेर फेल कएने छल। तेसर बेरमे मैट्रि‍क पास कएलक। कॉलेजमे पढ़बाक लेल कहलि‍ऐ तँ दि‍ल्लीक भागि‍ गेल। दि‍ल्लीरसँ तीन वर्षक बाद गाम अाएल। पता चलल जे सेल्सबमैनक काज करैैत अछि‍। तीन वर्षक बाद एलाक उपरान्तोे एकोटा टाका हमरा आ अपना माएकेँ नै देलक। हमर पत्नी कहलक- “गणेशक कतौ नीक लड़की देखि‍ कऽ बि‍आह कए दि‍यौ। भऽ सकैत अछि‍ बि‍आहक बाद सुधरि जाए।‍”
तइपर हम कहलि‍यनि‍- “एहेन अवण्डि लड़कासँ के अपना बेटीक बि‍आह करत? करबो करत तँ कि‍छु नै देत।‍”
गणेशक माए बाजलि‍- “कि‍छु देत नै देत तँ‍ कि‍ हेतै, हमरा गणेशक बि‍आह करबाक अछि‍। हमरा पुतोहु आनि‍ दि‍अ।”
हम गणेशक कथा लेल दू-चारि‍ गोटे लग चर्चा केलौं तँ हमर सार महेशक प्रयाससँ कैथि‍नि‍याँ गाममे टुनटुन बाबूक बेटी संग दू लाख टाकामे कथा पक्का भेल। टुनटुन बाबू साधारण गृहस्थ  छथि‍। ओ एक लाख टाका बि‍आहक पन्द्राह दि‍न पहि‍ने दए गेलथि‍। मुदा एक लाख टका बि‍आहक तीन दि‍न पहि‍ने भेज देबाक लेल वादा केलनि‍। मुदा बि‍आहक तीन दि‍न पहि‍ने जखन टाका नै भेजलाह तखन हम मोबाइलसँ सुचि‍त कऽ देलि‍यनि‍। जे काल्हि‍ बारह बजे दि‍न धरि‍ हमरा टाका नै पहुँचत तँ हम बराती लऽ कऽ नै अाएब। भोरे टुनटुन बाबू आ हुनकर मि‍त्र अएलाह आ पच्चादस हजार टाका हमरा गि‍नलाह। हम कहलि‍यनि‍- “बाकी पचास हजार कखन देब?”
टुनटुन बाबू बजलाह- “बड्ड परि‍यासे ई टाकाक प्रबन्ध‍ कएलौंहेँ। आब जे बाकी रहल ओ द्वि‍रागमनमे देब।‍”
हम स्प ष्टह कहलि‍यनि‍- “बि‍आहसँ पहि‍ने हमरा टाका नै देब तँ बि‍आह नै हएत। काल्हि‍ भि‍नसरे आठ बजे तक बकि‍यौता टाका नै दऽ जाएब तँ बरात लऽ कऽ नै आएब।‍”
टुनटुन बाबू आ हुनक मि‍त्र लाख नि‍होरा करैत रहलाह मुदा हम नै मानलयनि‍। अन्त मे टुनटुन बाबूक मि‍त्र कहलखि‍न ठीक अछि‍ अहाँकेँ काल्हि‍ भाेर आठ बजे पचास हजार टाका पठा देब अहाँ बि‍आहक तैयारी करू। 
एक बीघा खेत भरना राखि‍ टुनटुन बाबू पचास हजार टाका हमरा भेजलक तखन हम गणेशक बराती लऽ कऽ कैथि‍नि‍याँ पहुँचलौं। आइ हमरा आँखि‍क आगाँ सभ पुरनका दृश्यब नाचि‍ रहल अछि‍, हमरा अपने-आपपर ग्लाैनि‍ होइत अछि‍।


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