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Monday, December 3, 2012

दोसर चरणक पहिल सगर राति दीप जरय दरभंगामे सम्पन्न- डिजिटल फॉर्ममे ३७ टा पोथीक लोकार्पण (रिपोर्ट उमेश मण्डल)



सगर राति‍ दीप जरय-

कि‍रण जयन्‍ती केर अवसरपर दि‍नांक १ दि‍सम्‍बरक साँझ ६ बजेसँ भि‍नसर ६ बजे धरि‍ दरभंगाक कटहलवाड़ी स्‍थि‍त एम.एम.टी.एम महावि‍द्यालयक प्रेक्षागारमे सगर राति‍ दीप जरय-कथा गोष्‍ठीक आयोजन अरवि‍न्‍द ठाकुर जीक संयोजकत्‍वमे भेल। ऐ गोष्‍ठीक उद्घाटन डी.आइ.जी. राकेश कुमार मि‍श्र दीप प्रज्‍वलि‍त कऽ केलनि‍। डॉ. भीम नाथ झाक अध्‍यक्षता एवं अजीत आजाद जीक संचालनमे ऐ भरि‍ राति‍क कार्यक्रमकेँ तीन सत्रमे बाँटि‍ आगू बढ़ाओल गेल। पहि‍ल सत्र छलै उद्घाटनक दोसर  लोकार्पण आ तेसर कथा वाचन सह समीक्षाक। मध्‍यांतर सेहो भेल जइमे नीक भोजनक आ लगभग दससँ बीस मि‍नट धरि‍क आरामाक बेवस्‍था छल। अहाँकि‍ ई बेवस्‍था गोष्‍ठीमे आनायास भेलै, भेलै ई जे भोजनक प्रवन्‍ध साकट लेल अलग। जइसँ दू तोजीमे भोजन कराओल गेलै। जइमे समए लागल। आ एकटा आर महत्‍वपूर्ण बात ई जे मंच संचालक अजीत आजादजी स्‍वयं दुनू सत्रक भोजनमे टहलि‍-टहलि‍ भोजन करबेलखि‍न। अर्थात् पहि‍ल तोजीमे भोजन केनि‍हार कथाकारकेँ लगभग बीस मि‍नट सुतैक अवसर भेट गेलैक।
सत्रक आरम्‍भ श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल लि‍खि‍त एगारह गोट पोथीक लोकार्पण जे पी.डी.एफ फाइलमे सी.डी.क रूपमे भेल जेकर वि‍वरण एना अछि‍-
गीतांजलि‍ (गीत संग्रह), इन्‍द्रधनुषी अकास (कवि‍ता संग्रह), तीन जेठ एगारहम माघ (गीत संग्रह), राति‍-दि‍न (कवि‍ता संग्रह), अर्द्धांगि‍नी.. सरोजनी.. सुभद्रा.. भाइक सि‍नेह इत्‍यादि‍ (लघुकथा संग्रह), शंभुदास (दीर्घकथा संग्रह), बजन्‍ता-बुझन्‍ता (वि‍हनि‍ कथा संग्रह), कम्‍प्रोमाइज (नाटक), झमेलि‍या बि‍आह (नाटक), पंचवटी (एकांकी संचयन) आ सतभैंया पोखरि‍ (लघुकथा संग्रह)। तकर बाद श्री गजेन्‍द्र ठाकुर लि‍खि‍ल ९ गोट पोथी लोकार्पण (सी.डी.) मे भेल। तकर सबहक वि‍वरण एना अछि‍- प्रबन्ध-निबन्ध-समालोचना भाग-१सहस्रबाढ़नि (उपन्यास)सहस्राब्दीक चौपड़ि‍पर (पद्य संग्रह)गल्प-गुच्छ (विहनि आ लघु कथा संग्रह)संकर्षण (नाटक)त्वञ्चाहञ्च आ असञ्जाति मन (दूटा गीत प्रबन्ध)बाल मण्डली/ किशोर जगत (बाल नाटककथा, कविता आदि)उल्कामुख (नाटक) आ सहस्रबाढ़नि उपन्‍यासक अंग्रेजी अनुवाद The Comet नामक पोथी जेकर अनुवादक थि‍कीह श्रीमती ज्‍योि‍त सुनीत चौधरी। एही कड़ीमे ऐ दुनू रचनाकारक अलादा वि‍देह-सदेह भाग-५सँ१० धरि‍क संकलन जे वि‍देह मैथि‍ली लघुकथा, वि‍देह मैथि‍ली नाट्य उत्‍सव, वि‍देह मैथि‍ली पद्य, वि‍देह मैथि‍ली प्रवन्‍ध-नि‍वन्‍ध, वि‍देह शि‍शु उत्‍सव आ वि‍देह मैथि‍ली वि‍हनि‍ कथाक छल। ततबे नै एगारहटा आर रचनाकारक पोथी सी.डी. रूपमे सबहक बीच आएल जइमे १. वर्णित रस- (कवि‍ता संग्रह) उमेश पासवान (औरहा, मधुबनी), २. नव अंशु- (गजल, रूवाइ आ कता संग्रह) अमीत मि‍श्र (करि‍यन, समस्‍तीपुर), ३. रथक चक्का उलटि‍ चलै बाट- (कवि‍ता संग्रह) राम ि‍वलास साहु (लक्ष्‍मि‍नि‍या, मधुबनी), ४. कि‍यो बूझि‍ ने सकल हमरा- (गजल, रूवाइ आ कता संग्रह) ओम प्रकाश झा (भागलपुर), ५. बाप भेल पि‍त्ती आ अधि‍कार- (नाटक) बेचन ठाकुर (चनौरागंज, मधुबनी), ६. हम पुछैत छी- (साक्षात्‍कार) मनोज कुमार कर्ण, मुन्नाजी (रूपौली, मधुबनी), ७. हमरा बि‍नु जगत सुन्ना छै- (गीत-झारू संग्रह) रामदेव प्रसाद मण्‍डल ‘झारूदार’ (ररूआर, सुपौल), ८. क्षणप्रभा- (कवि‍ता संग्रह) शि‍व कुमार झा ‘टि‍ल्‍लू’ (करि‍यन, समस्‍तीपुर), ९. हमर टोल- (उपन्‍यास) राजदेव मण्‍डल (मुसहरनि‍याँ, मधुबनी), १०. मोनक बात- (गजल, रूवाइ आ कता संग्रह) चंदन झाक आ ११म नीतू कुमारीक मैथि‍ली चि‍त्र कथा, ऐ तरहेँ ऐ गोष्‍ठीमे, कुल्‍लम 37टा पोथी लोकार्पित भेल।
      कथा पाठ आ तइपर समीक्षकक टीप्‍पणी ऐ गोष्‍ठीक वैशि‍ष्‍टय अछि‍। पहि‍ल पालीमे श्रीमती वीणा ठाकुर, आशा मि‍श्र, ज्‍योत्‍सना चन्‍द्रम, श्‍याम भाष्‍करक लघुकथा आ उमेश मण्‍डलक वि‍हनि‍ कथाक पाठ भेल। समीक्षीय टीप्‍पणी भेल। अहि‍ना आगूक पालीमे कथाकार अपन नूतन कथाक पाठ केलनि‍-
बेचन ठाकुर- वेस्‍ट मैडम
लक्ष्‍मी दास- टाइपि‍स्‍ट
चन्‍देश्वर खाँ- नाओल्‍द
अनमोल झा- फाइल, सेयर
मुरलीधर झा- मनुक्‍ख
अभि‍षेक- महापुरुष
रामाकान्‍त राय ‘रमा’- वकवास
रामवि‍लास साहु- घूसहाघर
नारायणजी- छत्ता
शैलेन्‍द्र आनन्‍द- फोरलेन
पवन कुमार साह- अपन रीति‍
सुभाषचन्‍द्र सनेही- बूढ़ी
नन्‍द वि‍लास राय- बाबाघाम
उमेश पासवान- अजाति‍
अशोक कुमार झा- माछक मोटरी
परमानन्‍द प्रभावकर- परि‍वर्त्तन
फूल चन्‍द्र मि‍श्र प्रवीण- परि‍वर्त्तन
दुखमोचन झा- समरथको नहि‍ दोष गोसाई
दुर्गानंद मण्‍डल- कुकर्मा
जगदीश प्रसाद मण्‍डल- अनदि‍ना, बुधनी दादी
शि‍व कुमार मि‍श्र- नापता
शशि‍कान्‍त झा- दूरी
अच्‍छेलाल शास्‍त्री- गामक लोक शीर्षकक कथा पढ़लनि‍। हलाँकि‍ शास्‍त्री जीक कथाक वाचन मात्र एक पृष्‍ठ  सुनला पछाति‍ रोकि‍ देल गेल ई कहि‍ जे ई कथा नै आलेख थि‍क। अच्‍छेलाल शास्‍त्रीक ई पहि‍ल मंच रहनि‍ जइपर ओ कथा पढ़ि‍ रहल छलाह, ओना कवि‍ता आइ तीस बर्ख पहि‍नेसँ लि‍खैत छथि‍। ई मंचक अध्‍यक्ष संग संचालक एवं ऐ दुआरे केलनि जे पृष्‍ठ भरि‍क वाचनमे कथोप-कथन कि‍एक नै आएल। शास्‍त्री जीक कहब छलनि‍ जे कथोप-कथन कोनो कथाक एक तत्‍व थि‍क से हमरो बूझल अछि‍ आ तकर समावेश अवश्‍य केने छी मुदा से आगू अछि‍ माने अगि‍ला पृष्‍ठमे। तथापि‍ कथाक वाचन रोकि‍ देल गेलनि‍। आ अच्‍छेलाल यादव शास्‍त्री अपन कथाक अपूर्ण पाठसँ नि‍रास रहि‍ गेलाह।
अमीत मि‍श्र, मुकुन्‍द मयंक, अमलेन्‍दु  शेखर पाठक, रौशन झा इत्‍यादि‍ व्‍यक्‍ति‍क कथाक पाठ सेहो भेल आ तइपर टीप्‍पणी गुनजाइश हि‍साबे। टी‍प्‍पणीकार सभ छलाह- फूलचन्‍द्र मि‍श्र रमण, रमानंद झा रमण, भीमनाथ झा, अशोक मेहता, दुर्गानन्‍द मण्‍डल, कमल मोहन चुन्नु, नारायणजी, कुमार शैलेन्‍द्र, जगदीश प्रसाद मण्‍डल, कमलाकान्‍त झा (जयनगर), योगानंद झा इत्‍यादि‍।
आगि‍ला ‘सगर राति‍ दीप जरए’ कमलेश झाक संयोजकत्वमे घनश्‍यामपुरमे हेबाक घोषणा सेहो भेल। दीप आ उपस्‍थि‍ति‍ पुस्‍ति‍का स्‍थानीय संयोजक अरवि‍न्‍द्र ठाकुर कमलेश झाकेँ हस्‍तगत करा गोष्‍ठीक समापनक घोषण केलनि‍।














































Thursday, September 27, 2012

प्रो. वीणा ठाकुर -परि‍णीता



आइ डोमेस्‍टि‍क एयर पोर्ट दि‍ल्‍लीमे श्‍यामाक भेँट नीलसँ भेल छलनि‍। श्‍यामा थोड़ेक काल धरि‍ हतप्रभ रहि‍ गेल छलीह। नील-नील कहि‍ मोनक कोनो कोनमे हहाकारक लहरि‍ उठि‍ गेल छल। एतेक वर्ष बीत गेल। नील अखनो ओहने छथि‍, कोनो परि‍वर्त्तन नै भेल छन्‍हि‍। आकर्षक नील, हँसमुख नील, पुर्ण पुरुष नील, उच्‍च पदस्‍थ नील, नील-नील। श्‍यामा कहि‍यो नीलकेँ बि‍सरि‍ नै सकल छलीह। सभटा प्रयासश्‍यामाक वि‍फल भऽ गेल छल। नील सदि‍खन छाया सदृश श्‍यामाक संग लागले रहलथि‍। नील कतेक दूर भऽ गेल छथि‍, श्‍यामा आब चाहि‍यो कऽ नीलकेँ स्‍पर्श नै कऽ सकैत छथि‍, ओहि‍ना जेना छाया संग रहि‍तौं स्‍पर्श नै कएल जा सकैत अछि‍, मनुष्‍यक संग छायाक अस्‍ति‍त्‍व तँ सदि‍खन रहैत छैक, मुदा ओकर आकार तँ सदि‍खन नै रहैत छैक। श्‍यामाक जि‍नगी नील, श्‍यामाक सोच नील, श्‍यामाक सभ ि‍कछु नील। श्‍यामाक तन्‍द्रा भंग भऽ गेल छल, नीलक चि‍र परि‍चि‍त हँसि‍ सुनि‍, नील आश्चर्यचकि‍त होइत प्रसन्न भऽ कहने छलाह-
 
श्‍यामा, माइ डि‍यर फ्रेंड हमरा बि‍सवास होइत अछि‍, अहाँ फेर भेँट हएत। श्‍यामा अहाँ अखनो ओहि‍ना सुन्‍दर छी, यु आर टु मच ब्‍युटि‍फूल यार, आइ कैन नॉट वि‍लि‍भ।‍
और पुन: ठहाका माइर‍ हँसने छलाह। नील संगक युवतीसँ श्‍यामाक परि‍चए करबैत कहने छलाह-
श्‍यामा, मीट माइ वाइफ नीलि‍मा, ओना हमर नीलू- नीलू माइ वेस्‍ट फ्रेंड श्‍यामा।
नीलू बहुत शालीनतासँ श्‍यामाक अभि‍वादन करैत कहने छलीह-
गुड मॉनि‍ंग मैम।‍ और नील हँसेत बाजि‍ गेल छलाह-
देखू हम आइयो अहाँक पसन्‍दक ब्‍लू पैंट शर्ट पहि‍रने छी।‍ कि‍छु आॅपचारि‍क गप्‍प भेल छल। एयरपोर्टपर एनाउन्‍समेंट भऽ रहल छल, संभवत: नीलक फ्लाइटक समए भऽ गेल छल। श्‍यामा पाछाँसँ नील और श्‍यामाक जोड़ी नि‍हारैत रहि‍ गेल छलीह। कतेक सुन्‍दर जोड़ी अछि‍- राधा-कृष्‍ण सदृश। नीलि‍मा कतेक सुन्‍दर छथि‍, एकदमसँ नील जोगड़क। लगैत अछि‍ जेना ब्रह्मा फुर्सतमे नीलि‍माकेँ गढ़ने होएथि‍न। सुन्‍दर, सुडॉल शरीर, श्‍वेत वर्ण, सुन्‍दर लम्‍बाइ, उमंग और उत्‍साहसँ पूर्ण नीलि‍मा। नीलि‍माक प्रत्‍येक हाव-भाव सुसंस्‍कृत होएवाक परि‍चायक अछि‍। श्‍यामा अपलक देखैत रहि‍ गेल छलीह। ताबत धरि‍ जाबत दुनू श्‍यामाक आँखि‍सँ ओझल नै भऽ गेल छलथि‍।
घर अएलाक पश्‍चात् बि‍नु कि‍छु सोचने आएना लग आबि‍ अपनाकेँ देखए लागल छलीह। केशक एकटा लटमे कि‍छु श्‍वेत केश देखि‍ श्‍यामाकेँ आश्चर्य भेल छलनि‍ जे अखन धरि‍ हुनक नजरि‍ ऐ ‍पर नै‍ पड़ल छल। फेर जेना श्‍यामाकेँ संकोच भेल छलनि‍ जे अबैत देरी आखि‍र अएनामे की देखि‍ रहल छथि‍। भरि‍सक नीलक प्रशंसा अखनो श्‍यामाकेँ ओहि‍ना आह्लादि‍त कऽ गेल छल। ई तँ कि‍छु वर्ष पहि‍ने होइत छल। आब तँ प्राय: श्‍यामा नीलकेँ, नीलक संग बि‍ताएल क्षणकेँ बि‍सरवाक प्रयास कऽ रहल छथि‍। आखि‍र नील अखन धरि‍ श्‍यामाक मस्‍ति‍ष्‍कपर ओहि‍ना आच्‍छादि‍त छथि‍। समैक अन्‍तराल कि‍छु मि‍टा नै सकल। मि‍टा देलक तँ श्‍यामाक जि‍नगी, श्‍यामाक खुशी। श्‍यामाक जि‍नगी भग्‍न खण्‍डहर बनि‍ कऽ रहि‍ गेल, जइ‍मे नील आइ हुलकी दऽ गेल छलाह। की नील अखन धरि‍ श्‍यामाकेँ बि‍सरने नै छथि‍? श्‍यामाक पसन्‍द अखनो मोन छन्‍हि‍? श्‍यामाक महत्‍व अखनो बाँचल अछि‍? नै तँ नील एना नै बजि‍तथि‍।

चारू-कात देखलनि‍, ओछाओनसँ लऽ कऽ टेबुल धरि‍ कि‍ताब छि‍ड़ि‍याएल छल। मोन थोड़ेक खौंझा गेल छलनि‍, एह अस्‍त-व्‍यस्‍त घरक हालत देखि‍। तथापि‍ कि‍ताब एक कात कऽ श्‍यामा अशोथकि‍त भऽ ओछाओनपर पड़ि‍ रहल छलीह। मोन एकदम थाकि‍ गेल छल, मुदा दि‍माग सोचनाइ नै छोड़ि‍ रहल छल। श्‍यामा अपन आदति‍ अनुसार डायरी लि‍खैले बैस गेल छलीह।

आजुक पन्ना-नीलक नाओं-
नील, आजुक पन्ना अहाँक नाओं अछि‍। हमरा बूझल अछि‍, आब नै तँ हमर डायरी कहि‍यो जबरदस्‍ती पढ़ब, नै हमरा पढ़ब। नील पाँच वर्ष अहाँक संग बि‍ताएल अवधि‍ हमर जीवनक संचि‍त पूँजी थि‍क, ऐ पूँजीकेँ बड़ नुका कऽ मोनक कोनमे राखने छलौं। कतौ ऐ अमूल्‍य नि‍धि‍केँ बॉटबाक इच्‍छा नै छल, कागजक पन्नोपर नै‍। मुदा आइ एतेक पैघ अन्‍तरालक पश्‍चात, अहाँकेँ देखि‍ मोन अपना वशमे नै रहल। मोन की हमरा वशमे अछि‍। अहाँक संग रहि‍ हम तँ दि‍न-दुनि‍याँ बि‍सरि‍ गेल छलौं, कहि‍यो कि‍छु कहबाक इच्‍छा होएबो कएल तँ अहाँ सुनए लेल तैयार नै भेलौं। अहाँ सतत् कहैत रहलौं-
हमरा अहाँक मध्‍य नै कहि‍यो तेसर मनुष आएत और नै कोनो व्‍यर्थक गप्‍प, बस मात्र हम और अहाँ, और कि‍छु नै‍।‍ हम मन्‍त्र मुग्‍ध भऽ अहाँक गप्‍प सुनैत सभ कि‍छु बि‍सरि‍ गेल छलौं। मुदा आइ सभ कि‍छु बदलि‍ गेल। आइ जँ सभ कि‍छु लि‍ख अहाँकेँ समर्पित नै कऽ देब तँ मोन और बेचैन भऽ जाएत। अहाँ हमरासँ दूर भऽ गेल छी, तथापि‍ आइ सभ कि‍छु, जे नै कहि‍ सकल छलौं, हम डायरीमे लि‍ख रहल छी। जखन हम अपनाकेँ अहाँकेँ समर्पित कऽ देलौं, तखन कि‍छु बचा कऽ राखब उचि‍त नै‍।

हमर पि‍ता उच्‍च वि‍द्यालयमे शि‍क्षक छलाह, नाओं छलनि‍ पं. दि‍वाकर झा। हम दु बहि‍न एक भाए छी, हम सभसँ पैघ, बहि‍न श्‍वेता और भाए वि‍कास। हमर वर्ण कि‍छु कम छल, तइ‍ कारणे बाबूजी आवेशमे हमर नाओं रखलनि‍‍ श्‍यामा। बाबूजी हरदम कहैत छलाह-
ई हमर बेटी नै बेटा छथि‍, हमर जीवनक गौरव छथि‍ श्‍यामा। छोट बहि‍नक नाओं श्‍वेता अछि‍, श्‍वेता गौर वर्णक छथि‍, तँए माए श्‍वेता नाओं राखने छलथि‍न। मैट्रि‍कमे हमरा फर्स्‍ट डि‍वि‍जन भेल तँ बाबूजी कतेक प्रसन्न भेल छलाह। महावीर जीकेँ लड्डु चढ़ौने छलाह। सौंसे महल्‍ला अपनहि‍सँ प्रसादक लड्डु‍ बाँटने छलाह। हमरा जि‍द्दसँ कॉलेजमे हमर नाओं लि‍खओल गेल छल। माए तँ वि‍रोध कएने छलीह। जखन हम बी.ए. पास कऽ गेलौं, तँ हमर बि‍आहक चि‍न्‍ता बाबू जीकेँ होमए लागल छलनि‍। एकठाम बि‍आह ठीक भेल तँ बड़क माए-बहि‍न हमरा देखए लेल आएल छलथि‍, मुदा श्‍वेताकेँ पसि‍न्न करैत अपन नि‍र्णए सुना देने छलथि‍न जे अपन बेटाक बि‍आह श्‍वेतासँ करब। बाबूजी कतेक दुवि‍धामे पड़ि‍ गेल छलाह। पैघ बहि‍नसँ पहि‍ने छोटक बि‍आह केना संभव अछि‍। मुदा माए-बाबूजी केँ बुझाबैत कहने छलथि‍न-जे काज भऽ जाइत छैक से भऽ जाइत छैक। बि‍आह तँ लि‍खलाहा होइत छैक। नील शास्‍त्रक कथन अछि‍-माए बापक असि‍रवाद फलि‍त होइत छैक। जँ असि‍रवाद‍ फलि‍त होइत छैक तँ माए बापक नि‍र्णए सन्‍तानक भाग्‍यक नि‍र्धारण सेहो करैत हेतैक। भरि‍सक माएक नि‍र्णए हमर भवि‍ष्‍य भऽ गेल। श्‍वेताक बि‍आह ओइ वरसँ भऽ गेलनि‍।

आइ डोमेस्‍टि‍क एयर पोर्ट दि‍ल्‍लीमे श्‍यामाक भेँट नीलसँ भेल छलनि‍। श्‍यामा थोड़ेक काल धरि‍ हतप्रभ रहि‍ गेल छलीह। नील-नील कहि‍ मोनक कोनो कोनमे हहाकारक लहरि‍ उठि‍ गेल छल। एतेक वर्ष बीत गेल। नील अखनो ओहने छथि‍, कोनो परि‍वर्त्तन नै भेल छन्‍हि‍। आकर्षक नील, हँसमुख नील, पुर्ण पुरुष नील, उच्‍च पदस्‍थ नील, नील-नील। श्‍यामा कहि‍यो नीलकेँ बि‍सरि‍ नै सकल छलीह। सभटा प्रयासश्‍यामाक वि‍फल भऽ गेल छल। नील सदि‍खन छाया सदृश श्‍यामाक संग लागले रहलथि‍। नील कतेक दूर भऽ गेल रुष, श्‍यामा आब चाहि‍यो कऽ नीलकेँ स्‍पर्श नै कऽ सकैत छथि‍, ओहि‍ना जेना छाया संग रहि‍तौं स्‍पर्श नै कएल जा सकैत अछि‍, मनुष्‍यक संग छायाक अस्‍ति‍त्‍व तँ सदि‍खन रहैत छैक, मुदा ओकर आकार तँ सदि‍खन नै रहैत छैक। श्‍यामाक जि‍नगी नील, श्‍यामाक सोच नील, श्‍यामाक सभ ि‍कछु नील। श्‍यामाक तन्‍द्रा भंग भऽ गेल छल, नीलक चि‍र परि‍चि‍त हँसि‍ सुनि‍, नील आश्चर्यचकि‍त होइत प्रसन्न भऽ कहने छलाह-
श्‍यामा, माइ डि‍यर फ्रेंड हमरा बि‍सवास होइत अछि‍, अहाँ फेर भेँट हएत। श्‍यामा अहाँ अखनो ओहि‍ना सुन्‍दर छी, यु आर टु मच ब्‍युटि‍फूल यार, आइ कैन नॉट वि‍लि‍भ।‍
और पुन: ठहाका माइर‍ हँसने छलाह। नील संगक युवतीसँ श्‍यामाक परि‍चए करबैत कहने छलाह-
श्‍यामा, मीट माइ वाइफ नीलि‍मा, ओना हमर नीलू- नीलू माइ वेस्‍ट फ्रेंड श्‍यामा। 
नीलू बहुत शालीनतासँ श्‍यामाक अभि‍वादन करैत कहने छलीह-
गुड मॉनि‍ंग मैम।‍ और नील हँसेत बाजि‍ गेल छलाह-
देखू हम आइयो अहाँक पसन्‍दक ब्‍लू पैंट शर्ट पहि‍रने छी।‍ कि‍छु आॅपचारि‍क गप्‍प भेल छल। एयरपोर्टपर एनाउन्‍समेंट भऽ रहल छल, संभवत: नीलक फ्लाइटक समए भऽ गेल छल। श्‍यामा पाछाँसँ नील और श्‍यामाक जोड़ी नि‍हारैत रहि‍ गेल छलीह। कतेक सुन्‍दर जोड़ी अछि‍- राधा-कृष्‍ण सदृश। नीलि‍मा कतेक सुन्‍दर छथि‍, एकदमसँ नील जोगड़क। लगैत अछि‍ जेना ब्रह्मा फुर्सतमे नीलि‍माकेँ गढ़ने होएथि‍न। सुन्‍दर, सुडॉल शरीर, श्‍वेत वर्ण, सुन्‍दर लम्‍बाइ, उमंग और उत्‍साहसँ पूर्ण नीलि‍मा। नीलि‍माक प्रत्‍येक हाव-भाव सुसंस्‍कृत होएवाक परि‍चायक अछि‍। श्‍यामा अपलक देखैत रहि‍ गेल छलीह। ताबत धरि‍ जाबत दुनू श्‍यामाक आँखि‍सँ ओझल नै भऽ गेल छलथि‍।
घर अएलाक पश्‍चात् बि‍नु कि‍छु सोचने आएना लग आबि‍ अपनाकेँ देखए लागल छलीह। केशक एकटा लटमे कि‍छु श्‍वेत केश देखि‍ श्‍यामाकेँ आश्चर्य भेल छलनि‍ जे अखन धरि‍ हुनक नजरि‍ ऐ ‍पर नै पड़ल छल। फेर जेना श्‍यामाकेँ संकोच भेल छलनि‍ जे अबैत देरी आखि‍र अएनामे की देखि‍ रहल छथि‍। भरि‍सक नीलक प्रशंसा अखनो श्‍यामाकेँ ओहि‍ना आह्लादि‍त कऽ गेल छल। ई तँ कि‍छु वर्ष पहि‍ने होइत छल। आब तँ प्राय: श्‍यामा नीलकेँ, नीलक संग बि‍ताएल क्षणकेँ बि‍सरवाक प्रयास कऽ रहल छथि‍। आखि‍र नील अखन धरि‍ श्‍यामाक मस्‍ति‍ष्‍कपर ओहि‍ना आच्‍छादि‍त छथि‍। समैक अन्‍तराल कि‍छु मि‍टा नै सकल। मि‍टा देलक तँ श्‍यामाक जि‍नगी, श्‍यामाक खुशी। श्‍यामाक जि‍नगी भग्‍न खण्‍डहर बनि‍ कऽ रहि‍ गेल, जइ‍मे नील आइ हुलकी दऽ गेल छलाह। की नील अखन धरि‍ श्‍यामाकेँ बि‍सरने नै छथि‍? श्‍यामाक पसन्‍द अखनो मोन छन्‍हि‍? श्‍यामाक महत्‍व अखनो बाँचल अछि‍? नै तँ नील एना नै बजि‍तथि‍।
चारू-कात देखलनि‍, ओछाओनसँ लऽ कऽ टेबुल धरि‍ कि‍ताब छि‍ड़ि‍याएल छल। मोन थोड़ेक खौंझा गेल छलनि‍, एह अस्‍त-व्‍यस्‍त घरक हालत देखि‍। तथापि‍ कि‍ताब एक कात कऽ श्‍यामा अशोथकि‍त भऽ ओछाओनपर पड़ि‍ रहल छलीह। मोन एकदम थाकि‍ गेल छल, मुदा दि‍माग सोचनाइ नै छोड़ि‍ रहल छल। श्‍यामा अपन आदति‍ अनुसार डायरी लि‍खैले बैस गेल छलीह।

आजुक पन्ना-नीलक नाओं-
नील, आजुक पन्ना अहाँक नाओं अछि‍। हमरा बूझल अछि‍, आब नै तँ हमर डायरी कहि‍यो जबरदस्‍ती पढ़ब, नै हमरा पढ़ब। नील पाँच वर्ष अहाँक संग बि‍ताएल अवधि‍ हमर जीवनक संचि‍त पूँजी थि‍क, ऐ पूँजीकेँ बड़ नुका कऽ मोनक कोनमे राखने छलौं। कतौ ऐ अमूल्‍य नि‍धि‍केँ बॉटबाक इच्‍छा नै छल, कागजक पन्नोपर नै‍। मुदा आइ एतेक पैघ अन्‍तरालक पश्‍चात, अहाँकेँ देखि‍ मोन अपना वशमे नै रहल। मोन की हमरा वशमे अछि‍। अहाँक संग रहि‍ हम तँ दि‍न-दुनि‍याँ बि‍सरि‍ गेल छलौं, कहि‍यो कि‍छु कहबाक इच्‍छा होएबो कएल तँ अहाँ सुनए लेल तैयार नै भेलौं। अहाँ सतत् कहैत रहलौं-
हमरा अहाँक मध्‍य नै कहि‍यो तेसर मनुष आएत और नै कोनो व्‍यर्थक गप्‍प, बस मात्र हम और अहाँ, और कि‍छु नै‍।‍ हम मन्‍त्र मुग्‍ध भऽ अहाँक गप्‍प सुनैत सभ कि‍छु बि‍सरि‍ गेल छलौं। मुदा आइ सभ कि‍छु बदलि‍ गेल। आइ जँ सभ कि‍छु लि‍ख अहाँकेँ समर्पित नै कऽ देब तँ मोन और बेचैन भऽ जाएत। अहाँ हमरासँ दूर भऽ गेल छी, तथापि‍ आइ सभ कि‍छु, जे नै कहि‍ सकल छलौं, हम डायरीमे लि‍ख रहल छी। जखन हम अपनाकेँ अहाँकेँ समर्पित कऽ देलौं, तखन कि‍छु बचा कऽ राखब उचि‍त नै‍।

हमर पि‍ता उच्‍च वि‍द्यालयमे शि‍क्षक छलाह, नाओं छलनि‍ पं. दि‍वाकर झा। हम दु बहि‍न एक भाए छी, हम सभसँ पैघ, बहि‍न श्‍वेता और भाए वि‍कास। हमर वर्ण कि‍छु कम छल, तइ‍ कारणे बाबूजी आवेशमे हमर नाओं रखलनि‍‍‍ श्‍यामा। बाबूजी हरदम कहैत छलाह-
ई हमर बेटी नै बेटा छथि‍, हमर जीवनक गौरव छथि‍ श्‍यामा। छोट बहि‍नक नाओं श्‍वेता अछि‍, श्‍वेता गौर वर्णक छथि‍, तँए माए श्‍वेता नाओं राखने छलथि‍न। मैट्रि‍कमे हमरा फर्स्‍ट डि‍वि‍जन भेल तँ बाबूजी कतेक प्रसन्न भेल छलाह। महावीर जीकेँ लड्डु चढ़ौने छलाह। सौंसे महल्‍ला अपनहि‍सँ प्रसादक लड्डु‍ बाँटने छलाह। हमरा जि‍द्दसँ कॉलेजमे हमर नाओं लि‍खओल गेल छल। माए तँ वि‍रोध कएने छलीह। जखन हम बी.ए. पास कऽ गेलौं, तँ हमर बि‍आहक चि‍न्‍ता बाबू जीकेँ होमए लागल छलनि‍। एकठाम बि‍आह ठीक भेल तँ बड़क माए-बहि‍न हमरा देखए लेल आएल छलथि‍, मुदा श्‍वेताकेँ पसि‍न्न करैत अपन नि‍र्णए सुना देने छलथि‍न जे अपन बेटाक बि‍आह श्‍वेतासँ करब। बाबूजी कतेक दुवि‍धामे पड़ि‍ गेल छलाह। पैघ बहि‍नसँ पहि‍ने छोटक बि‍आह केना संभव अछि‍। मुदा माए-बाबूजीकेँ बुझाबैत कहने छलथि‍न-जे काज भऽ जाइत छैक से भऽ जाइत छैक। बि‍आह तँ लि‍खलाहा होइत छैक। नील शास्‍त्रक कथन अछि‍-माए बापक असि‍रवाद फलि‍त होइत छैक। जँ असि‍रवाद‍ फलि‍त होइत छैक तँ माए बापक नि‍र्णए सन्‍तानक भाग्‍यक नि‍र्धारण सेहो करैत हेतैक। भरि‍सक माएक नि‍र्णए हमर भवि‍ष्‍य भऽ गेल। श्‍वेताक बि‍आह ओइ वरसँ भऽ गेलनि‍।

अर्थशास्‍त्रक एम.ए. कएलाक पश्‍चात वि‍श्ववि‍द्यालयक पी.जी. डि‍पार्टमेन्‍टमे हमरा लेक्‍चररक नौकरी भऽ गेल। तइ‍ दि‍न हमरा बुझाएल छल, जेना जीवनक सभटा उद्देश्‍य पूरा भऽ गेल अछि‍। बुझबे नै कएलौं, जे एकरा आगाँ सेहो जिनगी छैक। जाबत बुझलौं ताबत सभ समाप्‍त भऽ गेल छल। जखन पढ़ैत छलौं, महि‍ला शि‍क्षि‍काक पहि‍रब ओढ़ब, वेश-भूषा हमरा वड़ आकषिर्‍त करैत छल। हमरा आदर्शमे इहो समाहि‍त भऽ गेल छल। हल्‍लुक रंग साड़ी पहि‍रब हमर शौख भऽ गेल छल, भरि‍सक तँए हमर जि‍नगी रंग वि‍हि‍न भऽ गेल। खैर, बाबुजीक प्रसन्नताक कोनो सीमा नै छलैन्‍हि‍। कि‍छु मासक बाद बाबुजी रि‍टायर भऽ गेल छलाह। स्‍कूलक शि‍क्षकक दरमाहा कम छल, बाबूजीक पेंशनसँ घरक खर्च, वि‍कासक इन्‍जि‍नि‍यरि‍ंगक पढ़ाइ संभव नै छल। हमरा पहि‍ल बेर जहि‍ना दरमाहा भेटल, माएक हाथमे राखि‍ देने छलौं, तकरा बाद ई एकटा निअम बनि‍ गेल छल। मुदा बाबुजीक मोनमे सतत् एकटा अपराध बोध होइत छलैन्‍ह। बाबुजी मुँहसँ तँ कि‍छु नै बजैत छलाह, मुदा हुनक आँखि‍ सभ कि‍छु कहि‍ दैत छल। कि‍छु दि‍नक बाद बाबुजी एकदमसँ चुप रहए लागल छलाह। माएक व्‍यवहारमे सेहो परि‍वर्त्तन भऽ गेल छलैन्‍ह। हमरा प्रति‍ बाबुजी माएक सि‍नेह क्रमश: आदरमे परि‍वर्तित होअए लागल छल। शुरू-शुरूमे ऐ आदरसँ हम कतेक असहज भऽ जाइत छलौं, पहि‍ने छोट-छोट चीज लेल जि‍द्दक अधि‍कार छल, मुदा ई आदर तँ हमरा बहुत रास अधि‍कारसँ वंचि‍त कऽ देलक। हमरा सतत् लगैत छल जे आहि‍स्‍ता-आहि‍स्‍ता कर्त्तव्‍य मजबूत पाशमे हम बान्‍हल जा रहल छी। हमर स्‍वतन्‍त्रता छोट होइत गेल और हम असमए पैघ होइत गेलौं। ताबत धरि‍ हम बुझवे नै कएलौं जे प्रत्‍येक मनुष्‍यक व्‍यक्‍ति‍गत जि‍नगी होइत अछि‍, भवि‍ष्‍यक कल्‍पना होइत अछि‍ और होइत अछि‍ उमंग, उत्‍साह।
बाबुजीक मृत्‍यु हार्ट अटैक सँ भऽ गेलनि‍। मृत्‍युकाल बाबुजीक मुँहपर आच्‍छादि‍त नि‍रीह भाव, आँखि‍मे पश्‍चाताप, ओहि‍ना मोन अछि‍। बाबुजीक मुँहसँ कि‍छु नै कहलैथ, मुदा हुनका आँखि‍क कातरता सभ कि‍छु कहि‍ गेल। आब हम घरक मात्र बेटी नै रहि‍ गेल छलौं। हम घरक कमौआ बेटी, पालन केनि‍हारि‍ गार्जियन भऽ गेल छलौं। वि‍कास पढ़ैत छलाह, हुनक पढ़ाइ, बि‍आह सभटा हमर उत्तरदायि‍त्‍व भऽ गेल। ई छोट-छीन गृहस्‍थी समैक अनुसार चलैत रहल। वि‍कासक पढ़ाइ समाप्‍त भऽ गेल छलनि, बि‍आह लेल कन्‍यागत आबए लागल छलाह। वि‍काससँ हम बि‍आह लेल पुछलौं, पहि‍ने तँ ओ तैयार नै भेलाह, बेर-बेर कहैत रहलाह-
दीदी, जाबत अहाँक बि‍आह अएत, हम बि‍आह नै करब। कतेक बुझौने छलौं, अन्‍तमे हमरा कहए पड़ल जे अहाँक बि‍आह, सेट्लमेन्‍ट, अहाँक घर बसाएब हमर दायि‍त्‍व अछि‍, तखन वि‍कास स्‍वीकृति‍ देने छलाह। कतेक उत्‍साहसँ वि‍कासक बि‍आह कएने छलौं। पी.एफ.सँ अधि‍कतम लोन लऽ कऽ सभटा खर्च कएलौं। एक-एक वस्‍तु कपड़ा, गहना माए अपना इच्‍छासँ कीनने छलीह। वि‍कासक बि‍आह सम्‍भ्रान्‍त परि‍वारमे भेल, कनि‍या पढ़ल-लि‍खल सुन्‍दर सुशील छथि‍। मुदा एकटा बात अछि‍, सुशीलो व्‍यक्‍ति‍ मुँहसँ कहि‍यो एह कटुसत्‍य बहरा जाइत अछि‍, जकर प्रहारसँ दोसरक आत्‍मा छि‍न्न-भि‍न्न भऽ जाइत छैक। एकबेरक घटना हमरा अखन धरि‍ बि‍सरल नै भेल अछि‍, होएबो नै करत। वि‍कासक बेटा मोनु स्‍कूल गेल छल, स्‍कूलसँ अएबामे थोड़ेक देरी भऽ रहल छलैक। वि‍कासक कनि‍याँ पूजाक बेचैनी देखि‍ हमरा रहल नै गेल। हम पूजाकेँ भरोस दैत कहने छलौं-
परेशान नै होउ, मोनु अबैत हएत, कि‍छु कारण भऽ गेल हेतैक।‍
पूजा नि‍छोह भेल बाजि‍ गेल छलीह-
अहाँ की बुझबैक सन्‍तानक दर्द। एतेक सुनै
हम अवाक रहि‍ गेल छलौं। पूजा कहलैथ तँ सत्‍य। मुदा ई सत्‍य एतेक कटु छल जे हमर आत्‍मा क्षत-वि‍क्षत भऽ गेल। की हमरा मोनमे मोनु, पूजा आ वि‍कास लेल सि‍नेह नै छल। की मात्र कोखि‍सँ जन्‍म देलासँ मातृत्‍वक भाव अबैत छैक? की हम वि‍कासक भवि‍ष्‍यक चि‍न्‍तामे अपन जीवन उत्‍सर्ग नै कऽ देलौं? हमर एतवे महत्‍व। खैर पूजा नै बुझैत छथि‍ तइ‍सँ की। वि‍कास तँ हमरा बुझैत छथि‍। यएह सोचि‍ मोनकेँ सांत्‍वना दैत रहलहु। मुदा मोन की सांत्‍वनाक भाषा बुझैत छैक। मुँहसँ तँ कि‍छु नै बाजि‍ सकलौं। मुदा तकरा पश्‍चात् एकटा हीन-भाव क्रमश: हमरा मोनमे बढ़ैत गेल। आब बेधड़क मोनुकेँ दुलारो करवामे हमरा संकोच होअए लागल छल। पहिने हम जइ‍ अधि‍कारसँ पूजा मोनुक संग रहैत छलौं, आब संकोच होअए लागल छल। नै जानि‍ कोन बात पूजाकेँ अप्रि‍य लागि‍ जएतनि‍, कि‍छु कहैसँ पहि‍ने अनायास सर्तक भऽ जाइत छलौं। कि‍छु दि‍नक बाद वि‍कासकेँ इग्‍लैण्‍डमे बढ़ि‍या नौकरी भऽ गेल छलैन्‍ह। ि‍वकास हमर सहमति‍क बाद वि‍देशक नौकरी स्‍वीकार कएने छलाह। आइओ मोन अछि‍, जइ‍ दि‍न वि‍कास सपरि‍वार वि‍देश गेल छलाह, ओइ राति‍ हमरे बि‍छाैनपर सूतल छला। वि‍कास कतेक कानल छलाह, हमहूँ अपनाकेँ रोकि‍ नै सकल छलौं। वि‍कास जाइतो काल एकेटा बात कहने छलाह-
दीदी, बाब अहाँ केना रहब, अपन ख्‍याल राखब।‍ ओना वि‍कास छथि‍ तँ हमरासँ छह वर्ष छोट, मुदा परि‍वारक परि‍स्‍थि‍ति‍ हुनकहुँ बुजुर्ग बना देने छल। वि‍कास छोट छथि‍, तइ‍सँ की। यएह उत्तरदायि‍त्‍व बोध तँ पुरुषक पुरुषत्‍वक छि‍ऐक, जइ‍सँ ओ परि‍वारक गार्जियन भऽ जाइत अछि‍। बाबुजीक मृत्‍युक पश्‍चात वि‍कास टुटलथि‍ नै‍, कि‍एक तँ सहारा हम भऽ गेल छलौं। मुदा जाबत वि‍कास सभ तरहसँ व्‍यवस्‍थि‍त भऽ गेलथि‍। हमरो उत्तरदायि‍त्‍व लेबए चाहैत छलाह। खैर वि‍कास वि‍देश चलि‍ गेलथि‍। हमहूँ नि‍श्‍चि‍न्‍त भऽ गेल छलौं। आब घरमे मात्र हम और माए बचि‍ गेल छलौं। कोनो उत्‍साह नै‍, समए अपनहि‍ बि‍तैत जाइत अछि‍, जि‍नगीओ बि‍त रहल छल। 

ओइ समएमे नील वसंतक झोंक बनि‍ अहाँ हमर जि‍नगीमे आएल छलौं। हमरा अखनो ओहि‍ना मोन अछि‍, हम कॉलेज जएबा लेल तैयार भऽ कऽ घरसँ नि‍कलल छलौं। रि‍क्‍शा थोड़ेक दूर चौराहापर भेटैत छल। अहाँ हमरा बगलमे गाड़ी रोकि‍ कतेक बि‍सवाससँ बाजल छलौं-
हम नील, एयर इण्‍डि‍यामे पाएलट छी, अहाँक पड़ोसी, अहाँ कतए जाएब, चलू छोड़ि‍ दैत छी।‍ हम नि‍र्विकार स्‍वरे अहाँक अस्‍वीकार कऽ देने छलौं। अहाँ फेर बाजल छलौं-
हम अपना परि‍चए तँ दऽ देलौं, अहुँ तँ कि‍छु बाजु।‍

हम अहाँकेँ टारवाक उद्देश्‍यसँ कहने छलौं-
हमर नाओं श्‍यामा छी, और हम वि‍श्ववि‍द्यालयक पोस्‍ट ग्रेजुएट वि‍भागमे अर्थशास्‍त्र पढ़बैत छी।‍

अहाँ कनेक मुस्‍कुराइत, हमरा दि‍सि‍ तकैत गाड़ीमे बैस गेल छलौं। नील अहाँक मुहँक स्‍मि‍त भाव, आत्‍म-बि‍सवाससँ भरल स्‍वर, हमरा मस्‍ति‍ष्‍कमे एह कऽ अंकि‍त भऽ गेल जे एतेक वर्ष बि‍तलाक पश्‍चातो ओहि‍ना सभटा मोन अछि‍। लगैत अछि‍ जेना ई आजुक घटना थि‍क। तकरा बाद आठ दि‍न धरि‍ अहाँसँ भेँट नै भेल छल। नै जानि‍ कि‍एक कोनमे नुकाएल अहाँसँ भेँटक इच्‍छा बलवति‍ होअए लागल छल। तकरा बाद एक दि‍न जखन हम ि‍डर्पाटमेन्‍टमे बैसल छलौं, चपरासी समाद कहने छल जे वि‍जि‍टि‍ंग रूपमे एक गोटे भेँट करवा लेल बैसल छथि‍, और अहाँक कार्ड हमरा देने छल। नाओं पढ़ि‍ हम कतेक उद्वि‍ग्‍न भऽ गेल छलौं और अहाँ कतेक अह्लादि‍त होइत, मुस्‍कुराइत हमर स्‍वागत कएने छलौं। हमरा लागल छल जेना ऐ मुस्‍कुराहटसँ हम कतेक परि‍चि‍त छी। बि‍ना कि‍छु पुछने अहाँ जल्‍दी-जल्‍दी बाजल छलौं जे फ्लाइट लऽ कऽ अहाँ अमेरि‍का गेल छलौं, तइ‍ कारणे एतेक देरी भऽ गेल। कि‍ंचि‍त अहाँक हड़बड़ी बजवाक शैली सुनि‍ हमरा हँसि‍ लागि‍ गेल छल। और अहाँ आर्श्‍चचकि‍त होइत बाजल छलौं जे- भगवानक शुक्र अिछ, अहाँ हँसलौं तँ।

और कॉफि‍ हाउसक अहाँक नि‍मन्‍त्रण हम अस्‍वीकार नै कऽ सकल छलौं। ओइ दि‍न अहाँसँ दाेसर बेर भेँट कॉफी आउसमे भेल छल। बि‍ना कि‍छु पुछने अहाँ अपन वि‍षएमे कहने छलौं जे अहाँक माँ, बाबुजी दुनू डॉक्‍टर छथि‍, अहाँ बैचलर छी और माँ-बाबुजीक एक मात्र सन्‍तान छी, उम्र पचीस वर्ष अछि‍, एयर इण्‍डि‍यामे पायलट छी। हम तइ‍पर कहने छलौं जे हमर उम्र तीस वर्ष अछि‍। हमर बात सुनि‍ अहाँ हँसैत कहने छलौं जे-
दोस्‍तीमे उम्र कतएसँ आबि‍ गेल।
तकरा बाद अहाँ कहलौं जे पता लगा लेने छी जे आहाँ हॉस्‍टल सुपरि‍टेन्‍डेन्‍ट भऽ गेल छी और सुपरि‍टेन्‍डेन्‍ट क्‍वाटरमे शि‍फ्ट कऽ गेल छी। नील, हम केना कऽ कहि‍तौं जे हम अपन घर छोड़ि‍ क्‍वाटरमे कि‍एक शि‍फ्ट कऽ गेलौं। भला लाजक बात की बाजल जाइत छैक।

असलमे ई भेल छल जे श्‍वेता हमर छोट बहि‍नक पति‍क ट्रान्‍स्‍फर ऐ शहरमे भऽ गेल छल, माएक घरपर तँ श्‍वेताक अधि‍कार सेहो छल, श्‍वेता अपन पति‍ और बच्‍चाक संग माएक घरमे रहय लेल आबि‍ गेल छलीह। माएकेँ बड्ड प्रसन्नता भेल छलैन्‍ह और माएक प्रसन्नता देखि‍ हम चुप रहि‍ गेल छलौं। नै जानि‍ कि‍एक हमरा नीक नै लागल छल, यद्यपि‍ घरक वातावरण बदलि‍ गेल छल मुदा हमरा श्‍वेताक पति‍क सभ कि‍छुमे दखल अन्‍दाजी नीक नै लगैत छल। हम बेचैन रहय लागल छलौं। माए सेहो हमर भावनासँ अनभि‍ज्ञ छलीह। संयोगसँ हाेस्‍टल सुपरि‍टेन्‍डेन्‍ट बनवाक हमरा अवसर भेटल और हम ऐ अवसरकेँ वरदान बूझि स्‍वीकार कऽ लेलौं। ऐ पद लेल हमरासँ वेशी उपयुक्‍त और कोनो महि‍ला शि‍क्षि‍का नै छलीह। कि‍एक तँ सभ शादी-सुदा छथि‍, सभकेँ परि‍वार छन्‍हि‍, गृहस्‍थी छन्‍हि‍ और हमरा तँ नै आगू नाथ नै पाछू पगहा। यद्यपि‍ संजोगि‍ कऽ बसाएल घरसँ हमर ई पड़ाइन छल मुदा छल उपयुक्‍त अवसर, हम होस्‍टल शि‍फ्ट कऽ गेलौं

तकरा बाद नील, अहाँ प्रति‍दि‍न आबए लागल छलाैं पहि‍ने तँ मात्र साँझमे अबैत छलौं मुदा क्रमश: अहाँक आएब बढ़ैत गेल और हमरापर अहाँकेँ अधि‍कारो बढ़ैत गेल। अहाँ मात्र दोस्‍त नै रहि‍ गेल छलौं हमर मानस देवता बनि‍ गेल छलौं, हमर तँ जि‍नगीये बदलि‍ गेल छल। जि‍नगी एतेक सुन्‍दर होइत छैक, हम अहाँसँ सि‍खलौं। पहि‍ल बेर हमरा एहसास भेल जे हमहुँ सुन्‍दर छी, हमरो महत्व अछि‍। जीवनक एकटा नव पन्ना खुजि‍ गेल। बस सदि‍खन एकेटा काज रहि‍ गेल। अहाँक प्रतीक्षा करब, अहाँक वि‍षयमे सोचब। पहि‍ल बेर हमरा अपनापर गर्व भेल छल। नील अहाँक व्‍यक्‍ति‍व, सौम्‍य मुद्रा अहाँक न्‍योछावर भऽ जाएब, अहाँक आँखि‍ प्‍यास कतेक आत्‍मवि‍श्वास हमरामे भरि‍ देने छल। हमरा बूझल अछि‍ जे हम कतेक साधारण छी, मुदा अहाँक बाँहक गर्मकसाव, कानमे अाहि‍स्‍तासँ कहल गेल झूठ-सच बात, हमरा कतेक भरि‍ दैत छल। हम कतेक बहुमूल्‍य, कतेक गौरवमयी भऽ जाइत छलौं। लगैत छल, हमरा लग कि‍छु अछि‍ अथवा नै मुदा एकटा चीज अछि‍ अहाँक देवता लेल, एकट तृप्‍ति‍, एकटा उल्‍लास, एकटा भराव जे हम मात्र अपनाकेँ अर्पित करवाक पश्चाते दऽ सकैत छलौं।
नील, ई चारि‍ वर्ष कोना बीत गेल, हम बुझबे नै केलौं। कहि‍यो कल्‍पनो नै कने छलौं जे ऐ संबंधकेँ भवि‍ष्‍य की अछि‍। एक दि‍न अहाँ ड्युटीपर गेल छलौं, अहाँक माँ-बाबूजी आएल छलाह। अहाँक माँ मढल-लि‍खल छथि‍, हमरा कोनो अपशब्‍द नै कहलन्‍हि‍, मुदा जतेक कहने छलीह, से तँ हमर जि‍नगीये बदलि‍ देलक। हमर सभ कल्‍पना, जि‍नगी चूर-चूर भऽ गेल। तइ दि‍न जि‍नगीक ठोस धरातलक एहसास हमरा फेर भेल। अहाँक माँ, अहाँ जि‍नगीक भीख हमरासँ मांगने छलीह। हमरा तँ बुझाइत छल जे हमहीं अहाँक जि‍नगी छी। मुदा तखन हमरा बुझाएल जे हम अहाँक जि‍नगीमे राहु छी, जेकर छाया अहाँक जि‍नगीमे ग्रहण बनि‍ गेल अछि‍। कि‍ऐक तँ हमर उमर अहाँसँ पाँच वर्ष बेसी छल, हमर अवस्‍था आब वि‍वाह करबा जेागर नै छल। हमर प्रेम नै व्‍यापार छल। नील हम तँ ऐ दृष्‍टि‍कोणसँ अपन मूल्‍यांकन नै केने छलौं। और फेर हम एक बेर पलायन केलौं, अपना जि‍नगीसँ अहाँक जि‍नगीसँ। फेर वएह कर्त्तव्‍यक मजबूत पाश, जे पहि‍ने तँ अपन परि‍वार लेल हमरा बान्‍हि‍ देने छल आब अहाँक परि‍वार लेल।

नील, भरि‍सक अहुँकेँ मोन हएत। कि‍एक तँ जखन हमर पसन्‍दक ब्‍लू पेन्‍ट-शर्ट अखन धरि‍ मोन अछि‍ तँ ओ अन्‍ति‍म राति‍ जरूर मोन हएत। अहाँ साँझमे आएल छलौं, अहाँक पाछाँ हमर जीवनमे कोन बवंडर उठि‍ गेल अहाँ बि‍ना कहने कोना बुझि‍तौं। आखि‍र अपन स्‍त्रीत्‍वक एतेक पैघ अपमान केना बाजल जा सकैत अछि‍। आन दि‍न जकाँ हम सोफापर बैसल छलौं और अहाँ नील कालि‍नपर बैसि‍ हमरा कोरामे एकटा नि‍श्‍छल बच्‍चा जकाँ माथ राखि‍ सुति‍ गेलौं। ड्यूटीपरी सँ एलाक बाद अहाँ थाकि‍ जे गेल छलौं। मुदा हमरा तँ नै आँखि‍मे नि‍न्न छल, नै मोनमे चैन। सूतलमे अहाँक ि‍नर्दोष मुँह देखि‍, भरि‍ राति सोचलाक बाद कठोर ि‍नर्णए लऽ लेने छलौं, जे आब अहाँसँ कोनो सम्‍बन्‍ध नै राखब। सुखक एतबे दि‍न हमरा भाग्‍यमे अछि‍। अहाँकेँ हमरा छोड़ेयै पड़त। नील, तकरा बाद हमर मोन थेड़ेक आश्वस्‍त भऽ गेल छल, कनी आँखि‍ लागि‍ गेल छल। नीन्न टुटल तँ भोरक चारि‍ बाजि‍ रहल छल, मुदा चारू दि‍स पवि‍त्र, शान्‍त और प्रकाशमय लागि‍ रहल छल। हमरा ओ भोर अखनौं ओहि‍ना मोन अछि‍ कि‍एक तँ फेर हमरा ओहन शान्‍ति‍, ओहन पवि‍त्र प्रकाश, ओहन ताजगी, ओहन मोनक पसरल उदार हरि‍त-वर्ण वापस नै भेटल।
नील, हम अहाँकेँ अपन सप्‍पत दैत हमरासँ कोनो प्रकारक सम्‍पर्क नै राखबाक प्रार्थना केने छलौं। नील अहुँ तँ हमर सप्‍पतक मान रखैत अपन वचनक ि‍नर्वाह करैत रहलौं। आन दि‍न तँ अहाँ हमर कोनो बात नै सुनैत छलौं, जे इच्‍छा होइत छल, अपन जि‍द्दसँ अधि‍कार बूझि‍ सएह करैत छलौं। मुदा जीवनक एतेक महत्वपूर्ण ि‍नर्णएमे अहाँ हमर संग कि‍एक देलौं। सम्‍पूर्ण जीवन संग बि‍तेबाक अहाँक प्रति‍ज्ञा हमरा अागाँ कि‍एक छोट भऽ गेल। और सभ दि‍न तँ जि‍द्दी बच्‍चा जकाँ अपन बात मनवा लैत छलौं मुदा तइ दि‍न भरि‍सक हमर दृढ़ नि‍श्चय देखि‍ चुप-चाप अहाँ रहि‍ गेल छलौं। खैर नील, अहाँ चलि‍ गेलौं।
नील अहाँकेँ मोन अछि‍, एक बेर लाल रंगक साड़ी अहाँ हमरा लेल अनने छलौं, पहि‍ल बेर गाढ़ लाल रंगक साड़ी देखि‍ हमरा सुखद आश्चर्य भेल छल। अहाँक जि‍द्दसँ साड़ी पहि‍र ऐनामे अपनाकेँ देखि‍ हमरा कतेक संकोच भेल छल। अहाँ कतेक प्रसन्न भेल छलौं। अहाँ कहने छलौं-
फ्रेन्‍ड, यू आर टु मच ब्‍युटि‍फुल यार।
हमहुँ अहाँकेँ बूझल नै हएत, कॉलेज जीवनमे हल्‍लुक रंगक साड़ी पहि‍रने, शांत सौम्‍य अपन शि‍क्षि‍का लोकनि‍केँ देखि‍, हमर सएह आदर्श भऽ गेल छल। मुदा ई आदर्श तँ हमर जि‍नगीकेँ रंगहीन बना देलक। एतेक धरि‍ जे हमर माए सेहो नै बुझलन्‍हि‍, जे रंगक बि‍ना जीवन कहेन उदास भऽ जाइत छैक। आन दि‍नक तँ गप्‍प छोड़ु वि‍कासक वि‍वाहोमे माए हमरा लेल हल्‍लुक रंग साधारण सुती साड़ी कीन कऽ आनने छलीह। नील माए-बाप तँ सन्‍तानक जीवनमे रंग भरैत छैक, माएकेँ हमरा लेल ई बुझबाक कहि‍यो पलखति‍ नै भेटलन्‍हि‍, यएह रंगहीन हमर जि‍नगी बनि‍ गेल। अहाँ हमरा जि‍नगीमे देवदूत बनि‍ एलौं हमर काया बदलि‍ गेल, सभ कि‍छु बदलि‍ गेल मुदा कतेक दि‍न लेल?
  

Wednesday, August 22, 2012

जन्‍मति‍थि‍ :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


जन्‍मति‍थि‍

तीस बरख नोकरी केला उत्तर रवि‍कान्‍त आइ.जी. पदसँ सेवा नि‍वृत्ति‍ भेला। जखनि कि‍ रवि‍शंकर आइ.जी.सँ आगू बढ़ि‍ डी.जी.पीक पदभार सम्‍हारलनि‍। साल भरि‍ ऐ पदपर रहता। ओते नोकरीक अवधि‍ वचल छन्‍हि‍। तीन दि‍न रवि‍शंकरकेँ पदभार सम्‍हारला उत्तर रवि‍कान्‍तकेँ मन पड़लनि‍ जे मीत-रवि‍शंकरकेँ बधाइ कहाँ देलि‍यनि‍। कारणो भेलनि‍ जे पनरह दि‍न पहि‍नेसँ जे कार्य-भार दि‍अए लगलखि‍न ओ नोकरीक अंति‍म दि‍न धरि‍ नै फरि‍छौट भऽ सकलनि‍। मनमे एलनि‍ जे मोबाइलेसँ बधाइ दऽ दि‍यनि। मुदा एक्के काजक तँ भि‍न्न-भि‍न्न जुइत होइए। जुइति‍क अनुकूले ने काज अनुकूल होइए‍, तँए मोबाइलसँ बधाइ देब उचि‍त नै बूझि‍ पड़लनि‍। ओना तत्काल जानकारीक रूपमे दऽ समए लेल जा सकै छल। मुदा से नै भेलनि‍। चाहक कप टेबुलपर रखि‍, दहि‍ना बाँहि‍ उठबैत पत्नी-रश्मि‍केँ कहलखि‍न-
की ऐ बाँहि‍क शक्ति‍ क्षीण भऽ गेल जे काज नै कऽ सकैए। मुदा...?”
रश्‍मि‍ अपना धुनि‍मे छेली। ओना एक्के टुबलपर बैस चाहो पीऐ छेली आ मेद-मेदीन चि‍ड़ै जकाँ मुँहमि‍लानी गपो-सप करै छेली। अपने धुनि‍मे मनो बौआइ छेलनि‍। एकठाम बैस‍‍ चाह पीबि‍तो मन दुनूक दू-दि‍शि‍या छेलनि‍। रश्‍मि‍क मनमे रवि‍शंकरक पत्नी कि‍रण नचै छेलखि‍न। जि‍नगी भरि‍ सखी-बहीनपा जकाँ रहलौं, मुदा आइ? आइ ओ रानीसँ महरानी बनि‍ गेली आ...? की हम ओइ बटोहि‍नी सदृश तँ ने भऽ गेलौं जेकरा सभ कि‍छु छीनि‍ घरसँ नि‍कालि‍ देल जाइ छै।
जहि‍ना कोनो नीनभेर बच्‍चा माएक उठौलापर चहाइत उठैत बेसुधमे बजैत तहि‍ना पति‍क प्रश्नक उत्तर रश्‍मि‍ देलखि‍न-
ऐ बाँहि‍क शक्‍ति‍ ओतबे काल रहै छै जेते काल शान चढ़ाएल हथि‍यार ओकरा हाथमे रहै छै। नै तँ प्राणशक्‍ति‍ नि‍कलला उत्तर शरीर जहि‍ना माटि‍ बनि‍ जाइ छै तहि‍ना बनि‍ कऽ रहि‍ जाइए। हाथसँ हथि‍हार हटि‍ते जि‍नगी हहरए लगै छै।
पुन: चाहक कप उठा चुस्‍की लैत रवि‍कान्‍त बजला-
बच्‍चेसँ दुनू गोरे संगे रहलौं। खेनाइ-पीनाइ, खेलनाइ-धुपनाइ, घुमनाइ-फीरनाइ सभ संगे रहल। कहाँ कहि‍यो मनमे उठल जे दुनू गोरेमे कोनो दूरी अछि‍। अपनाकेँ के कहए जे घरो-परि‍वार आ सरो-समाज कहाँ कहि‍यो बुझलनि‍। मुदा आइ...?”
मुदा आइ की?”
इहए जे...। आइ बहुत दूरी बूझि‍ पड़ि‍ रहल अछि‍। बूझि‍ पड़ैए जे जेना अकास-पतालक अंतर भऽ गेल अछि‍। कोन मुँह लऽ कऽ आगू जाएब, से ि‍नर्णये ने मन कऽ पाबि‍ रहल अछि‍।
तखनि?”
सएह ने मन असथि‍र नै भऽ रहल अछि‍। जि‍नगी भरि‍क संगीकेँ ऐहेन शुभ अवसरपर केना नै बधाइ दियनि‍। मुदा एते दि‍न बरबरि‍क वि‍चार छल आब ओ थोड़े रहत। कहाँ ओ सि‍ंह द्वारपर वि‍राजमान केनि‍हार आ कहाँ हम देशक अदना एकटा नागरि‍क। कि‍ अपनाकेँ ओइ कुर्सीक बुझी जइसँ हेट भेलौं। सीकपर राखल वा ति‍जोरीमे राखल वस्‍तु ओतबे काल ने जेते काल ओ ओतए रहैत। रवि‍शंकर आइ ओतए छथि‍ जतए हमरा सन-सन जि‍नगी अंति‍म छोड़पर पहुँचि‍नि‍हार हुनकर हुकुमदारी करैए। कोन नजरि‍ए ओ देखै छल आ आइ कोन नजरि‍ए देखता।
रवि‍कान्‍तक अन्‍तरमनकेँ रश्‍मि‍ आँकि‍ रहल छेली। मुदा जेते अाँकए चाहै छेली तइसँ बेसी घबाएल माछ जकाँ अपन सड़नि‍ बढ़ल जाइत रहनि‍। कि‍ आँखि‍क सोझक देखल झूठ भऽ जाएत। केना नै भऽ सकैए। दू गोटे बीचक बात तँ ओतबे काल धरि‍ सत्‍य रहैए जेते काल धरि‍ दुनू मानैए। काज थोड़े छी जे गरजि‍ कऽ कहत जे तोरा पलटने हम थोड़े पलटि‍ जाएब। मन असथि‍र होइते रश्‍मि‍क मनमे वि‍चार जगलनि‍। दुखक दबाइ नोर छी। पैघ-सँ-पैघ दुख लोक नोरक धारमे बहा वैतरणी पार करैए। बजली-
जहि‍ना अहाँक मनमे उठि‍ रहल अछि‍ तहि‍ना हमरो मनमे रंग-बि‍रंगक बात उठि‍ रहल अछि‍। कहाँ रवि‍शंकरक पत्नी कि‍रण राजरानी आ कहाँ हम...? कहाँ राधा संग कृष्‍ण आ कहाँ...? काल्हि‍ धरि‍ दुनू गोरे एकठाम बैस‍ एक थारीमे खेबो करै छेलौं आ एक्के गि‍लासमे पानि‍यो पीऐ छेलौं, मुदा आइ संभव अछि‍। आखि‍र कि‍अए?”
हवाक तेज झोंकमे जहि‍ना डारि‍-डारि‍क पात डोलि‍-डोलि‍ एक-दोसरमे सटबो करैत आ हटबो करैत तहि‍ना रश्‍मि‍क डोलैत वि‍चार सुनि‍ रवि‍कान्‍त स्‍वयं डोलए लगला। एक तँ पहि‍नेसँ मन डोलि‍ रहल छेलनि‍ तैपर रश्‍मि‍क वि‍चार आरो डोला देलकनि‍। अनभुआर जगह पहुँचलापर जहि‍ना सभ हरा जाइत तहि‍ना हराएल मोने रवि‍कान्‍त बजला-
कानसँ सुनि‍तो, आँखि‍सँ देखि‍तो कि‍छु बूझि‍ नै पाबि‍ रहल छी जे कि‍ नीक कि‍ अधला। की करी की नै करी। मुदा साठि‍ बरखक संगीकेँ एते दूर केना बूझब। मुदा लगो केना बूझब। साठि‍ बरखक पथि‍क संगी जौं दू दि‍शामे चली तखनि केते दूरी हएत। मुदा साठि‍ बरखक जि‍नगीओ तँ छोट नै भेल?”
रवि‍कान्‍तक वि‍चार सुनि‍ रश्‍मि‍ टपकि‍ पड़ली-
जि‍नगी तँ एक दि‍न, एक क्षण, एक घटनामे बदलि‍ जाइए आ साठि‍-बरख कि‍ धो-धो चाटब।
तखनि?”
सएह नै बूझि‍ रहल छी। एतेटा जि‍नगी एक संग बि‍तेलौं मुदा आइ जइ जि‍नगीमे पहुँच‍‍ गेल छी तइ जि‍नगीक संबन्‍धमे कि‍छु वि‍चार कहि‍यो नै केलौं।
पत्नीक बात सुनि‍ रवि‍कान्‍तकेँ जहि‍ना आन गामक चौबट्टी, तीनबट्टीपर पहुँचि‍ते भक्क लगि‍ जाइत, जइसँ पूब-पच्‍छि‍मक दि‍शे बदलि‍ जाइत। मुदा एहनो तँ होइते अछि‍ जे लगलो भक्क ओहने चौबट्टी, तीनबट्टीपर खुजि‍तो अछि‍। अपन भक्क तँ तेना भऽ कऽ नै खुजलनि‍, खाली एकटा प्रश्नेटा उठलनि‍ जे बच्‍चासँ सि‍यान भेलौं, सि‍यानसँ चेतन भेलौं, चेतनसँ बुढ़ाड़ीक प्रमाणपत्र भेट‍ गेल। हरबाह थोड़े छी जे अधमरुओ अवस्‍थामे बुढ़ाड़ीक प्रमाण नै भेटै छै। केना भेटि‍ते प्रमाणपत्रक संग पेन्‍शनो ने अबै छै। मुदा मन कि‍अए धक-धका रहल अछि‍। जि‍नगीक चारि‍म अवस्‍था वानप्रस्‍तक होइ छै, संयासीक होइ छै जे दि‍न-राति‍ दौगैत दुनि‍याँक हाल-चाल जानए चाहैए। से कहाँ मन मानि‍ कऽ बूझि‍ रहल अछि‍। पति‍केँ गंभीर अवस्‍थामे देखि‍ रश्‍मि‍ टि‍पलनि‍-
अहाँक मनमे जे नाचि‍ रहल अछि‍ उहए हमरो मनमे नाचि‍ रहल अछि‍। मुदा ईहो बात तँ झूठ नहि‍येँ छी जे जि‍नगीक संग बाटो बनै छै। आ बाटे संग बटोहीओ बाट बनबै छै।
रवि‍कान्‍त- की बाट?”
पति‍क प्रश्न सुनि‍ रश्‍मि‍ वि‍ह्वल भऽ गेली। हेराइत संगीकेँ बाट देखाएब बहुत पैघ काज छी। मुदा लगले मनमे उठि‍ गेलनि‍ जे तखनि अपने कि‍अए एते बौआइ छी। कम-सँ-कम चाह पीऐ काल बैसारीओमे ऐ बातक वि‍चार करैत अबि‍तौं तँ अौझुका जकाँ तँ नै बौऐतौं। जोतल आ बि‍नु जोतल खेतमे चललासँ जहि‍ना पहि‍ने धड़ि‍आइ छै, धड़ि‍एलाक पछाति‍ पति‍आइ छै, पति‍एलाक पछाति‍ पेरि‍आइत पेरा बनै छै। वहए एकपेरि‍या बहुपेरि‍या बनैत चलै छै। रश्‍मि‍ बजली-
अहाँ कौलेज छोड़ला उत्तर जि‍म्मा उठा सरकारी बाट पकड़ि‍ साठि‍ बरख पूरा लेलौं। ने कहि‍यो जमीन दि‍स तकैक जरूरति‍ महसूस भेल आ ने तकलौं। मुदा आइ तँ ओतइ उतरि‍ आबि‍ गेल छी जेकर रस्‍ता अखनि धरि‍क रास्‍तासँ भि‍न्न अछि‍।
पत्नी‍क वि‍चार सुनि‍ रवि‍कान्‍त मुड़ी डोलबैत आँखि‍ उठा कखनो पत्नीक आँखि‍पर रखैत तँ कखनो उतारि‍ धरतीपर दइत। आगि‍पर चढ़ल कोनो बरतनक पानि‍‍ जहि‍ना नि‍च्‍चाँसँ ताउ पाबि‍ ऊपर उठि‍ उधि‍याइक परि‍यास करैत तहि‍ना रवि‍कान्‍तक वैचारि‍क मन सेहो उधि‍याइक परि‍यास करैत रहनि‍। मुदा जहि‍ना पि‍जराक बाघ पि‍जरेमे गुम्‍हरि‍ कऽ रहि‍ जाइत, तहि‍ना आइ धरि‍क जे मन रूपी बाघ एहेन शरीर रूपी पि‍जरामे फँसि‍ गेल छेलनि जे जेते आगू मुहेँ डेग उठबैक कोशि‍श करथि‍ ओते समुद्री वादल जकाँ आस्‍ते-आस्‍ते ढील होइत रहनि‍। आगूक झलफलाइत बाट देखि‍ रवि‍कान्‍त बजला-
वि‍चारणीय बात जरूर अछि‍, मुदा बि‍नु बूझल जि‍नगीक संग तँ अहुँक जि‍नगी चलल। कहाँ केतौ बेवधान भेल। आइ जे कहलौं ओ तँ ओहू दि‍न कहि‍ सकै छेलौं, जइ दि‍नसँ बहुत आगू धरि‍ बढ़ि‍ गेलौं। से तँ रोकि‍ कऽ मोड़ि‍ सकै छेलौं। मुदा आइ तँ जानल-बि‍नु (ज्ञानी-मुरूख) जानल दुनू संगे बौआए चाहै छी!”
पति‍क बात सुनि‍ रश्‍मि‍ मोने-मन वि‍चार करए लगली जे दुनि‍याँमे एहनो लोकक कमी नै अछि‍ जेकरा जरूरति‍ भरि‍ लूड़ि‍-बुधि‍ नै छै, मुदा ईहो तँ झूठ नै जे जेकरा छेबो करै ओइमे बेसी ओहने अछि‍ जे या तँ उनटा वाण चलबैए वा नहि‍येँ चलबैए। तखनि सुनटा वाण केना आगू बढ़त जौं बढ़बे करत तँ केते आगू बढ़त जेकरा आगू दुश्मन जकाँ चौबगली उनटा वाण घेरने अछि‍। मुदा उपाए की? शुद्ध तेल-मोबि‍ल देल मजगूत इंजनो चढ़ाइपर दम तोड़ए लगै छै मुदा टुटलो चक्का बि‍नु तेलो-मोबि‍लक भट्ठा गरे दौगैत बि‍नु ब्रेकक गाड़ी जकाँ केतेकेँ जानो जइए आ केतेकेँ मुँहोँ-कानो फोड़ैए। डेग आगू उठाएब जरूर कठि‍न अछि‍। मुदा लगले मनमे उठलनि‍ जे जइ बाट पकड़ि‍ आइ धरि‍ चललौं जौं ओही बाटकेँ छोड़ि‍ दोसर बाट पकड़ि‍ नव बटोही जकाँ वि‍दा होइ, ई तँ संभव अछि‍। जहि‍ना चि‍न्‍हार जगहक चोर पड़ा दूर देश जा अपन क्रि‍या-कलाप बदलि‍ नव-मनुखक जि‍नगी बना जीबए चाहैत ओ तँ संभव छै...।
वाण लागल पंछी जकाँ पति‍केँ देखि‍ अनुभवक सान्‍त्‍वना भरल शब्‍द नि‍कालि‍ रश्‍मि‍ बजली-
जहि‍ना अहाँक जि‍नगी तहि‍ना ने हमरो बनि‍ गेल अछि‍। जएह बुढ़ापा अहाँक सएह ने हमरो अछि‍। मुदा एकठाम तँ दुनू गोटे एक छी। एक्के दबाइक जरूरति‍ दुनू गोरेकेँ ने अछि‍। तँए वि‍चार दइ छी जे आब ने ओ रूतबा रहल आ ने ओकाइत, तखनि जानि‍ कऽ जहरो-माहूर खा लेब सेहो नीक नै।
रश्‍मि‍केँ आगूक बात पेटेमे घुरि‍आइत रहनि तइ बिच्‍चेमे रवि‍कान्‍त टि‍प देलखि‍न-
बेसी दुख तँ नै बूझि‍ पड़ैए मुदा साठि‍ बरखक प्रोढ़ा अवस्‍था धरि‍ हमरा सबहक नजरि‍ नै गेल। सरकारीक पैघ जि‍म्मामे रहलौं। समायानुसार काज करि‍तो मुदा अपन जि‍नगी तँ सुरक्षि‍त रखि‍तौ। साठि‍ बरखक पछाति‍यो तँ चालीस बरख जीबैक अछि‍। कि‍ नै जनै छेलौं जे दरमाहा टूटि‍ जाएत जि‍नगीक आवश्‍यकता बढ़ैत जाएत ओहन स्‍थि‍ति‍मे कि‍ कएल जा सकै छै।
पति‍क वि‍चारकेँ गहराइत समुद्र दि‍स जाइत देखि‍ मुँहक दसो वाण साधि‍ रश्‍मि‍ छोड़लनि‍-
अनेरे मनमे जूर-शीतलक पोखरि‍क पानि‍ जकाँ घोर-मट्ठा करै छी। घोरे मट्ठा ने घीओ नि‍कालैए आ अनहै सेहो नि‍कालैए। संयासी सभ केना फटलाहा कमलक मोटरी बान्‍हि‍ कन्‍हामे लटका लइए आ सौंसे दुनि‍याँ घुमैए। अहाँकेँ तँ सहजे‍ चरि‍-चकि‍या गाड़ी चलबैक लूड़ि‍यो अछि‍।
पत्नीक वि‍चार सुनि‍ रवि‍कान्‍त ओझरा गेला। एक दि‍स संयासीक बात बाजि‍ कहि‍ रहल छथि‍ जे जहि‍ना कानूनी अधि‍कारसँ जीवन-रक्षा होइत तहि‍ना ने संयास अवस्‍था -वानप्रस्‍त- पवि‍त्र मनुखक नैति‍क अधि‍कार सेहो छी। दोसर दि‍स चरि‍ चकि‍या गाड़ीक चर्चा सेहो करै छथि‍ जे भरि‍सक अपनो लगा कऽ कहै छथि‍। संगी देखि‍ रवि‍कान्‍त दहलाए लगला। जहि‍ना कोसी-कमलाक बाढ़ि‍मे भँसैत घरपर बैस‍‍ घरवारी बंशीओ खेलाइए आ कमला-कोसीक गीतो गबैए, तहि‍ना वि‍ह्वल भऽ रवि‍कान्‍त बजला-
हँसी-चौल छोड़ू। आब कोनो बाल-बोध नै छी। हम सभ अपन जीवन अपन सामाजि‍क जीवन नै बनाएब तँ देखि‍ते छि‍ऐ जे मनुख एक दि‍स चान छूबैए तँ दोसर दि‍स सीकीक वाणक जगह बम-वारूद लऽ मनुखक बीच केहेन खेल दुनि‍याँमे खेल रहल अछि‍। खैर, ओते सोचैक समए आब नै रहल। जेकर ति‍ल खेलि‍ऐ ओकरा बहि‍ देलि‍ऐ। अपन चलीस बरखक जि‍नगी अछि‍, ने हमर कि‍यो मालि‍क आ ने हम केकरो मालि‍क छि‍ऐक। भगवान रामकेँ जहि‍ना अपन वानप्रस्‍त जीवनमे अनेको ऋृषि‍-मुनि‍, योगी-संयासी सभसँ भेँट भेलनि‍ आ अपनो जा-जा भेँटो केलखि‍न। तहि‍ना ने अपनो दोसराक ऐठाम जाइ आ ओहो अपना ऐठाम आबए। मुदा वि‍चारणीय प्रश्न ई अछि‍ जे रामकेँ के सभ भेँट करए एलनि‍ आ कि‍नका-कि‍नका ओतए भेँट करए स्‍वयं गेला। ई प्रश्न मनमे अबि‍ते गाछसँ खसल पघि‍लल कटहर जकाँ मन छँहोछि‍त्त भऽ गेलनि‍। खोंइचा-कमरी संग एक दि‍स तँ दोसर दि‍स कोह उड़ि‍-उड़ि‍ कौआ आगू पहुँच‍‍ जाइत। आँठी छड़पि‍-छड़पि‍ बोन-झारमे बच्‍चा दइ दुआरे जान बँचबैत, तँ नेरहा उत्तर-दछि‍ने सि‍रहाना दऽ पड़ल-पड़ल सोचैत जे जेते पकबह तेते सक्कत हेबह तँए समए रहैत भक्ष बना लैह नै तँ दुइर भऽ जाएब। रवि‍कान्‍त सोचैत-सौचैत जेना अलि‍साए लगला। हाफी भेलनि‍।
रवि‍कान्‍तकेँ हाफी होइत देखि‍ रश्‍मि‍क मनमे उठलनि‍ जे हाफी तँ नि‍नि‍या देवीक पहि‍ल सि‍ंह दुआरि‍क घंटी छी। भने नीक हेतनि‍ जे सुति‍ रहता नै तँ एे उमेरमे जौं नि‍न उड़लनि‍ तँ अनेरे सालो-महि‍नेमे बदलि‍ जेतनि‍। फटकि‍‍‍ कऽ बजली-
जेते माथ धुनैक हुअए वा देह धुनैक हुअए अपन धुनू। हमर जे काज अछि‍ तइमे हम वि‍थूत नै हुअए देव। हमरा लिए तँ अहीं ने सभ कि‍छु छी।
तीन सए घरक बस्‍ती बसन्‍तपुर। छोट-नम्‍हर चालीस टा कि‍सान परि‍वार शेष सभ खेत-बोनि‍हारसँ लऽ कऽ आनो-आनो रोजगार कऽ जीवन-बसर करैए। अनेको जाति‍ गाममे। ओना मझोलका कि‍सान बेसी। ओकरो दशा-दि‍शा भि‍न्न-भि‍न्न। तेकर अनेको कारणमे दूटा प्रमुख। जइसँ वि‍धि‍-बेबहारमे सेहो अंतर। कि‍छु जाति‍क लोक अपने हाथे हरो-जाेइत लैत आ खेतक काजो करैत जइसँ आमदनीक बचतो होइत आ कि‍छु एहनो जे अपने हाथसँ काज-उदम नै करैत तँए बचत कम। कम बचत भेने परि‍वार दि‍नानुदि‍न सि‍कुड़ैत जाइत। ओना गामक बुनाबटियो भि‍न्न अछि‍। एक तँ ओहुना दू गामक बुनाबटि एक रंग नै अछि‍। तेकर अनेको कारणमे प्रमुख अछि‍, खेतक बुनाबटि‍, जनसंख्‍या जाति‍ इत्‍यादि‍। बसन्‍तपुरक बुनाबटि‍ आरो भि‍न्न। ऊँचगर जमीन बेसी नि‍चरस कम अछि‍ जइसँ गाछी-बि‍रछी सेहो बेसी अछि‍ आ घर-घराड़ी, रस्‍ता-पेरा सेहो ऐल-फइल अछि‍।
बसन्‍तपुरमे दूटा नम्‍हर कि‍सान बाँकी छोट। नम्‍हर कि‍सान परि‍वार रहने गामोक आ अगल-बगलक आनो गामक लोक जेठरैयती परि‍वारो बुझैत आ जेठरैयत कहबो करैए। राजक जमीन्‍दार तँ नै मुदा गमैया जमीन्‍दार सेहो कि‍छु गोटे बुझैत। तेकर कारण जे दुनूक महाजनीओ चलैत आ गामक झड़-झंझटक पनचैतीओ करैत। कनी-मनी अनचि‍तो काजकेँ गामक लोक अनठि‍या दैत। तइमे राधाकान्‍त आ कुसुमलाल दुनू गोटेक जमीनोक बुनाबटि‍ आरो भि‍न्न अछि‍। चौबगली टोल सभ बसल अछि‍ आ बीचक जे तीस-पेंतीस बीघाक प्‍लॉट छै ओ मध्‍यम गहींर अछि‍। जइसँ अधि‍क बर्खा भेने नाला होइत पानि‍क नि‍कासी कऽ लैत, कम भेने चाैबगलीक ओहासी एने रौदि‍याहो समैमे उपजि‍ए जाइत। ओना दुनू गोरे बोरि‍ंग सेहो गड़ौने छथि‍। तँए रौदि‍याहो समए भेने खेतक लाभ उठाइए लइ छथि‍। पच्‍चीस-तीस बीघाक बीचक दुनू कि‍सान। मुदा दुआरपर बखारीओ आ पोखरि‍क महारपर दू-सलि‍या तीन-सलि‍या नारोक टाल रहि‍ते छन्‍हि‍।
राघाकान्‍तो आ कुसुमलालोक परि‍वार बीच तीन पुश्‍तसँ उपरेक दोस्‍ती रहल छन्‍हि‍। ओना दुनू दू जाति‍क मुदा अपेक्षा-भाव एहेन जे चालि‍-ढालि‍सँ अनठि‍या नै बूझि‍ पबैत जे दुनू दू जाति‍क छथि‍। कि‍अए तँ कोनो काज-उदेममे एक-दोसराक बाले-बच्‍चे एक-दोसरठाम जाइत। ओना आने गामक कुटुम जकाँ दुनू परि‍वारक बीच कपड़ा-लत्ताक वर-वि‍दाइक चलनि‍ सेहो अछि‍। मुदा तैयो सराध-बि‍आह आदि‍ पारि‍वारि‍क काजमे दुनू दू जाति‍क परि‍चय देबे करैए।
नम्‍हर भुमकम होइसँ पहि‍ने जहि‍ना नहियोँ होइबला बच्‍चा सबहक जनम भऽ जाइ छै‍ जइसँ दोस्‍तीयारेक संभावना अनेरो बढ़ि‍ जाइए‍, मुदा से नै राधाकान्‍त आ कुसुमलाल दुनू गोटेकेँ एक्के दि‍न बेटा भेलनि‍। ओना कि‍यो-केकरो ऐठाम जि‍गेसा करए नै गेलखि‍न तेकर कारण भेलै जे अपने-अपन घर ओझरा गेलनि‍। ओना पमरि‍या-हि‍जरनी महिना दि‍न धरि‍ दौग-बड़हा करैत रहल। दाइओ-माइ छठि‍यारमे रवि‍दि‍न एकक नाओं रवि‍कान्‍त आ दोसराक नाओं रवि‍शंकर रखि‍ देलकनि‍। अनेरे फूलक बोनमे टहलि‍तथि‍ आकि‍ साँप-कीड़ाक बोनमे। बोन तँ बोने छी, दुनूक छी। तँए हरहर-खटखटसँ नीक दि‍नेकेँ पकड़ि‍ लेलनि‍। ओना एकटा आरो केलनि‍ जे दुनूमे सँ कि‍यो जाति‍क पदवी नै लगौलनि‍।
सुभ्‍यस्‍त परि‍वार रहने तीन बरखक पछाति‍ए स्‍कूल जाइ जोकर भऽ गेल मुदा चारि‍म बरखमे दुनूक नाओं गामेक स्‍कूलमे लि‍खौल गेल। ओना जेहने सोझमति‍या राधाकान्‍त तेहने कुसुमलालो। मुदा नाओं लि‍खबै दि‍न रवि‍कान्‍तक पि‍ता गेलखि‍न आ राधाकान्‍त अपने नै जा भायकेँ पठौलखि‍न आ रवि‍शंकरक पि‍त्ती एक बरख घटबी कऽ कऽ नाओं लि‍खौलखि‍न। ओना राधाकान्‍तकेँ स्‍कूलपर जेबाक मनो ने होइ छन्‍हि‍। कि‍एक तँ स्‍कूल सबहक जे कि‍रदानी भऽ गेल ओ देखै जोग नै अछि‍। शि‍क्षक सभ वि‍द्यार्थीकेँ नहि‍येँ पढ़ैले प्रेरि‍त आ नहि‍येँ पढ़ैक जि‍ज्ञासा जगा पबै छथि‍। छड़ी हाथे पढ़बए चाहै छथि‍।
एक तँ एक रंगाह परि‍वार तहूमे दोस्‍ती। दुनू गोरे तेहेन चन्‍सगर जे गामेक स्‍कूलसँ पटका-पटकी करैत नि‍कलल। पटका-पटकी ई जे एक साल रवि‍कान्‍त फस्‍ट करैत तँ दोसर साल रवि‍शंकर ओना हाइ स्‍कूलमे थोड़े गजपट भेल, स्‍कूलक शि‍क्षक आँकि‍ लेलनि‍ जे केतबो उपरा-उपरी छै तैयो सोचन शक्‍ति‍मे दुनूमे अन्‍तर कि‍छु जरूर छै। कौलेज तँ बि‍ना माए-बापक होइए, केकरा के देखत। मुदा आॅनर्सक संग दुनू गोटे प्रथम श्रेणीमे नि‍कलल।
आइ.पी.एस. कऽ दुनू गोटेक ट्रेनि‍ंग आ ज्‍वानि‍ंग सेहो भेल। दोस्‍तीमे बढ़ोत्तरी होइते गेल।